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Shri Govinda Ashtakam: जन्माष्टमी इसके बिना अधूरी,अगर पाना है कान्हा का प्यार तो पूजा के समय रखें इनका ध्यान

Shri Govinda Ashtakam :आज जन्माष्टमी की तैयारी कर लिये तो एक बार यहां करें इनमें से कोई एक चीज तो नही छुट गई, यकीन मानिए इनमे से किसी भी एक चीज के बिना जन्माष्टमी अधूरी रहेगी।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 26 Aug 2024 4:22 PM IST (Updated on: 26 Aug 2024 6:55 PM IST)
Shri Govinda Ashtakam: जन्माष्टमी इसके बिना अधूरी,अगर पाना है कान्हा का प्यार तो पूजा के समय रखें इनका ध्यान
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Kanha Krishnashtami Special :जन्माष्टमी हर साल की तरह आज यानि 26 अगस्त को मनाया जा रहा है और श्री कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी और श्री जयंती के नाम से भी जाना जाता है। आज ही के दिन द्वापर युग में भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र में विष्णु जी के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। मध्यरात्रि में कृष्ण भगवान धरती पर अवतारित हुए थे। इसलिए जन्माष्टमी पर मध्यरात्रि के समय पूजा करना अत्यंत पुण्यदायक होता है। आज के दिन कृषण के बाल रूप लड्डू गोपाल की सेवा संतान की तरह की जाती है। इसलिए इस दिन कई लोग भगवान का जन्म कर रात्रि के समय पूजा करते हैं।

जन्माष्टमी के दिन कठिन व्रत का पालन करने से सभी इच्छाएं पूरी होती है और इससे राधा रानी का भगवान कृष्ण के साथ आशीर्वाद प्राप्त होता है। जन्माष्टमी के दिन आप श्री गोविंद अष्टम का पाठ करेंगे तो भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होगा और हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी।

जन्माष्टमी के दिन चमत्कारी है इस स्तोत्र का पाठ

।।श्री गोविन्दा अष्टकम।।

सत्यं ज्ञानमनन्तं नित्यमनाकाशं परमाकाशं गोष्ठप्रांगणरिंगणलोलमनायासं परमायासम् ।

मायाकल्पितनानाकारमनाकारं भुवनाकारं क्ष्माया नाथमनाथं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् ।।

मृत्स्नामत्सीहेति किमीह यशोदाताडनशैशवसंत्रासं व्यादितवक्त्रालोकितलोकालोकचतुर्दशलोकालिम् ।

लोकत्रयपुरमूलस्तम्भं लोकालोकमनालोकं लोकेशं परमेशं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् ।।

त्रैविष्टपरिपुवीरघ्नं क्षितिभारघ्नं भवरोगघ्नं कैवल्यं नवनीताहारमनाहारं भुवनाहारम् ।

वैमल्यस्फुटचेतोवृत्तिविशेषाभासमनाभासं शैवं केवलशान्तं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् ।।

गोपालं भूलीलाविग्रहगोपालं कुलगोपालं गोपीखेलनगोवर्धनधृतिलीलालालितगोपालम् ।

गोभिर्निगदितगोविन्दस्फुटनामानं बहुनामानं गोपीगोचरदूरं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् ।।

गोपीमण्डलगोष्ठीभेदं भेदावस्थमभेदाभं शश्वद्गोखुरनिर्धूतोद्धतधूलीधूसरसौभाग्यम् ।

श्रद्धाभक्तिग्रहीतानन्दमचिन्त्यं चिन्तितसद्भावं चिंतामणिमहिमानं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् ।।

स्नानव्याकुलयोषिद्वस्त्रमुपादायागमुपारूढं व्यादित्सन्तीरथ दिग्वस्त्रा ह्युपदातुमुपाकर्षन्तम् ।

निर्धूतद्वयशोकविमोहं बुद्धं बुद्धेरन्त: स्थं सत्तामात्रशरीरं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् ।।

कान्तं कारणकारणमादिमनादिं कालमनाभासं कालिन्दीगतकालियशिरसि मुहुर्न्रत्यन्तं नृत्यन्तम् ।

कालं कालकलातीतं कलिताशेषं कलिदोषघ्नं कालत्रयगतिहेतुं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् ।।

वृन्दावनभुवि वृन्दारकगणवृन्दाराध्यं वन्देऽहं कुन्दाभामलमंदस्मेरसुधानन्दं सुह्रदानन्दम् ।

वन्धाशेषमहामुनिमानसवन्धानन्दपदद्वन्द्वं वन्धाशेषगुणाब्धिं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम् ।।

गोविन्दाष्टकमेतदधीते गोविन्दार्पितचेता यो गोविन्दाच्युत माधवविष्णो गोकुलनायक कृष्णेति ।

गोविन्दांगघ्रिसरोजध्यानसुधाजलधौतसमस्ताघो गोविन्दं परमानंदामृतमंत:स्थं स समभ्येति ।।

कान्हा को लगाएं ये भोग

जन्माष्टमी पर इन चीजों का भोग लगाकर लड्डू गोपाल का प्रेम और कृपा पा सकते है। मतलब की हम सब जितना प्रेम भगवान के बाल रूप पर बरसायेंगे उतना भगवान हम सब पर कृतार्थ होंगे।इस लिए इन चीजों कान्हा को प्रसन्न कर सकते है-

आज के दिन कान्हा को केसर या हल्दी का तिलक लगाएँ। और खुद भी माथे पर लगाएँ।

जन्माष्टमी की पूजा में खीरा को होना जरूरी है। अगर खीरा का भोग नही लगाया तो आपकी पूजा अधूरी है।

हर बच्चे को मीठा पसंद होता है। कान्हा जी को भी मीठा पसंद है, इसलिए उनके जन्म पर पहले शहद का भोग लगाना चाहिए।

कान्हा को पंचामृत का भोग लगाएं, साथ में तुलसी भी रखें।

कान्हा को धनिया की पंचीरी का भोग लगाएं ।

कान्हा जी को आज कम से कम 5 तरह की मिठाई या फल का भोग लगाएँ।

सबसे अहम और खास कान्हा जी माखन मिश्री का भोग लगाना बिल्कुल न भूले।ये उनके सबसे पसंदीदा भोग है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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