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Kundli Me Chandrama : मन-मस्तिष्क पर रहता है चंद्रमा का असर, कुंडली में कब देता है शुभ-अशुभ प्रभाव, जानिए चमत्कारी उपाय
Kundli Me Chandrama : चंद्रमा मन, जज्बातों एवं भावनाओं का प्रतीक है। चंद्रमा हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।हमारे मव के भाव, गंभीरता, दिमाग से जुड़े विविध आयाम को हमारी कुंडली में बैठा चंद्रमा तय करता है। यही कारण है कि जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति का महत्व है।
Kundli Me Chandrama
कुंडली में चन्द्रमा: हमारी अभिलाषाएं, गंभीरता, मस्तिष्क संरचना और मस्तिष्क से जुड़े विविध आयाम हमारी कुंडली में बैठा चंद्रमा तय करता है। यही कारण है कि जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति का अत्यधिक महत्व है।मनुष्य का व्यवहार समय समय पर बदलता रहता है। कई बार खुद के व्यवहार पर आश्चर्य भी होता है आप किसी के साथ तो बहुत विनम्र तो किसी के साथ न चाहते हुए भी कठोर हो जाते हैं। दरअसल हम अपने आस-पास के लोगों के साथ किस तरह का व्यवहार करते हैं। सामान्य परिस्थितियों में हमारी प्रतिक्रिया एवं जीवन में होने वाली घटनाओं के बीच हमारा बर्ताव, हमारी भावनाएं, व्यक्तिगत इच्छाएं,
कहा जाता है कि सूर्य की काम का फल चंद्रमा देता है। ज्योतिष में चंद्रमा, शशि या सोमा सूर्य के बाद दूसरा नक्षत्र है। यह बहुत महत्वपूर्ण ग्रह है। यदि सौर मंडल में सूर्य राजा है तो चंद्रमा रानी। चंद्रमा मन, जज्बातों एवं भावनाओं का प्रतीक है। चंद्रमा हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कुंडली के 12 भावों में चंद्र की स्थिति से कैसे देखें
चन्द्रमा जैसे-जैसे कृष्ण पक्ष में छोटा व शुक्ल पक्ष में पूर्ण होता है वैसे-वैसे मनुष्य के मन पर भी चन्द्र का प्रभाव पड़ता है। कुंडली के 12 घरों में चंद्रमा का अलग अलग प्रभाव पड़ता है।
- पहले लग्न में चंद्रमा हो तो जातक बलवान, ऐश्वर्यशाली, सुखी, व्यवसायी, गायन वाद्य प्रिय एवं स्थूल शरीर का होता है।व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर पड़ने लगता है। चंद्रमा की कमजोर स्थिति के कारण मानसिक रोगों का सामना करना पड़ता है। चंद्रमा की अशुभ स्थिति के कारण गृह कलेश बढ़ जाते हैं। माता-पिता के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है।
- चंद्र दूसरे भाव में हो तो जातक अपरिमित सुख, धन, मित्रों से युक्त तथा अधिक धन का स्वामी व कम बोलने वाला होता है।
- कुंडली के तीसरे भाव में बली चंद्रमा हो तो जातक को भाई-बंधुओं का अच्छा सहयोग रहता है।
- कुंडली के चौथे भाव का चंद्रमा व्यक्ति को बंधु-बांधवों से युक्त बनाता है। सेवाभावी, दानी, जलीय स्थानों को पसंद करने वाला तथा सुख-दुख से मुक्त होता है।
- कुंडली के पांचवे भाव का चंद्रमा जातक को कमजोर बनाता है। ऐसे व्यक्ति में वीरता की कमी होती है लेकिन विद्या, वस्त्र, अन्न् का संग्रहकर्ता होता है। इसके पुत्र अधिक होते हैं, मित्रवान, बुद्धिमान और उग्र प्रकृति का होता है।
- कुंडली के छठे भाव का चंद्र हो तो जातक के शत्रु अधिक होते हैं। वह तीक्ष्ण, कोमल शरीर वाला, क्रोधी, नशे में चूर, पेट रोगी होता है। क्षीण चंद्र होने पर जातक अल्पायु होता है।
- कुंडली के सप्तम भाव का चंद्र हो तो जातक सुशील, संघर्षशील, सुखी, सुंदर शरीर वाला, कामी होता है। कृष्ण पक्ष का निर्बल चंद्र हो तो दीन एवं रोगों से पीड़ित होता है।
- कुंडली के आठवे भाव का चंद्रमा जातक को बुद्धिमान, तेजवान, रोग-बंधन से कृश देहधारी बनाता है। चंद्रमा क्षीण हो तो जातक अल्पायु होता है।
- कुंडली के नवम भाव में चंद्रमा हो तो जातक देव-पितृकार्य में तत्पर, सुखी, धन-बुद्धि पुत्र से युक्त, स्त्रियों का प्रिय तथा उद्यमी होता है।
- कुंडली के दसवें भाव में चंद्र हो तो जातक खेद से रहित, कार्य में तत्पर, कार्यकुशल, धन से संपन्न्, पवित्र, अधिक बली, वीर एवं दानी होता है।
- कुंडली के 11वें भाव का चंद्रमा हो तो जातक धनी, अधिक पुत्रवान, दीर्घायु, सुंदर, इच्छित नौकरी वाला, मनस्वी, उग्र, वीर एवं कातिमान होता है।
