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Hartalika Teej 2020: इस व्रत से बढ़ता है सौभाग्य, जानें विधि, महत्व व शुभ मुहूर्त

हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को हस्त नक्षत्र में दिनभर का निर्जल व्रत रहना चाहिए। मान्यता है कि सबसे पहले इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती के विवाह की कथा सुनने का काफी महत्व है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 18 Aug 2020 7:49 AM IST
Hartalika Teej 2020: इस व्रत से बढ़ता है सौभाग्य, जानें विधि, महत्व व शुभ मुहूर्त
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हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि

जयपुर: सौभाग्य से जुड़ा हरितालिका तीज का व्रत स्त्रियों और कुंवारी कन्याओं द्वारा किया जाता है। इस पावन व्रत में भगवान शिव, माता गौरी, एवं श्री गणेश जी की विधि-विधान से पूजा साधना-अराधना का बड़ा महत्व है। यह व्रत निराहार एवं निर्जला किया जाता है।

सुहाग के सौभाग्य या फिर एक बेहतर जीवनसाथी की कामना के लिए किए जाने इस व्रत का इंतजार स्त्रियां महीनों पहले से करने लगती हैं।भाद्र पद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज है इस बार 21 अगस्त को मनाई जाएगी।

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hartalika teej प्रतीकात्मक

मान्यता

हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को हस्त नक्षत्र में दिनभर का निर्जल व्रत रहना चाहिए। मान्यता है कि सबसे पहले इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती के विवाह की कथा सुनने का काफी महत्व है।

प्रात: उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर एक चौकी पर रंगीन वस्त्रों के आसन बिछाकर शिव और पार्वती की मूर्तियों को स्थापित करें। साथ ही इस व्रत का पालन करने का संकल्प लें। संकल्प करते समय अपने समस्त पापों के विनाश की प्रार्थना करते हुए कुल, कुटुम्ब एवं पुत्र पौत्रादि के कल्याण की कामना की जाती है।

आरंभ में श्री गणेश का विधिवत पूजन करना चाहिए। गणेश पूजन के पश्चात् शिव-पार्वती का आवाहन, आसन, पाद्य, अघ्र्य, आचमनी, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, दक्षिणा तथा यथाशक्ति आभूषण आदि से षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।

पूजन की समाप्ति पर पुष्पांजलि चढ़ाकर आरती, प्रदक्षिणा और प्रणाम करें। फिर कथा श्रवण करें। कथा के अंत में बांस की टोकरी या डलिया में मिष्ठान्न, वस्त्र, पकवान, सौभाग्य की सामग्री, दक्षिणा आदि रखकर आचार्य पुरोहित को दान करें। पूरे दिन और रात में जागरण करें और यथाशक्ति ओम नम: शिवाय का जप करें। दूसरे दिन और प्रात: भगवान शिव-पार्वती का व्रत का पारण करना चाहिए।

hartalika teej प्रतीकात्मक

शुभ मुहूर्त

प्रातःकाल मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 53 मिनट से सुबह 8 बजकर 29 मिनट तक। अवधि: 2 घंटे 36 मिनट। हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त- शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 9 बजकर 6 मिनट तक

महत्व

हरतालिका तीज पर माता पार्वती और भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की कामना के लिए ये व्रत रखती हैं। हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

hartalika teej प्रतीकात्मक

व्रत के नियम

*हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। अगले दिन सुबह पूजा के बाद जल पीकर व्रत खोलने का विधान है।

*हरतालिका तीज व्रत एक बार शुरू करने पर फिर इसे छोड़ा नहीं जाता है। हर साल इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करना चाहिए।

* हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है। रात भर जागकर भजन-कीर्तन करना चाहिए।

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hartalika teej

पूजा विधि

*हरतालिका तीज की पूजा सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में की जाती है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत और काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाई जाती है।

*पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखकर उस पर केले के पत्ते बिछाएं और भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें। इस व्रत की मुख्य परंपरा माता पार्वती को सुहाग की सारी वस्तुएं चढ़ाना है।

*हरतालिका तीज की पूजा में शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है। बाद में यह सामग्री किसी ब्राह्मण को दान देना चाहिए। तीज की कथा सुनें और रात्रि जागरण करें। आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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