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Lathmar Holi Nandgaon: कान्हा के नंदगाव की लठ्ठमार होली, जानें नंदगाव की पौराणिक कथा

Nandgaon Lathmar Holi: दुनियाभर से लोग इस होली का आनंद लेने के लिए बरसाना पहुंचते हैं। इसके अगले दिन यानी दशमी तिथि को लट्ठमार होली नंदगांव में खेली जाती है। लेकिन क्‍या आप यह जानते हैं कि बरसाने के अगले दिन इस परंपरा को नंदगांव में क्‍यों दोहराया जाता है? आइए जानते हैं इसकी वजह।

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Published on: 25 April 2023 9:29 PM GMT
Lathmar Holi Nandgaon: कान्हा के नंदगाव की लठ्ठमार होली, जानें नंदगाव की पौराणिक कथा
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Nandgaon Lathmar Holi (Pic: Newstrack)

Nandgaon Lathmar Holi in Hindi: हर साल फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को बरसाने में लट्ठमार होली का आयोजन किया जाता है। दुनियाभर से लोग इस होली का आनंद लेने के लिए बरसाना पहुंचते हैं। इसके अगले दिन यानी दशमी तिथि को लट्ठमार होली नंदगांव में खेली जाती है। लेकिन क्‍या आप यह जानते हैं कि बरसाने के अगले दिन इस परंपरा को नंदगांव में क्‍यों दोहराया जाता है? आइए जानते हैं इसकी वजह।

पौराणिक मान्‍यता

कहा जाता है कि कृष्ण नंदगांव के थे और राधा बरसाने की थीं। भगवान श्रीकृष्‍ण बेहद शरारती थे और राधा व उनकी सखियों को अपने गोप-ग्‍वालों के साथ अक्‍सर सताते थे। द्वापर युग में फाल्‍गुन मास की शुक्‍ल पक्ष की नवमी को वे अपने गोप-ग्‍वालों के साथ होली खेलने बरसाना गए। इस बीच राधा और उनकी सखियों ने लाठियों से उन पर वार किया और कृष्‍ण व उनके सखाओं ने ढालों से खुद का बचाव किया। होली खेलने के बाद कृष्‍ण और उनके सखा बिना फगुआ (होली या फाग के अवसर पर दिया जाने वाला उपहार) दिए ही नंदगांव लौट गए।

तब राधा और उनकी सखियों ने योजना बनाई और फगुआ दिए बिना वापस लौटने की बात कहकर लोगों को इकट्ठा किया। इसके बाद अगले दिन यानी दशमी तिथि को वो सभी फगुआ लेने के बहाने नंदगांव पहुंचे वहां फिर से लट्ठमार होली खेली। तब से इस लीला को जीवंत रखने के लिए हर साल बरसाना की गोपियां होली का नेग लेने दशमी के दिन नंदगांव आती हैं और वहां दोबारा लट्ठमार होली का आयोजन होता है।

(कंचन सिंह)

(लेखिका प्रख्यात ज्योतिषी हैं ।)

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