TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Kashi Vishawnath Temple : अलौकिक तथ्यों के रहस्य को खोलता बनारस का काशी विश्वनाथ मंदिर

Kashi Vishawnath Temple: मोक्षदायिनी काशी के शिव मंदिर की महिमा ऐसी है कि यहां जो भी जीव मृत्यु को प्राप्त होता है उसे मुक्ति मिल जाती है और भगवान शिव खुद जीव को शिवलोक ले जाते हैं। शिवपुराण ( Shiv Puran) ,मतस्यपुराण (Matasay Puran) में वर्णित है कि यहां जप, ध्यान और ज्ञान से रहित और दुखों पीड़ित लोगों को काशी विश्वनाथ के दर्शन करने से गति मिलती है।

suman
Published By suman
Published on: 4 May 2022 1:57 PM IST (Updated on: 4 May 2022 1:57 PM IST)
Kashi Vishawnath Temple
X

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Kashi Vishawnath Temple

काशी विश्वनाथ मंदिर

मोक्ष की नगरी काशी (Kashi) जहां पैर रखते हैं सारे पाप धूल जाते हैं। इस स्थान का हिंदू धर्म में विशिष्ट स्थान है और यहां स्थिति काशी विश्वनाथ मंदिर ( Kashi Vishawnath Temple)जो 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है। पुराणों धर्म ग्रंथों में आनंद वन को ही काशी कहा गया है। शिव के त्रिशूल पर स्थित इस नगरी और यहां स्थित शिवलिंग के दर्शन और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि सर्वतीर्थ में उत्तम एवं मोक्षदायिनी काशी के शिव मंदिर की महिमा ऐसी है कि यहां जो भी जीव मृत्यु को प्राप्त होता है उसे मुक्ति मिल जाती है और भगवान शिव खुद जीव को शिवलोक ले जाते हैं। शिवपुराण ( Shiv Puran) ,मतस्यपुराण (Matasay Puran) में वर्णित है कि यहां जप, ध्यान और ज्ञान से रहित और दुखों पीड़ित लोगों को काशी विश्वनाथ के दर्शन करने से गति मिलती है।

जानते हैं विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के आश्चर्यजनक तथ्य को जानिए जो इस मंदिर को पूरे विश्व में प्रसिद्धि दिलाते है। दुनिया का इकलौता मंदिर है जहां वाम रूप में स्थापित बाबा विश्वनाथ शक्ति की देवी मां भगवती के साथ विराजते हैं।


काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े अलौकिक तथ्य….

  • काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है, दाहिने भाग में शक्ति के रूप में मां भगवती विराजमान हैं, दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप (सुंदर) रूप में विराजमान हैं, इसीलिए काशी को मुक्ति क्षेत्र कहा जाता है।
  • देवी भगवती के दाहिनी ओर विराजमान होने से मुक्ति का मार्ग केवल काशी में ही खुलता है, यहां मनुष्य को मुक्ति मिलती है और दोबारा गर्भधारण नहीं करना होता है। भगवान शिव खुद यहां तारक मंत्र देकर लोगों को तारते हैं, अकाल मृत्यु से मरा मनुष्य बिना शिव अराधना के मुक्ति नहीं पा सकता।
  • भोले बाबा का श्रृंगार के समय सारी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती हैं। इस ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों साथ ही विराजते हैं, जो अद्भुत है। ऐसा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता है।
  • विश्वनाथ दरबार में गर्भ गृह का शिखर है। इसमें ऊपर की ओर गुंबद श्री यंत्र से मंडित है। तांत्रिक सिद्धि के लिए ये उपयुक्त स्थान है। इसे श्री यंत्र-तंत्र साधना के लिए प्रमुख माना जाता है।
  • बाबा विश्वनाथ के दरबार में तंत्र की दृष्टि से चार प्रमुख द्वार इस प्रकार हैं :- 1. शांति द्वार। 2. कला द्वार। 3. प्रतिष्ठा द्वार। 4. निवृत्ति द्वार। इन चारों द्वारों का तंत्र में अलग ही स्थान है। पूरी दुनिया में ऐसा कोई जगह नहीं है जहां शिवशक्ति एक साथ विराजमान हों और तंत्र द्वार भी हो।
  • बाबा का ज्योतिर्लिंग गर्भगृह में ईशान कोण में मौजूद है। इस कोण का मतलब होता है, संपूर्ण विद्या और हर कला से परिपूर्ण दरबार। तंत्र की 10 महाविद्याओं का अद्भुत दरबार, जहां भगवान शंकर का नाम ही ईशान है।
  • मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण मुख पर है और बाबा विश्वनाथ का मुख अघोर की ओर है। इससे मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवेश करता है। इसीलिए सबसे पहले बाबा के अघोर रूप का दर्शन होता है। यहां से प्रवेश करते ही पूर्व कृत पाप-ताप विनष्ट हो जाते हैं।
  • भौगोलिक दृष्टि से बाबा को त्रिकंटक विराजते यानि त्रिशूल पर विराजमान माना जाता है। मैदागिन क्षेत्र जहां कभी मंदाकिनी नदी और गौदोलिया क्षेत्र जहां गोदावरी नदी बहती थी। इन दोनों के बीच में ज्ञानवापी में बाबा स्वयं विराजते हैं। मैदागिन-गौदौलिया के बीच में ज्ञानवापी से नीचे है, जो त्रिशूल की तरह ग्राफ पर बनता है। इसीलिए कहा जाता है कि काशी में कभी प्रलय नहीं आ सकता।

  • बाबा विश्वनाथ काशी में गुरु और राजा के रूप में विराज मान है। वह दिनभर गुरु रूप में काशी में भ्रमण करते हैं। रात्रि नौ बजे जब बाबा का श्रृंगार आरती किया जाता है तो वह राज वेश में होते हैं। इसीलिए शिव को राजराजेश्वर भी कहते हैं।
  • बाबा विश्वनाथ और मां भगवती काशी में प्रतिज्ञाबद्ध हैं। मां भगवती अन्नपूर्णा के रूप में हर काशी में रहने वालों को पेट भरती हैं। वहीं, बाबा मृत्यु के पश्चात तारक मंत्र देकर मुक्ति प्रदान करते हैं। बाबा को इसीलिए ताड़केश्वर भी कहते हैं।
  • बाबा विश्वनाथ के अघोर दर्शन मात्र से ही जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। शिवरात्रि में बाबा विश्वनाथ औघड़ रूप में भी विचरण करते हैं। उनके बारात में भूत, प्रेत, जानवर, देवता, पशु और पक्षी सभी शामिल होते हैं।


दोस्तों देश और दुनिया की खबरों को तेजी से जानने के लिए बने रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story