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Kartik Purnima Kab Hai Date 2021: आज कार्तिक पूर्णिमा पर जरूर करें ये काम, होगा कल्याण, जानिए महत्व और शुभ मुहूर्त
Kartik Purnima Kab Hai 2021 कार्तिक पूर्णिमा समेत कार्तिक माह के अंतिम पांच दिनों को सबसे पवित्र दिन माना जाता है और भक्त दिन में केवल एक बार कार्तिक पूर्णिमा व्रत और पूजा अर्चना, धर्म, कर्म और मोक्ष का मार्ग प्रदान करती है।
Kartik Purnima Kab Hai
पिछले 21 अक्टूबर 2021 से कार्तिक माह चल रहा है। आज यानि 19 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा गुरुनानक जयंती मनाई जाती है। 19 नवंबर शुक्रवार के दिन पड़ रहा है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। और कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था, इस कारण इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं। कथानुसार एक बार त्रिपुरासुर नामक एक दानव देवताओं को परास्त करने में सफल रहा और अंततः उसने पूरे विश्व पर विजय प्राप्त कर ली। उसने अंतरिक्ष में तीन शहर बनाए और उनका नाम त्रिपुरा रखा। इस समय, भगवान शिव देवताओं को बचाने के लिए आए और इस राक्षस का अपने धनुष बाण से वध कर दिया और इस दिन को रोशनी एवं प्रकाश के त्योहार के रूप में मनाया जाएगा।
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
- कार्तिक पूर्णिमा की तिथि- 19 नवंबर।
- पूर्णिमा तिथि आरंभ- 18 नवंबर को रात 11.55 से आरंभ।
- पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 नवंबर को 14.47 बजे तक।
- कृत्तिका – 01:29 AM से 04:29 AM 20 नवंबर तक
कार्तिक पूर्णिमा व्रत और महत्व
धर्मानुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक माह के समय कार्तिक स्नान करने से 100 अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर फल मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन उपवास करना चाहिए और सुबह जल्दी स्नान करके और कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा पढ़ना चाहिए।
कार्तिक पूर्णिमा को वृंदा जयंती मनाते है, यह दिन भगवान विष्णु के मछली के रूप वाले अवतार मत्स्य के जन्मदिन का भी प्रतीक है। साथ ही भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का जन्म भी इसी दिन हुआ था। कार्तिक माह के अंतिम पांच दिनों को सबसे पवित्र दिन माना जाता है और भक्त दिन में केवल एक बार कार्तिक पूर्णिमा व्रत और पूजा अर्चना, धर्म, कर्म और मोक्ष का मार्ग प्रदान करती है।
कार्तिक माह के 5 दिन
तुलसी विवाह
भीष्म पंचक
बैकुंठ चतुर्दशी
देव दीपावली
कार्तिक पूर्णिमा
तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन से कार्तिक पूर्णिमा के दिन तक होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ज्यादातर लोग, भगवान शालिग्राम के साथ देवी तुलसी के विवाह की रस्में पूरी करते हैं।
भीष्म पंचक एकादशी से शुरू होता है, और कार्तिक पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है। वैष्णव संस्कृति के अनुसार, कार्तिक माह के अंतिम पांच दिनों के दौरान भीष्म पंचक उपवास बहुत महत्व रखता है। इसे विष्णु पंचक भी कहा जाता है।
बैकुंठ चतुर्दशी पूजा कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले की जाती है। भगवान विष्णु के भक्त इस दिन उपवास रखते हैं। , भगवान विष्णु शुक्ल पक्ष के दौरान वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव की पूजा करते थे, और उन्हें एक हजार कमल के फूल चढ़ाते थे। इस दिन शिव मंदिरों में विशेष पूजा होती है जहां भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन भक्त सूर्योदय से पहले वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर पवित्र गंगा में डुबकी लगाकर कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान करते हैं। इससे निसंतान को संतान मिलता है।
देव दिवाली पर देवताओं की दीवाली होती है जिसे कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसलिए सभी मंदिरों में और गंगा नदी के तट पर इस दिन मिट्टी के दीये जलाकर कार्तिक पूर्णिमा को दिवाली की तरह मनाया गया।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या करें
वैसे तो पूरे कार्तिक माह का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। पूरे मास स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। भगवान विष्णु को ये मास बहुत प्रिय है। इस मास के आखिरी दिन कार्तिक पूर्णिमा का महत्व सारी तिथियों में अधिक है। 19 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है।इस दिन गंगा स्नान और दीपदान करना चाहिए। । जानते हैं इस दिन कौन से काम करने से पूण्य मिलता है।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए। लेकिन अगर गंगा स्नान नहीं कर पा रहे तो घर में ही थोड़ा सा गंगाजल नहाने के पानी में मिला कर स्नान करें।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन गाय का दान, दूध का दान, केले का दान, खजूर का दान, अमरूद का दान, चावल का दान, तिल और आवंले का दान अवश्य करना चाहिए।इस दिन ब्राह्मण को अपनी श्रद्धा के अनुसार वस्त्र और दक्षिणा अवश्य दें।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन शाम के समय जल में कच्चा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन जल में दूध, शहद मिलाकर पीपल के वृक्ष पर अवश्य चढ़ाना चाहिए और दीपक भी जलाना चाहिए। क्योंकि पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास मानते है।
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा अवश्य सुने और घर के मुख्य द्वार पर आम का तोरण अवश्य बांधे और द्वार पर रंगोली भी अवश्य बनाएं। इस दिन घर पर कोई भिखारी आए तो उसे भोजन अवश्य कराएं। इस दिन तुलसी पूजन अवश्य करें और तुलसी के पौधे के नीचे दीपक अवश्य जलाएं।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या न करें
- धर्मशास्त्रों में पुण्य प्राप्ति के लिए बहुत से मार्ग बताए गए है लेकिन कुछ ऐसे काम है जिन्हें कार्तिक पूर्णिमा को नहीं करना चाहिए।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन तामसिक भोजन न करें। इस दिन शारीरीक संबंध न बनाएं। यदि आप ऐसा करेंगे तो आपको चंद्रमा के दुष्प्रभाव पड़ेगा। कार्तिक पूर्णिमा पर घर में किसी भी प्रकार का झगड़ा नहीं करना चाहिए।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन मांस-मदिरा का सेवन बिल्कुल भी न करें।
- इस दिन गरीब और असहाय लोगों का अपमान नहीं करना चाहिए।
- इस दिन किसी जानवर को न मारें। क्योंकि ऐसा करने से इस दिन पाप के भागीदार बनते हैं।
- इस दिन किसी भी बुजुर्ग का अपमान बिल्कुल भी न करें। क्योंकि इस दिन देवता किसी भी रूप में आपके पास आ सकते हैं।