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इस पवित्र माह में हो जाएंगे मालामाल, हाथ से ना गवाएं मौका, बस करें ये सारे काम

अगर इस महीने किसी पवित्र नदी में स्नान का अवसर मिले तो इसे न गंवाएं, अवश्य ही नदी में स्नान करें। इस महीने से मोटे परिधानों का उपयोग भी शुरू कर देना चाहिए।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 2 Dec 2020 8:00 AM IST
इस पवित्र माह में हो जाएंगे मालामाल, हाथ से ना गवाएं मौका, बस करें ये सारे काम
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भगवान श्री कृष्ण की उपासना अधिक से अधिक समय तक करें। इस महीने से संध्याकाल की उपासना अनिवार्य हो जाती है।

लखनऊ: समुद्र से शंख की उत्पति हुई है। शंख समुदंर मंथन से निकले 14 रत्नों में से ये एक रत्न है।विष्णु पुराण के अनुसार कहा जाता है कि घर में सुख-सौभाग्य की वृद्धि के लिए शंख को स्थापित करना चाहिए। अगहन (मार्गशीर्ष) के माह में शंख पूजन करने से शुभ फल मिलता है। हिंदी में मार्गशीर्ष मास को अगहन कहते हैं।

विष्णु भगवान का प्रतीक

यह माह को विष्णु भगवान का प्रतीक कहा गया है। इन दिनों में श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। इस माह में खास व्रत और त्योहार है जैसे कालभैरव जयंती, उत्पन्ना एकादशी, क्रिसमस, सूर्य ग्रहण, मोक्षदा एकादशी आदि... इस मास इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

शंख पूजन मंत्र

शंख का पूजन में कुमकुम, चावल, जल का पात्र, कच्चा दूध, एक साफ कपड़ा, एक तांबा या चांदी का पात्र (शंख रखने के लिए), सफेद पुष्प से करना चाहिए। इस मंत्र से करें पूजन….

त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत: करे।

निर्मित: सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते।

तव नादेन जीमूता वित्रसन्ति सुरासुरा:।

शशांकायुतदीप्ताभ पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते॥

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* सुबह में स्नान कर साफ धुले हुए कपड़े पहनें। पटिए पर एक पात्र में शंख रखें। अब उसे कच्चे दूध और जल से स्नान कराएं। सभी धार्मिक कामों में शंख का विशेष स्थान है। शंख का जल सभी को पवित्र करने वाला माना गया है।

साथ ही शंख को लक्ष्मी का भी प्रतीक माना जाता है, इसकी पूजा महालक्ष्मी को प्रसन्न करने वाली होती है। इसी वजह से जो व्यक्ति नियमित रूप से शंख की पूजा करता है, उसके घर में कभी धन की कमी नहीं रहती है।

करें ये भी काम

*इस महीने में नित्य श्रीमद्‍भगवतगीता का पाठ करें। पूरे महीने ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का निरंतर जाप करें।

*भगवान श्री कृष्ण की उपासना अधिक से अधिक समय तक करें। इस महीने से संध्याकाल की उपासना अनिवार्य हो जाती है।

मोटे परिधानों का उपयोग

*अगर इस महीने किसी पवित्र नदी में स्नान का अवसर मिले तो इसे न गंवाएं, अवश्य ही नदी में स्नान करें। इस महीने से मोटे परिधानों का उपयोग भी शुरू कर देना चाहिए।

*मार्गशीर्ष के महीने में तेल की मालिश बहुत उत्तम होती है। अगहन के महीने में जीरे का सेवन नहीं करना चाहिए।

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तुलसी के पत्तों का भोग

* कृष्ण को तुलसी के पत्तों का भोग लगाकर उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।इस महीने से चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों का सेवन शुरू कर देना चाहिए।

मार्गशीर्ष के इस पवित्र महीने में सभी बातों का ध्यान रखते हुए भगवान श्री कृष्ण की उपासना की और उनका भजन-कीर्तन किया तो निश्चित ही मनोकामना पूर्ण होती है।



Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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