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कन्या पूजन से ही पूरा होता है नवरात्र, जानिए क्यों हैं महत्व?
जयपुर:नवरात्रि एक लोकप्रिय पर्व है। ये पूरे देश में अनेक रूपों में मनाया जाता है। नौ दिनों तक देवी के अनके रुपों की पूजा की जाती है। (दुर्गा, काली या वैष्णोदेवी) के भक्त नवरात्रि की अष्टमी या नवमी को छोटी कन्याओं(लड़कियों) की पूजा करते हैं। कन्या पूजन में देवी के नौ रूपों की पूजा होती है। छोटी लड़कियों की पूजा करने के पीछे बहुत सरल कारण छिपा है।
अहंकार का खात्मा
आपके अंदर या तो आपका अहंकार रह सकता है या भगवान। अहंकार-भगवान दोनों एक साथ नहीं रह सकते। जब आपके अंदर से अहंकार पूरी तरह निकल जाता है तब आप दैवीय उर्जा को मानते हैं। भक्ति के मार्ग का उद्देश्य है कि अपने अहंकार को भगवान के सामने छोड़ दें और अपने जीवन का नियंत्रण भगवान के हाथों में दे दें।
कंजक पूजन
जब आप भक्ति के मार्ग पर चलते हैं तो आपको अपना अहंकार त्यागने के लिए किसी माध्यम, माफी या अवसर की आवश्यकता होती है। कंजक पूजन ऐसा ही एक अवसर है जो साल में दो बार आता है(शरद नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि)।शास्त्रों में कहा गया है कि पूरी सृष्टि शिव और शक्ति का स्वरुप है। छोटी लड़कियां मासूम और शुद्ध होती हैं। वे मनुष्य के रूप में देवी के शुद्ध रूप का प्रतीक हैं। हिंदू धर्म के अनुसार कुंवारी लड़की शुद्ध बुनियादी रचनात्मक शक्ति का प्रतीक है। मूर्ति की पूजा से पहले इसकी प्राण प्रतिष्ठा करके देवी की शक्ति का आह्वान किया जाता है।
छल-कपट से परे है छोटी कन्याएं
कहते हैं कि जो छोटी कन्याएं होती है वो देवी का रुप होती है उनमें छल-कपट नहीं होता। ये कन्याएं स्त्री ऊर्जा का चरम होती है। इसके अलावा उनमें अहंकार नहीं होता और वे मासूम होती हैं। इस बात की बहुत अधिक संभावना होती है कि कन्या पूजा के दौरान आप इन छोटी लड़कियों में देवी माता की शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।
नवरात्रि के दौरान आप कितने समर्पण के साथ देवी माता को याद करते हैं। यदि छोटी लड़कियों की पूजा करते समय यदि आप समग्र भाव से उनमें देवी का स्वरुप देखें या स्वयं को पूर्ण रूप से उनके चरणों में समर्पित कर दें तो आपको लगेगा कि आपने देवी के चरण छू लिए हैं।
कन्या पूजा एक अवसर होता है जब आप छोटी बच्चियों के रूप में देवी की पूजा कर सकते हैं। एक भक्त के रूप में आपके पास विश्वास, पवित्रता और समर्पण होना चाहिए। पूजा के दौरान उन्हें लड़कियों के रूप में न देखें। अत: सभी धार्मिक संस्कार जैसे उनके पैर धोना, उन्हें बैठने के लिए आसन देना, मन्त्रों का उच्चारण, उन्हें हलवा, पूरी, काले चने की सब्जी और मिठाइयां खिलाना आदि भक्ति और आदर से करें।
नवरात्रि में विविधता के बाद भी लक्ष्य एक
नवरात्रि के समय देवी की शक्ति चरम सीमा पर होती है। कहा जाता है कि नवरात्रि के पहले देवी आराम करती हैं, क्योंकि नवरात्रि के दौरान वह बहुत अधिक सक्रिय रहती है। बहुत से मंदिरों में देवी को आराम करने दिया जाता है, उदाहरण के लिए महाराष्ट्र के सोलापुर में स्थित तुलजापुर देवी का मंदिर। इस दौरान अधिकांश हिंदू देवी को याद करते हैं भक्ति में डूबे रहते हैं।इस समय हर तरफ माहौल देवी माता के प्रति भक्ति और ऊर्जा से भरा हुआ रहता है। बंगाल में ये विशेष रूप मनाया जाता है जहां दुर्गा पूजा बहुत भक्ति के साथ की जाती है। इन छोटी बच्चियों में अहंकार नहीं है, इसलिए इनमें देवी के स्वरुप को देखना बहुत आसान हो जाता है। जो माता के भक्त होते हैं वे अगर कन्या पूजन को पूरी ईमानदारी से करें, ना निभाएं औपचारिकता ,तभी खुश होगी मां दुर्गा।