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Maha Shivratri 2025 Puja Vidhi: महाशिवरात्रि पर बदल सकती है किस्मत, जानें शुभ मुहूर्त में कैसे करें पूजा

Maha Shivratri Ki Puja Kaise Kare: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना और शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का अत्यंत महत्व है, जो प्रसन्नता में वृद्धि करता है और भक्तों को उनके आशीर्वाद से लाभान्वित करता है। जानते है कब होगा जलाभिषेक

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 26 Feb 2025 6:30 AM IST (Updated on: 26 Feb 2025 6:30 AM IST)
Image-social media,Maha Shivratri
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Maha Shivratri Puja: इस साल अद्भुत संयोग के साथ 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा । कहते हैं इस दिन का भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था और इस दिन व्रत रखने और विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जीवन में सुख समृद्धि आती है।

महाशिवरात्रि की पूजा कैसे करें

महाशिवरात्रि भगवान शिव की उपासना का सबसे बड़ा पर्व है। इस दिन उपवास रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। अगर आप महाशिवरात्रि करने की सोच रहे तो यहां पूजा विधि जानें..

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।व्रत (उपवास) का संकल्प लें और भगवान शिव का ध्यान करें।शिवलिंग (घर में हो तो उत्तम) या मंदिर में जाकर पूजा करें।गंगाजल, कच्चा दूध, दही, शहद, घी और शक्कर (पंचामृत)बिल्वपत्र (बेलपत्र), धतूरा, भांग, चंदनअक्षत (चावल), पुष्प, फल, मिठाईप, दीप, कपूर और नैवेद्य

सबसे पहले शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं।इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से अभिषेक करें।फिर पुनः गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।

शिवलिंग पर चंदन लगाएं और फूल चढ़ाएं।बेलपत्र (3 पत्तों वाला) अर्पित करें, ध्यान रहे कि पत्ते साफ हों।धूप-दीप जलाएं और भगवान शिव का ध्यान करें।

"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।शिवजी की आरती करें और भोग अर्पित करें।

4 प्रहर की पूजा का महत्व है, इसलिए रात्रि में चार बार शिवलिंग पर जल या पंचामृत अर्पित करें।

अगले दिन सुबह स्नान के बाद पुनः भगवान शिव की पूजा करें।ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।फिर उपवास खोलें।

लेकिन महाशिवरात्रि के व्रत में विशेष सावधानियाँ भी बरतें

शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते न चढ़ाएं।

नारियल का जल शिवलिंग पर न चढ़ाएं।

केवल शुद्ध बेलपत्र ही चढ़ाएं।

शिव पूजा में केतकी और केवड़ा के फूल न चढ़ाएं।

शिवरात्रि पर चार पहर चार मंत्र

शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन प्रातः काल उठकर स्नान व नित्यकर्म से निवृत्त होकर भस्मका त्रिपुण्ड तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण कर शिवालय में जाना चाहिए और शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। उसके बाद महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प करना चाहिए। साथ ही इस दिन चार प्रहर के चार मंत्र का जाप करने से महाशिवरात्रि के व्रत का विशेष लाभ मिलता है।

महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में संकल्प करके शिवलिंग को दूध से स्नान करवाकर ॐ ओम हीं ईशानाय नम: का जाप करना चाहिए।

द्वितीय प्रहर में शिवलिंग को दधि (दही) से स्नान करवाकर ॐ ओम हीं अधोराय नम: का जाप करें।

तृतीय प्रहर में शिवलिंग को घृत से स्नान करवाकर ॐ ओम हीं वामदेवाय नम: का जाप करें।

चतुर्थ प्रहर में शिवलिंग को मधु (शहद) से स्नान करवाकर ॐ ओम हीं सद्योजाताय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।

महाशिवरात्री पर ऐसे बढ़ेगी समृद्धि

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को तिल और जौ अर्पित करें और 21 बेल पत्र पर 'ॐ नमः शिवाय' लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद नंदी को हरा चारा खिलाएं। ऐसा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

महाशिवरात्रि पर रात्रि के समय शिव मंदिर जाकर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करें और देसी घी का दीपक जलाएं। पौराणिक कथा के अनुसार, कुबेर देव ने अपने पूर्व जन्म में रात के समय ही शिवलिंग के पास जाकर रोशनी की थी इसलिए वे देवताओं के कोषाध्यक्ष बनाए गए थे। यह उपाय आपकी धन संबंधित समस्याओं से मुक्ति दिलाएगा

महाशिवरात्रि के दिन बेल के पेड़ के नीचे खड़े होकर खीर और गाय का घी दान करना बहुत उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव के साथ महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है ।

महाशिवरात्रि की रात घर पर छोटा सा शिवलिंग बनाकर विधि विधान से अभिषेक करें। साथ ही सच्चे मन से शिव आराधना करने के बाद 108 बार 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें। ऐसा करने से दुख दरिद्रता दूर होती है और करियर में उन्नति के शुभ संयोग बनते हैं। भगवान शिव की कृपा से नौकरी व बिजनेस में चल रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

शिवरात्रि पर जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त

फाल्गुन की महाशिवरात्रि इस साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी 2025 को सुबह 11 . 08 मिनट से होगी। तिथि का समापन अगले दिन यानी 27 फरवरी 2025 को सुबह 08.54 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा।

26 फरवरी 2025 को सुबह 11 . 08 मिनट से होगी

27 फरवरी 2025 को सुबह 08.54 मिनट पर होगा

ब्रह्म मुहूर्त- 26 फरवरी को प्रात: काल में 05:17 से लेकर 06:05 मिनट तक

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - शाम 06:29 से रात 09 बजकर 34 मिनट तक

रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात 09:34 से 27 फरवरी सुबह 12 .39 मिनट तक

रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 27 फरवरी को रात 12:39 से सुबह 03 .45 मिनट तक

रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 27 फरवरी को सुबह 03:45 से 06.50 मिनट तक

26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन श्रवण नक्षत्र बन रहा है जो शाम 5 .08 मिनट तक रहेगा, इस दौरान परिध योग का संयोग भी रहेगा।

अभिजीत मुहूर्त - 12:18 PM – 01:03 PM

विजय मुहूर्त- 05:42 PM से 06:06 PM

गोधूलि बेला- 05:48 PM से 06:12 PM

निशिता काल-11:46 PM से 12:37 AM


नोट : ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है



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