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बेगम आलिया ने हनुमान से मांगा था पुत्र, मन्नत पूरी होने पर मनाया जाने लगा यहां बड़ा मंगल

suman
Published on: 16 May 2017 10:53 AM IST
बेगम आलिया ने हनुमान से मांगा था पुत्र, मन्नत पूरी होने पर मनाया जाने लगा यहां बड़ा मंगल
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लखनऊः राजधानी का मशहूर बड़ा मंगल पर्व शुरू हो चुका है। इस दौरान लखनऊ के सभी हनुमान मंदिरों में दूर-दूर से भक्त आते हैं। इस बार यह पर्व 16 मई से 6 जून तक हर मंगलवार को मनाया जाएगा। इस पर्व को मनाने की परंपरा नवाबों के दौर से चली आ रही है।

सपना देख बेगम ने बनवाया मंदिर

धार्मिक साहित्य को देखें तो शिव के ग्यारहवें अवतार हनुमान से बड़ा कोई भक्त नहीं हुआ। साथ ही वह अजर-अमर देवता हैं। माना जाता है कि जो भी उन्हें दिल से पुकारता है, उसकी ओर वह खिंचे चले आते हैं। रामचरित मानस के ग्रंथकार तुलसीदास भी कहते हैं, 'तुम्हरे भजन राम को पावैं' यानी आपको ही अगर भक्त दिल से याद कर ले, तो उसे भगवान राम के श्रीचरणों में जगह मिल जाती है। हनुमान के बारे में यही प्रसिद्धि अवध के नवाब की पत्नी तक भी पहुंची थी। इसके बाद ही उन्हें एक सपना आया और उसके बाद कुछ ऐसा भी हुआ कि लखनऊ में बड़ा मंगल का पर्व मनाया जाने लगा।

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नवाब की पत्नी ने क्या सपना देखा था?

कहते हैं कि अवध के नवाब शुजा-उद-दौला की बेगम आलिया एक रात गहरी नींद में थीं। उन्हें सपने में हनुमान दिखे। बेगम को उन्होंने बताया कि फलां जगह मेरी प्रतिमा जमीन में दबी है। उसे बाहर निकालकर स्थापित करने को उन्होंने कहा। बेगम आलिया सुबह उठीं तो सपना याद था। उन्होंने बताई गई जगह पर खुदाई करवाई। मूर्ति नहीं निकली, तो लोग उनका उपहास उड़ाने लगे। इसके बाद बेगम ने हनुमान को याद किया। इसके बाद ही वहां मूर्ति मिल गई।

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अलीगंज में इस तरह बना मंदिर

कहा जाता है कि बेगम ने एक हाथी मंगाया और उस पर हनुमान की प्रतिमा रखकर चलीं। उन्होंने कहा कि जहां भी यह हाथी रुकेगा, वहीं मंदिर बनवाया जाएगा। हाथी चलते-चलते उस जगह रुका, जहां अलीगंज का पुराना हनुमान मंदिर है। उसी जगह मंदिर बना और इस मंदिर की खासियत ये है कि इसके शिखर पर चांद और तारा लगा हुआ है। ऐसा किसी और मंदिर में देखने को नहीं मिलता।

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बेगम को बेटा हुआ तो मनाया जाने लगा बड़ा मंगल

इतिहासकारों के मुताबिक बेगम आलिया ने इसी हनुमान मंदिर में मंगलवार को बेटा होने की मन्नत मानी थी। उनके बेटे नवाब सआदत अली खान हुए। बेगम ने हनुमान के प्रति श्रद्धा की वजह से उनका नाम 'मिर्जा मंगलू' रखा था। इसके बाद ही अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर से बड़ा मंगल का पर्व मनाए जाने की शुरूआत हुई। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो भी यहां सच्चे दिल से मन्नत मानता है, वह पूरी जरूर होती है।



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