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ऐसे करे स्नान, दान व पूजा, जानिए 19 फरवरी मंगलवार का धार्मिक महत्व

suman
Published on: 17 Feb 2019 1:36 AM GMT
ऐसे करे स्नान, दान व पूजा, जानिए 19 फरवरी मंगलवार का धार्मिक महत्व
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जयपुर: हिंदू धर्म में माघी पूर्णिमा का विशेष महत्व है। माघी पूर्णिमा पर गंगा स्नान और दान करने से व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं। इस बार माघी पूर्णिमा 19 फरवरी को है। पूर्णिमा आरंभ: 19 फरवरी 2019, मंगलवार 01:11 बजे,पूर्णिमा समाप्त: 19 फरवरी 2019, मंगलवार 21:23 बजे। इस दिन पुष्य नक्षत्र होने से इस दिन का महत्व और अधिक हो गया है। माघ पूर्णिमा पर स्नान, दान और जप करना काफी काफी फलदायी माना गया है। कहते हैं कि माघ पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में नदी स्नान करने से रोग दूर होते हैं। इस दिन तिल और कंबल का दान करने से नरक लोक से मुक्ति मिलती है।

कथा

पौराणिक कथा के मुताबिक नर्मदा नदी के तट पर शुभव्रत नामक विद्वान ब्राह्मण रहते थे, लेकिन वे काफी लालची थे। इनका लक्ष्य किसी भी तरह धन कमाना था और ऐसा करते-करते ये समय से पूर्व ही वृद्ध दिखने लगे और कई बीमारियों की चपेट में आ गए। इस बीच उन्हें अंर्तज्ञान हुआ कि उन्होंने पूरा जीवन तो धन कमाने में बीता दिया, अब जीवन का उद्धार कैसे होगा। इसी क्रम में उन्हें माघ माह में स्नान का महत्व बताने वाला एक श्लोक याद अाया। इसके बाद स्नान का संकल्प लेकर ब्राह्मण नर्मदा नदी में स्थान करने लगे। करीब 9 दिनों तक स्नान के बाद उऩकी तबियत ज्यादा खराब हो गई और मृत्यु का समय आ गया। वे सोच रहे थे कि जीवन में कोई सत्कार्य न करने के कारण उन्हें नरक का दुख भोगना होगा, लेकिन माघ मास में स्नान के कारण उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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पूजा विधि माघ पूर्णिमा के दिन सूर्य उदय से पूर्व किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद सूर्य मंत्र के साथ सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

घर में भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए सबसे पहले श्री हरी की प्रतिमा पर पीले फूल की माला चढ़ाएं।दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल, दूध, चावल और केसर डालकर भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी के सामने रखें। इसके बाद लक्ष्मी नायारण जी का पूजन धूप-दीप से करें और पूरनमासी की व्रत कथा पढ़ने के बाद इसी शंख से भगवान विष्णु जी का अभिषेक करें।

इसके बाद भगवान को नई पोषक पहनकर काले तिल से हवन करें और पितरों का तर्पण करना चाहिए। पितरों का श्राद्ध और गरीब व्यक्तियों को दान करना चाहिए। इसके बाद गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें और दान में विशेष रुप से काले तिल का दान देना चाहिए।

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