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Maha Shivratri Belpatra : शिवलिंग पर क्यों चढ़ाते हैं बेलपत्र, जानिए इससे जुड़ी बात और महाशिवरात्रि के महाउपाय
Maha Shivratri Belpatra : महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर बेलपत्र के साथ जल, दूध, दही, शहद, घी, शकर, ईत्र, चंदन, केशर, भांग चढ़ाना चाहिए। इससे भगवान शिव की कृपा बरसती है।
Maha Shivratri Belpatra: महाशिवरात्रि पर बेलपत्र का महत्व
भगवान शिव ( Lord Shiva) को भोला भंडारी कहते हैं। मान्यता है कि शिव को प्रसन्न करने के लिए बहुत सारी चीजों की जरूरत नहीं होती, बल्कि सच्चे मन और भाव से दिया गया एक फूल भी भगवान आशुतोष को प्रसन्न कर सकता है। इस बार महाशिवरात्रि ( Maha Shivraatri ) 18 फरवरी को मनाई जा रही है। शिवपुराण ( Shiva Puran) के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन सुबह स्नान के बाद भस्म का त्रिपुण्ड तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण कर शिवालय में जाना चाहिए और शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। उसके बाद महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प करना चाहिए। साथ ही इस दिन चार प्रहर के चार मंत्र का जाप करने से महाशिवरात्रि के व्रत का विशेष लाभ मिलता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन महादेव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए माना जाता है इस दिन किए गए कुछ उपाय आने वाली परेशानियों को भी दूर करते हैं।
महाशिवरात्रि पर बेलपत्र से शिव की पूजा
18 फरवरी को महाशिवरात्रि है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती (Maa Parvati) ने एक दूसरे के साथ गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। भगवान शिव का विवाह इसी दिन हुआ था। पुराणों में कहा गया है कि शिव की पूजा चाहे जैसे करें, भोले भंडारी अपने भक्तों पर बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान की प्रसन्नता से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं हर कष्ट और गरीबी से मुक्ति मिलती है। शिवपुराण के अनुसार, इस संपूर्ण सृष्टि की रचना शिव की इच्छा से ही ब्रह्माजी ने की है। शिव भगवान की पूजा में बिल्वपत्र और धतूरे का खास महत्व है। बिना तीन पत्तों के बिल्व पत्र के शिव की पूजा अधूरी है। शिवलिंग अगर शिवरात्रि के दिन बिल्व पत्र न चढ़ाई जाए तो शिव पूजा अधूरी मानी जाती है।
बेलपत्र से जुड़ी धार्मिक बातें
बेलपत्र में तीन पत्तियां होती हैं जिसके तीन पत्तों में त्रिदेव रहते हैं। इसके पीछे का धार्मिक कारण है कि तीन पत्तों को ब्रह्मा,विष्णु व शिव का वास होता है। इसमें तीन गुण सत्व, रज और तम होते हैं। बिल्वपत्र की इन तीन पत्तियों को भगवान शिव का त्रिनेत्र मानते हैं।
बेलपत्र से जुडी धार्मिक महत्व का प्रकरण समुद्र मंथन के समय निकला था कहते हैं किन समुद्र मंथन के समय निकले विष को भगवान शिव ने विषपान किया था । इस विष के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शिव ने बिल्वपत्र खाया था। और सारे देवी देवताओं ने बिल्वपत्र शिव भगवान को अर्पित किया था इससे उस समय भगवान शिव का अग्नि के समान जलता शरीर शांत हो गया था।
बेलपत्र अर्पित करते समय ध्यान दें
- जब भी भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ायें वो हमेशा तीन पत्तियों वाला ही बेलपत्र हो। बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित करने से पहले अच्छे से धोकर ही इस्तेमाल करें। जब भी भोलेशंकर को बेलपत्र चढ़ाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि बेलपत्र चढ़ाने के बाद जलाभिषेक भी करें। बेलपत्र चढ़ाते समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप भी करें।
- ध्यान रहे कि एक बेलपत्र में 3 पत्तियां होनी चाहिए। 3 पत्तियों को 1 ही माना जाता है। इस बात का भी ध्यान रखें कि बेल की पत्तियां कटी फटी न हों। बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए।
- बेल की पत्तियां जिस तरफ से चिकनी होती हैं आपको उसी तरफ से शिवलिंग पर चढ़ानी चाहिए।
बिल्वपत्र 6 महीने तक बासी नहीं माना जाता। इसे एक बार शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद धोकर पुन: चढ़ाया जा सकता है। कई जगह शिवालयों में बिल्वपत्र उपलब्ध नहीं हो पाने पर इसके चूर्ण को चढ़ाने का विधान भी है। बिल्वपत्र को औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