- कुंडली में 12वें भाव का चंद्रमा हो तो जातक द्वेषी, पतित, नीच, नेत्ररोगी, आलसी, अशांत, सदा दुखी रहने वाला होता है।
चंद्रमा संवेदनशील, शांतिप्रिय, शांत, सुखी, देखभाल करने वाला, स्नेही, सुंदर होने के बाजवूद कुछ मामलों को लेकर अस्पष्ट एवं उलझन में रहने वाला है। चंद्रमा राशिचक्र की चौथी राशि का स्वामी है और वृषभ में यह उच्च का होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा की 27 पत्नियां हैं, जिनको 27 नक्षत्रों के रूप में भी जाना जाता है। चंद्रमा आंतरिक और बाहरी दुनिया के बीच मध्यस्थ का काम करते हैं।
आम तौर पर, ज्योतिष में चंद्रमा माता एवं मां पक्ष के रिश्तों, ममता, बचपन, दूध, सफेद, मोती, चांदी एवं इससे बनी वस्तुओं वस्त्र और परिधानों, चेहरे की चमक एवं सुंदरता, समुद्र और महासागरों का प्रतिनिधित्व करता है। चंद्रमा को अति उच्च लाभकारी ग्रह माना जाता है क्योंकि चंद्रमा प्रचुर स्मृद्धि, मानसिक शांति, मस्तिष्कीय शक्ति, वैभवपूर्ण एवं आरामदेह जीवन, स्वादष्टि भोज, दोस्तों एवं परिवार से सहायता दिलाने में मदद करता है। यदि आपकी जन्म कुंडली में चंद्रमा सही जगह स्थित है।
चन्द्रमा कमजोर हो तो क्या होगा
व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर पड़ने लगता है। चंद्रमा की कमजोर (Weak Chandra)स्थिति के कारण मानसिक रोगों का सामना करना पड़ता है। चंद्रमा की अशुभ स्थिति के कारण गृह कलेश बढ़ जाते हैं। माता-पिता के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है।चंद्रमा कमजोर होने पर व्यक्ति को खांसी-जुकाम, अस्थमा, आईएलडी आदि सांस या फेफड़ों से संबंधित बीमारियां परेशान करती हैं. इसके अलावा तनाव, डिप्रेशन, एकाग्रता की कमी, नींद न आना और दिमाग को विचलित करने वाली सभी समस्याओं की वजह भी चंद्र का कमजोर होना ही है।
चंद्र दोष को दूर करने के उपाय
चंद्र देव को प्रत्यक्ष भगवान माना जाता है। चंद्रमा हर राशि के बीच से गुजरने के लिए ढ़ाई दिन का समय लेता है। यह बहुत तेज गति से पारगमन करने वाला ग्रह है और राशि चक्र का पूर्ण चक्कर लगभग 30 दिनों में पूरा कर लेता है। चंद्रमा का पूर्णिमा की तरफ बढ़ना शुक्ल पक्ष कहलाता है और अमावस्या की तरफ बढ़ने को कृष्ण पक्ष के नाम से जाना जाता है। चंद्रमा के पारगमन से चंद्रमा कैलेंडर का निर्धारण होता है, जो हम को तिथि और नक्षत्रों से रुबरु करवाता है।चंद्रमा को भगवान शिव धारण करते हैं और ऐसे में चंद्रमा को प्रसन्न किया जाए तो खुशहाल जीवन का आशीर्वाद स्वत: शिवजी देते हैं। ये उपाय कुछ इस तरह है...
- अगर सोमवार का व्रत रखना संभव न हो तो उस दिन नमक का सेवन न करें. इस दिन दही, दूध, चावल, चीनी और घी से बने खाद्य पदार्थों का ही सेवन करें. लेकिन नमक भूलकर भी न खाएं।
- आप प्रत्येक सोमवार को शिव की पूजा करें। इसके लिए आप महामृत्युञ्जय मन्त्र एवं शिव पंचाक्षरी मंत्र (ओम नम:शिवाय) का जाप करें। इसके अलावा आप 108 बार ओम सोम सोमाय नमः का जाप करें।
- हर सोमवार सुबह किसी भी शिव मंदिर में जाकर दूध, पानी एवं बेलपत्र आदि अर्पित कर सकते हैं। कभी कभार जरूरतमंद लोगों को चांदी, चांदी की वस्तुएं या सफेद धातु के बर्तन दान करें।शिव मंदिर के बाहर बैठे गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को सफेद वस्तुएं या कपड़े दान करें।दयालु बनें और महिलाओं की मदद करें।
- प्रतिदिन माता-पिता के पैर छूना। पानी या दूध को साफ पात्र में सिरहाने रखकर सोएं और सुबह कीकर के वृक्ष की जड़ में डाल दें।चावल, सफेद वस्त्र, शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल, दही और मोती दान करना चाहिए।
- सर्वप्रथम चंद्रदेव को धूप-दीप और पुष्प अर्पित कर प्रणाम करें। फिर सफेद वस्त्र पहनकर चन्द्रमा का ध्यान करें और इसके बाद तुलसी या कमल गट्टे की माला से मंत्र का जाप करें। जप पूरा होने के बाद चांदी के किसी बर्तन में शुद्ध जल या देशी गाय के दूध से चंद्रदेव को अर्घ्य दें और "ऊं चंद्राय नमः" का जाप करें।