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Kundli Me Guru Chandal Yog : इस दोष से पीड़ित जातक का चरित्र होगा बदनाम, धन और संबंधों को लेकर रहेंगे परेशान , जानिए समाधान

Kundli Me Guru Chandal Yog : कुंडली में ग्रहों की बेहतर स्थिति सुखद योग देती है और खराब स्थिति और योग व्यक्ति का जीवन नारकीय बना देता है। ऐसे ही खराब दोषों में एक दोष है गुरु चांडाल योग है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 7 Jan 2022 11:07 AM IST (Updated on: 21 April 2023 9:13 AM IST)
Kundli Me Guru Chandal Yog
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Kundli Me Guru Chandal Yog

गुरु चांडाल योग (Guru Chandal Yog) मनुष्य के जन्म और उससे पूर्व के कर्म सब का लेखा जोखा कुंडली में होता है। कुंडली में ग्रहों की बेहतर स्थिति सुखद योग देती है और खराब स्थिति और योग व्यक्ति का जीवन नरकीय बना देता है। ऐसे ही खराब दोषों में एक दोष है गुरु चांडाल योग है। यह योग जिस भी व्यक्ति के जीवन में होता है उसके जीवन में परेशानिया ही परेशानियां लगी रहती है। अगर आपकी कुंडली में भी यह योग है तो परेशान न हो,जहां बीमारी होती है वहां दवा भी होती है। मतलब ये कि दोष है तो निदान भी होगा। उससे पहले यह जान ले कि गुरु चांडाल योग होता क्या है।

कब बनता है गुरु चांडाल योग और प्रभाव

बृहस्पति और राहु की स्थिति पर गुरु चांडाल योग के प्रभाव अलग-अलग होते है।गुरु चांडाल योग हमेशा प्रतिकूल होता है, अन्य ग्रह भी इस दोष को सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। व्यक्ति की कुंडली के किसी भी भाव में गुरु के साथ राहु रहे तब गुरु चांडाल योग बनता हैं। इस योग का बुरा असर शिक्षा, धन और चरित्र पर होता है। व्यक्ति बड़े-बुजुर्गों का निरादर करता है और उसे पेट एवं श्वास के रोग हो सकते हैं। मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, वृश्चिक, कुंभ व मीन राशि के लोगों पर गुरु-चांडाल योग का प्रभाव अधिक पड़ता है।

यदि गुरु की राहु पर या राहु की गुरु पर दृष्टि है तो भी चांडाल योग बनता है। सूर्य के साथ सूर्य चांडाल योग और मंगल के साथ मंगल चांडाल योग माना जाता है, लेकिन सबसे अधिक घातक गुरु और राहु की युति को ही मानते हैं। लेकिन अगर चांडाल योग गुरु की राशि में है तो इसका असर कम रहता है। खासकर गुरु और राहु के अंश देखकर ही चांडाल योग के असर का प्रभाव पड़ता है।

ऐसे महिला जातक बहुत धार्मिक होते हैं। वे एक आदर्श पत्नी और मां बनते हैं। इस दोष से पीड़ित पुरुष जातक सच्चे और नैतिक होते हैं। वे अपनी पत्नी और ससुराल वालों की मदद करते हैं। साफ-सफाई के साथ उच्च जीवन शैली पर खर्च करना पसंद है।

गुरु चांडाल योग के लक्षण

  • गुरु चांडाल योग जिस भी भाव या राशि में लगता है, तो वह उस स्थान के शुभ प्रभाव को तो समाप्त करता है।
  • अगर प्रथम भाव या लग्न में गुरु राहु की युति अर्थात चांडाल योग है, तो ऐसा जातक चरित्र का ढीला होता है। उस पर लांछन लगता है। उसका वाद-विवाद होता रहता है।
  • अगर चतुर्थ भाव में यह योग बन रहा है तो भूमि, भवन, परिवार, मित्र और जन्म स्थान का सुख नहीं मिल पाता है।
  • व्यक्ति को शिक्षा और नौकरी में समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
  • ऐसे जातकों की जिंदगी में लगातार धन की परेशानी होगी। सेहत से संबंधित बीमारी उच्च रक्तचाप, अस्थमा, पीलिया, कब्ज और यकृत की कार्यप्रणाली आदि जैसी लगातार स्वास्थ्य समस्याएं होंगी। पिता और पुत्र में हमेशा मतभेद होगा। व्यक्ति को निर्णय लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ेगा और व्यक्तिगत स्टैंड लेने में सक्षम नहीं होगा। ऐसे जातक को जेल भी जाना पड़ सकता है । अगर सप्तम भाव में है तो व्यक्ति को पत्नी सुख नहीं मिलता है। दशम भाव में है तो व्यक्ति को नौकरी और व्यापार में असफलता ही हाथ लगती है।

