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Lanka Dahan Kisne Kiya Tha: अकेले हनुमान जी ने नहीं,उनके साथ इन 3 लोगों ने जलाई थी लंका, जानते हैं इसका रहस्य

Lanka Dahan Kisne Kiya Tha: जानते हैं लंका कांड के बारे मे । रामायण लंका दहन का जिक्र है हनुमान जी ने लंका दहन किया था, लेकिन जानते है वास्तव में किसने लंका जलाई थी....

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 15 Feb 2024 11:09 AM IST
Lanka Dahan Kisne Kiya Tha: अकेले हनुमान जी ने नहीं,उनके साथ इन 3 लोगों ने  जलाई थी लंका, जानते हैं  इसका रहस्य
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Lanka Dahan Kisne Kiya Tha: रामायण का लंका कांड लोगों को मुहंजुबानी याद है। हनुमान जी ने जैसे लंका दहन कर श्रीराम के बल को दिखाया था, शायद ऐसी वीरता देखने लायक कहीं नहीं होगी। रामायण का जिक्र हो और उसमें रावण और उसकी लंका की चर्चा नो हो तो सबकुछ अधूरा है। कहा जाता है कि रावण की पूरी लंका सोने की बनी थी। रावण ने अपनी लंका की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए सीता जी को हर कर लाया था। वैसे तो सब जानते है कि रावण ने सोने की लंका बनाई थी, और हनुमान जी ने लंका को जलाया था। लेकिन क्या आपको पता है कि सोने की इस लंका को हनुमान जी ने नहीं, बल्कि मां पार्वती ने जलाया था।

धर्म क्या कहता है लंका किसने जलाई

सुंदर काण्ड में लंका हनुमान जी ने जलाई उसके भी चार कारण हैं । हनुमान जी जब लंका जलाकर राम ने के पास गए तो राम जी एक शिला पर बैठे थे और बाकी सभी बानर भी बैठे थे । हनुमान जी सबसे पीछे जाकर बैठ गए और आगे बाकी बानर और जामवंत जी बैठे थे ।

राम ने बोले कि नहीं आपने ही लंका जलाई । हनुमान जी ने कहा कि नहीं मेने नहीं जलाई पूछ ने जलाई । पूछ हमारी नहीं है प्रभु श्री राम की है । बंदर को भला पूछता कौन है श्री राम जी से ही है पूछ हमारी । हनुमान जी कहना चाहते हैं कि पूछ हैं पार्वती, बानर का रूप है शिव ।

जब भगवान का अवतार होना था तो सभी देवता अयोध्या मे अवतार ले रहे थे तो शिव जी भी आने लगे तो पार्वती जी ने पूछा कि प्रभु कहां जा रहे हैं । शंकर जी ने कहा कि वो बंदर बनेंगे । पार्वती जी ने कहा कि हम बंदरिया बन जायेंगे । शिव जी ने कहा कि नहीं गड़बड़ है गणेश जी को फिर कौन देखेगा इसलिए आप यहीं रहिए ।

शंकर जी ने कहा कि वे राम जी के साथ रहेंगे और वहीं राक्षसों का संघार करेंगे । पार्वती जी ने बोला की हम भी चलेंगे, शंकर जी ने कहा कि नहीं हम अकेले जाएंगे क्योंकि हम इस बार ब्रह्मचारी के रूप में जायेंगे । पार्वती जी ने कहा कि आप बंदर बन जाओ और हम पूंछ बन जाते हैं ।


ऐसे जलाई थी मां पार्वती ने लंका

एक पौराणिक मान्यता के एक बार लक्ष्मी जी और विष्णु जी भगवान शिव-पार्वती से मिलने के लिए कैलाश पर गए और कैलाश से जाते वक्त उन्होंने मां पार्वती और शिवजी को बैकुण्ठ आने का न्योता दिया। जब मां पार्वती लक्ष्मीजी से मिलने बैकुण्ठ धाम गई तो वहां का वैभव देखकर उनमें ईर्ष्या की भावना घर कर गई। इसके बाद मां पार्वती ने भगवान शिव से महल बनवाने का हठ किया। उसके बाद भगवान शिव ने पार्वती जी को भेंट करने के लिए कुबेर से दुनिया का अद्वितीय महल बनवाया।

जब रावण की नजर महल पर पड़ी तो वो उसे लेना चाहा। सोने का महल लेने की इच्छा को लेकर रावण ब्राह्मण का रूप धारण कर अपने इष्ट देव भगवान शिव शंकर के पास गया और भिक्षा में उनसे सोने के महल की मांग की। भगवान शिव को भी पता था कि रावण उनका बड़ा भक्त है। द्वार आए अतिथि को खाली हाथ लौटाना धर्म शास्त्रों में गलत बताया गया। इससे अतिथि का अपमान होता है।

त्रेता युग में जब शिव ने हनुमान जी के रूप में रूद्रावतार लिया। रामायण में जब सभी पात्रों का चयन हो गया और तब भगवान शिव ने मां पार्वती को कहा कि आप अपनी इच्छा पूरी करने के लिए हनुमान की पूंछ बन जाना। जिससे वो स्‍वयं लंका का दहन कर सकती हैं। अंत में यही हुआ कि हनुमान जी ने सोने की लंका को अपनी पूंछ से जलाया। पूंछ के रूप में मां पार्वती थीं। इस तरह मां पार्वती ने भगवान शिव की बनाई लंका को खुद जलाई थी ।

जब भगवान शिव ने रावण को सोने की लंका को दान में दे दिया। जब ये बात मां पार्वतीको अच्छी नहीं लगी। वो खिन्न हो गई। भगवान शिव ने मां पार्वती को मनाने की कोशिश की। लेकिन मां पार्वती ने इसे अपना अपमान मानकर प्रण लिया कि अगर ये सोने का महल उनका नहीं हो सकता तो किसी और का भी नहीं हो सकता।



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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