बेलपत्र कब तोड़े और घर में लगाना चाहिए बेलपत्र
शास्त्रों के अनुसार, बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता है। चतुर्थी, नवमी, अष्टमी और अमावस्या की तिथियों को बेलपत्र चढ़ाना वर्जित माना गया है। इसके अलावा संक्रांति और सोमवार को भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। पूजा में इस्तेमाल करने के लिए एक दिन पहले तोड़कर रख लें। बेलपत्र का पौधा घर में लगाने से ना केवल सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है बल्कि घर में मां लक्ष्मी का भी आगमन होता है। शिव पुराण के अनुसार जिस स्थान पर बेलपत्र का पौधा लगाया जाता है वह काशी तीर्थ के समान पवित्र और पूजनीय स्थल हो जाता है। इस पौधे को घर में लगाने से घर के सदस्यों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि पर बिल्वपत्र के अलावा ये भी चढ़ायें
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर इन चीजों जल, दूध, दही, शहद, घी, शकर, ईत्र, चंदन, केशर, भांग (विजया औषधि) से शिव भगवान का पूजन करना चाहिए। इससे भगवान शिव की सदैव कृपा बरसती है।
पूजन करते समय इस मंत्र का जप करें-
मन्दारमालांकलितालकायै कपालमालांकितशेखराय।
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नम: शिवायै च नम: शिवाय।।
ऊँ नम: शिवाय।
महाशिवरात्रि पर इन चीजों को चढ़ाने से मिलेगा ये लाभ
- शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर शहद चढ़ाने से हमारी वाणी में मिठास आता है। दूध अर्पित करने से उत्तम स्वास्थ्य मिलता है। दही चढ़ाने से हमारा स्वभाव गंभीर होता है। शिवलिंग पर घी अर्पित करने से हमारी शक्ति बढ़ती है। ईत्र से स्नान करवाने से विचार पवित्र होते हैं।
- शिवजी को चंदन चढ़ाने से व्यक्तित्व आकर्षक होता है। समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। केशर अर्पित करने से हमें सौम्यता प्राप्त होती है। भांग चढ़ाने से हमारे विकार और बुराइयां दूर होती हैं। शक्कर चढ़ाने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।
- शिवलिंग पर तिल चढ़ाने से समस्त पापों का नाश होता है। शिवलिंग पर जौ चढ़ाने से लंबे समय से चली रही परेशानी दूर होती है। शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाने से सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति होती है।
- शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाने से मनुष्य को भौतिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। शिवलिंग पर आंकड़े के फूल चढ़ाने से सांसारिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिवलिंग पर शमी के पेड़ के पत्तों को चढ़ाने से सभी तरह के दु:खों से मुक्ति प्राप्त होती है।
शिवरात्रि के महाउपाय ( Maha Upay)
- महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में संकल्प करके शिवलिंग को दूध से स्नान करवाकर ॐ ओम हीं ईशानाय नम: का जाप करना चाहिए। द्वितीय प्रहर में शिवलिंग को दधि (दही) से स्नान करवाकर ॐ ओम हीं अधोराय नम: का जाप करें।
- दूर तृतीय प्रहर में शिवलिंग को घृत से स्नान करवाकर ॐ ओम हीं वामदेवाय नम: का जाप करें। चतुर्थ प्रहर में शिवलिंग को मधु (शहद) से स्नान करवाकर ॐ ओम हीं सद्योजाताय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
- रुके धन की प्राप्तिः पंचामृत से शिव का अभिषेक करें, 5 चीजें अर्पण करें।ऊं पार्वतीपतये नम: का 108 बार जप करें।
- संतान के लिए: पति-पत्नी दोनों गाय का घी अर्पण करें।फिर एकसाथ दोनो जलाभिषेक करें।11 बिल्वपत्र पर राम-राम लिखकर दूसरी तरफ से अर्पण करें।
- विद्या के लिए: दूध मिश्रित जल एक धारा में चढ़ाएं। ऊं नम: शिवाय का जाप करें। 5मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
- बीमारी के निदान: 4 मुखी बत्ती के साथ गाय के घी में दीपक जलाएं व चावल, दूध के साथ जलाभिषेक करें। नौकरी के लिए: चांदी के लोटे से दूध अर्पण करें, सफेद फूल चढ़ाएं, व शाम को घी का दीपक जलाएं।
- शादी के लिए: शाम को 5-6 पीले वस्त्र धारण करें व उतने ही बिल्वपत्र चढ़ाएं। व दीपक जलाएं।
- दाम्पत्य सुख के लिए: प्रदोष काल में साफ कपड़े पहनकर चांदी के लोटे से कच्चा दूध चढ़ाएं। ऊं नम: शिवाय का जाप करें।सफेद गुलाब का फूल चढ़ाएं व गाय के घी के दीपक जलाएं।
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