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

कुंडली के 12 भावों में गुरु चांडाल योग

  • कुंडली के प्रथम भाव में जब गुरु चांडाल योग होता है, तो व्यक्ति के चरित्र पर उंगली उठती रहती है उसकी नैतिकता पर भरोसा करना मुश्किल होता है।
  • कुंडली के दूसरे भाव में कमजोर गुरु व्यक्ति को तनावग्रस्त बनाता है। वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ लगातार लड़ाई करता है और संपत्ति का नुकसान भी करता है। ऐसे जातकको धनवान, धनवान और यशस्वी बनाएगा। वह समृद्ध जीवन जीएगा।
  • कुंडली के तीसरे भाव में यह योग व्यक्ति को एक अच्छा नेता बनाता है, राजनीति में वर्चस्व बढ़ता है। लेकिन बृहस्पति मंगल से पीड़ित है, तो जातक निंदनीय होता है।
  • कुंडली के चौथे भाव में कमजोर बृहस्पति कई पारिवारिक विवादों और जीवन में शांति की कमी देता हैय़
  • कुंडली के 5वें घर में गुरु चांडाल व्यक्ति को शिक्षित और बुद्धिमान बनाता। यह बच्चों को भी सफल बना सकता है।
  • कुंडली के छठे भाव में बृहस्पति व्यक्ति को धनवान और समृद्ध बनाता है। इससे उनका करियर भी बहुत सफल हो सकता है। कमजोर बृहस्पति व्यक्ति को उसके धर्म को बदनाम करने की संभावना को सामने लाता है। वह अपने परिवार से लगातार असहमति में रहेगा।
  • कुंडली के सातवें भाव में गुरु चांडाल के कारण वैवाहिक जीवन खतरनाक रूप से प्रभावित होता है जो इस घर में बुरे प्रभाव को बढ़ा सकता है।
  • कुंडली के 8 वें भाव में गुरु चांडाल व्यक्ति के स्वास्थ्य को कमजोर बना सकता है। वह कई सर्जरी, चोटों और दुर्घटनाओं से गुजरेंगे।
  • कुंडली के नवे भाव में अनुकूल बृहस्पति व्यक्ति को बहुत अमीर और सफल बनाता है। कमजोर बृहस्पति अपने पिता से विवाद पैदा कर सकता है ।
  • कुंडली के दसवे भाव में यह योग धन, धन, और एक सफल करियर बनाता है। उसे अपने शिष्टाचार और नैतिकता में नैतिक रूप से कमी होगी।
  • कुंडली के 11 वें भाव में गुरु चांडाल अनुकूल है। ऐसे व्यक्ति बहुत धनवान होते है। उनके आय के कई स्रोतों होते हैं। विरासत में धन मिलता है।
  • कुंडली के 12 वें भाव में व्यक्ति के विचार उसके परिवार से बहुत अलग होते। वह अपने परिवार के खिलाफ जाएगा और अपने ही धर्म की आलोचना करेगा। इससे वह अपने परिवार का अनादर कर सकता है।

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)



गुरु चांडाल योग से बचने के उपाय

  • जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है उन्हे माथे पर रोज केसर, हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं। सुबह तालाब जाकर मछलियों को काला साबूत मूंग या उड़द खिलाएं। प्रति गुरुवार को पूर्ण व्रत रखें। रात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • पीली वस्तुओं का दान करें और पीले वस्त्र ही पहनें। गुरुवार को पड़ने वाले राहु के नक्षत्र में रात्रि में बृहस्पति और राहु के मंत्र का जाप करना चाहिए या शांति करवाएं। राहु के नक्षत्र हैं आर्द्रा, स्वाति और शतभिषा।
  • गरीबों को सिक्के और मेहंदी दान करें।गुरुवार को गायों को 5 किलो आटा और 1 किलो गुड़ से बनी चपाती खिलाएं।
  • 11 दिनों तक अखंड दीया के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा करें। 11 दिनों के बाद 11 कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें मेहंदी दान करें।
  • घर में तुलसी के पौधे के सामने घी का दीया जलाएं। अगर कमाई में कोई समस्या है तो एक गाँठ बाँध लें और एक बरगद के पेड़ की शाखा में अच्छे परिणाम आने के बाद उसे खोल दें।

लेकिन ध्यान रहें कोई भी उपाय करने से पहले अपनी कुंडली किसी योग्य ज्योतिषी को दिखाकर ही इन उपायों में से किसी एक का पालन करेंगे तो फायदा होगा।

गुरु चांडाल दोष से बचने के लिए मंत्र

गुरु चांडाल दोष से बचने के लिए रोज सूर्य को जल दें और आदित्य ह्रदय स्त्रोत का नियमित रुप से पाठ करें । कोशिश करें धर्म स्थान या मंदिर में जाने की।रोज सुबह गायत्री मंत्र का हल्दी की माला से 108 बार जाप करें। इससे इस दोष का प्रभाव कम होता है।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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