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अविनाशी परब्रहम की संज्ञा ये शुभ चिह्न, इसे बनाकर घर में ला सकते हैं खुशहाली
घर के बाहर कुमकुम, सिंदूर का स्वास्तिक रंगोली बनाने से भगवान प्रसन्न होते हैं। इससे घर में धन की कमी नहीं होती है। ईश्वर की कृपा बनी रहती है।
लखनऊ: स्वास्तिक हिंदू धर्म के शुभ प्रतीक चिह्नों में एक है जो सु और अस्ति से मिलकर बना है। सु का अर्थ होता है शुभ और अस्ति का अर्थ होता है-होना। मतलब कि शुभ होना है। गणेश पुराण में कहा गया है कि स्वास्तिक गणेश भगवान का स्वरुप है। जो अमंगल को दूर करता है और पुराणों में स्वास्तिक अविनाशी परब्रहम की संज्ञा दी गई है। स्वास्तिक से जीवन में खुशहाली आती है। स्वास्तिक के कुछ उपाय है जिसको आजमाने से जीवन में खुशहाली ही खुशहाली आती है।
धन की कमी नहीं
*घर के बाहर कुमकुम, सिंदूर का स्वास्तिक रंगोली बनाने से भगवान प्रसन्न होते हैं। इससे घर में धन की कमी नहीं होती है। ईश्वर की कृपा बनी रहती है।
*स्वास्तिक बनाकर ईष्टदेव की पूजा करने से भगवान की कृपा बनी रहती है। मनचाहा काम पूरा होता है।
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गुड़ का भोग
*अगर बिजनेस में नुकसान हो रहा है तो व्यवसाय की जगह के उत्तर-पूर्व कोने को साफ करके वहां हल्दी का स्वास्तिक बना कर पूजा करने और गुड़ का भोग लगाने से व्यापार में फायदा होता है।
* कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है तो मंदिर में उल्टा स्वास्तिक गोबर या कुमकुम से बनाएं, जब मनोकामना पूरी हो जाए तो उसकी जगह जाकर सीधा स्वास्तिक बनाएं। ऐसा करने से आपकी हर मुराद पूरी होगी और भगवान प्रसन्न रहेंगे।
दीपक जलकार पूजा करें
*घर के मंदिर में या कोई भी देवस्थान पर स्वास्तिक बना कर पंच धान्य और दीपक जलकार पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।
*नींद नहीं आने से सोने पहले देवस्थान पर इंडेक्स फींगर से स्वास्तिक बनाएं। इससे अनिद्रा की समस्या दूर होती है।
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चावल का ढेर करें
*घर को मुख्यद्वार पर दोनों ओर स्वास्तिक बनाएं, उस पर चावल का ढेर करें फिर दो सुपारी में कलावा बांधकर दोनों स्वास्तिक पर रख दें। इससे धन लाभ होता है।
*ईशान कोण या उत्तर-पूर्व की दीवार पर स्वास्तिक बनाने से घर में सुख शांति बनी रहती है।
*घर में गोबर के स्वास्तिक बनाएं, ऐसा करने से घर पर ईश्वर के साथ पितरों की कृपा बनी रहती है। और घर में सुख शांति के साथ घर के सदस्यों में प्यार सौहार्द बना रहता है।