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गुड लक के लिए क्यों रखते हैं लाफिंग बुद्धा

raghvendra
Published on: 9 Jun 2018 3:45 PM IST
गुड लक के लिए क्यों रखते हैं लाफिंग बुद्धा
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अक्सर लोगों के घर या ऑफिस में लाफिंग बुद्धा देखा होगा। हाथों में पोटली या टोकरी, दोनों हाथ ऊपर, हाथों में माला लिए और चेहरे पर बड़ी-सी मुस्कान... आपको कई प्रकार के लाफिंग बुद्धा देखने को मिल जाएंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये कौन हैं और कहां से आए हैं। लोग इन्हें गुड लक के लिए अपने पास क्यों रखते हैं?

महात्मा बुद्ध के कई शिष्य थे, उनमें से एक थे जापान के होतेई। बौद्ध धर्म में ज्ञान की प्राप्ति के लिए लोग सांसारिक मोह-माया छोडक़र पूरी तरह से खुद को समर्पित कर ध्यान में लग जाते हैं। मान्यता है कि जो भी इस ज्ञान की प्राप्ति कर लेता है, वह बौद्ध कहलाता है।

ऐसा माना जाता है कि जब होतेई ने ज्ञान की प्राप्ति की तो वह जोर-जोर से हंसने लगे। उसी वक्त उनके जीवन का उद्देश्य बन गया कि वह लोगों को खुश रखेंगे और हंसाएंगे। जापान और चीन में वह जहां भी गए, लोगों को हंसाते रहे। इसी वजह से लोग उन्हें हंसता हुआ बुद्धा बुलाने लगे, जिसे इंग्लिश में लाफिंग बुद्धा बोलते हैं।

होतेई के अनुयायियों ने लाफिंग बुद्धा का इतना प्रचार किया कि लोग उन्हें भगवान मानने लगे। साथ ही गुड लक के लिए उनकी मूर्ति घरों में रखने लगे। जानकारी के मुताबिक, जैसे भारत में धन के देवता कुबेर को माना जाता है। ठीक वैसे ही चीन में लाफिंग बुद्धा को भी यही दर्जा दिया गया है।

आप लाफिंग बुद्धा को जहां भी रखें लेकिन ये ध्यान रखें कि इन्हें कभी जमीन पर नहीं रखा जाना चाहिए। इन्हें उसी तरह पूजनीय स्थान पर रखें जैसे भगवान को रखा जाता है। आप इन्हें बैठक में रख सकते हैं ताकि आगंतुकों की नजर इन पर पड़े। लाफिंग बुद्धा को कभी बाथरूम, डायनिंग टेबल, टॉयलेट, बेडरूम या रसोईघर आदि में नहीं रखा जाना चाहिए।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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