Karwa Chauth 2024 Puja Samagri: शुभ मुहूर्त में ऐसे करें करवा चौथ की पूजा, जानिए सरगी ,सामग्री और पूजा विधि

Karwa Chauth 2024 Puja Samagri: करवा चौथ का दिन सुहागिनों के लिए खास होता है, जानते हैं इस दिन का महत्व और पूजा विधि...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 20 Oct 2024 12:02 PM GMT (Updated on: 20 Oct 2024 12:02 PM GMT)
Karwa Chauth 2024 Puja Samagri
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Karwa Chauth 2024 Puja Samagri (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Karwa Chauth 2024 Puja Samagri: करवा चौथ के दिन महिलाएं पति की लम्बी उम्र के लिये पूरे दिन (निर्जल) व्रत रखती हैं। शाम को चंद्रोदय के समय उगते हुये पूरे चाँद को छलनी में घी का दिया रखकर देखती है और चन्द्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथों से पानी पीती है। करवा चौथ व्रत तभी पूरा माना जाता है जब महिला करवा चौथ का त्यौहार बहुत खुशी के साथ हर साल महिलाओं द्वारा कृष्ण पक्ष में पूरे दिन व्रत रखकर कार्तिक के महीने की चतुर्थी पर मनाया जाता है। इस दिन सुहागिने अपने पति के कल्याण और लंबे जीवन के लिए भगवान गणेश की पूजा करती हैं।

इस व्रत में महिलाएं दिनभर उपवास रखते हुए रात को चंद्रमा के निकलने पर दर्शन और पूजन करते हुए अपना व्रत खोलती हैं। इससे पहले महिलाएं सूर्योदय होने के साथ करवा चौथ का व्रत आरंभ कर देती हैं। जिसमें सूर्योदय से पहले सरगी खाई जाती है, फिर शाम को करवा माता, भगवान गणेश की पूजा और कथा सुनी जाती है। जानते हैं इस बार करवा चौथ पर पूजा के लिए क्या मुहूर्त है और चांद कितने बजे निकलेगा।

करवा चौथ सरगी का महत्व और शुभ मुहूर्त 2024

सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेती हैं और सास द्वारा दी गई सरगी का सेवन करती हैं। सरगी में मिठाई, फल, सैवई, पूड़ी और साज-श्रृंगार का सामान दिया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 20 अक्तूबर 2024, रविवार को रखा जाएगा। ऐसे में 20 अक्तूबर को सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर है। करवा चौथ पर सरगी सूर्योदय होने से दो घंटे पहले खाई जाती है। ऐसे करवा चौथ पर सरगी खाने का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।

करवा चौथ पूजन सामग्री

करवा चौथ पर लकड़ी का आसान,देसी घी, पान, सींक, कलश, हल्दी, रोली ,मौली ,मिठाई ,छन्नी ,लोटे में भरने के लिए चावल ,दान की सामग्री ,अक्षत ,चंदन ,फल ,पीली मिट्टी ,फूल ,मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन और करवा चौथ व्रत कथा किताब।

करवा चौथ पूजा शुभ मुहूर्त 2024

करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखते हुए शाम को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करवा माता, भगवान शिव, माता पार्वती, विध्नहर्ता मंगलमूर्ति भगवान गणेश और चंद्रदेव की पूजा अर्चना करती हैं। इस बार करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र का अद्भुत संयोग बना हुआ है। करवा चौथ पर 20 अक्तूबर को पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05 .46 मिनट लेकर शाम को 06. 54 मिनट तक रहेगा।

20 अक्टूबर को चंद्रोदय शाम 07 बजकर 54 मिनट पर होगा। चांद के निकलने पर अर्घ्य दिया जाएगा. उसके बाद पारण करके व्रत को पूरा करेंगी।

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि शुरू - 20 अक्टूबर 2024, सुबह 06.46

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि समाप्त - 21 अक्टूबर 2024, सुबह 04.16

करवा चौथ पूजा समय - शाम 05.46 - रात 07.09, (अवधि 1 घंटा 16 मिनट)

नक्षत्र- कृत्तिका 08:31 AM तक उपरांत रोहिणी

चन्द्रमा वृषभ राशि पर संचार करेगा संचार करेगा |

अमृत काल मुहूर्त -06:19 AM से 07:46 AM, 03:50 AM से 05:20 AM

ब्रह्म मुहूर्त -04:54 AM से 05:42 AM

सर्वार्थसिद्धि योग - Oct 21 06:30 AM से Oct 21 06:50 AM

करवा चौथ पूजा विधि

सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के बीच प्यार, स्नेह और विश्वास का प्रतीक माना गया है। यह पर्व पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में खुशहाली का महापर्व है। करवा चौथ के दिन चन्द्रमा की पूजा कर महिलाएं चंद्रदेव से यह आशीर्वाद मांगती हैं कि किसी भी कारण से उन्हें अपने प्रियतम का वियोग न सहना पड़े । सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर देवी पार्वती के स्वरूप चौथ माता, भगवान शिव और कार्तिकेय के साथ-साथ श्री गणेशजी की पूजा करती हैं।

करवा चौथ पर शाम को लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, इस पर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर दें। एक लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखकर कलावा बांध दें और दूसरा मिट्टी का करवा लेकर उसमें जल भरकर व ढक्कन में शक्कर भर दें, उसके ऊपर दक्षिणा रखें, रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद धूप, दीप, अक्षत व पुष्प चढाकर भगवान का पूजन करें, पूजा के उपरांत भक्तिपूर्वक हाथ में गेहूं के दाने लेकर चौथमाता की कथा पढ़ें या सुने। फिर रात्रि में चंद्रोदय होने पर चंद्रदेव को अर्ध्य देकर बड़ों का आशीर्वाद लेते हुए व्रत को समाप्त करें।चंद्रोदय के बाद चन्द्रमा को जल अर्पित किया जाता है। यह अति कठिन व्रत है जिसमे दिनभर जल की एक बूँद अथवा भोजन का एक भी ग्रास ग्रहण करना वर्जित हैं। इसके बाद 13 दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें। चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें।


Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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