×

Shiv Ji ki Mahima:भूख, भक्ति और भिक्षा- जब महादेव ने समझा अन्न का महत्व, जानिए भगवान शिव ने क्यों लिया था भिखारी का रूप?,

Shiv Ji ki Mahima:जब जब संसार में शिव और शक्ति का अंसतुलन हुआ है, तब तब संसार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। भगवान शिव भी प्रकृति के समक्ष नतमस्तक है।जानते है शिव प्रकृति से जुड़ी अद्भुत कथा जब भोले भंडारी को बनना पड़ा था भिखारी

Suman  Mishra
Written By Suman Mishra
Published on: 25 Feb 2025 9:12 AM IST (Updated on: 25 Feb 2025 10:30 PM IST)
Shiv Ji ki Mahima:भूख, भक्ति और भिक्षा- जब महादेव ने समझा अन्न का महत्व, जानिए  भगवान शिव ने क्यों लिया था भिखारी का रूप?,
X

Shiv Ji ki Mahimaभगवान शिव ने क्यों लिया भिक्षु का रूप: भगवान शिव निर्विकारी परब्रह्म है मोह माया परे भगवान शक्ति के साथ ही पूरे है। बिना प्रकृति के शिव की भक्ति अधूरी है। इस प्रसंग से यह प्रमाणित होता है कि अगर प्रकृति का अंसतुलन बिगड़ा तो उसको संतुलित करने के लिए शिव जी को आगे आना पड़ा था। इस धरा पर समस्त जीव-जंतु अपने जीवन के लिए भोजन पर निर्भर रहते हैं। सनातन हिंदू धर्म में देवी अन्नपूर्णा महिमा अपरंपार है। एक बार अनजाने में भगवान शिव से मां पार्वती नाराज हो गई थी तब अन्नपूर्णा की महिमा को संसार ने जाना । जानते है कथा जब भगवान शिव बने थे भिखारी...

भगवान शिव ने क्यों लिया भिक्षु का रूप

एक बार भगवान शिव और देवी पार्वती पासे का खेल खेल रहे थे। इस खेल में देवी पार्वती ने भगवान शिव द्वारा दांव पर लगाई गई हर चीज जीत ली, जिसमें उनका त्रिशूल, नाग और भिक्षा पात्र भी शामिल थे। खेल समाप्त होने के पश्चात भगवान शिव जंगल की ओर चले गए, जहां उनकी भेंट भगवान विष्णु से हुई। भगवान विष्णु ने उन्हें पुनः खेल खेलने की सलाह दी। इसके बाद भगवान शिव अपने निवास पर लौटेऔर विष्णु जी के सहयोग से सब कुछ वापस जीत लिया।

इस पर देवी पार्वती को संदेह हुआ और बाद में उन्हें ज्ञात हुआ कि भगवान विष्णु ने भगवान शिव की सहायता की थी और पासे उनके नियंत्रण में थे। इससे देवी पार्वती अप्रसन्न हो गईं। तब भगवान शिव ने उन्हें बताया कि भोजन सहित संपूर्ण जीवन एक भ्रम है। मतलब जब मां पार्वती और भगवान शिव बात कर रहे थे तो शिव ने कहा कि जो भी भगवान की भक्ति में होता है, उसे भोजन या प्राकृत की कोई परवाह नहीं होती है। इस पर देवी पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्होंने कहा कि भोजन को माया कहना मुझे माया कहने के समान है। वे चाहती थीं कि संसार उनके महत्व को समझे, अतः वे अंतर्धान हो गईं।

मां पार्वती ने दिखाया भक्ति का सत्य

संसार को यह सत्य दिखाने के लिए उन्होंने इस लोक को त्याग दिया। उनके जाते ही प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया। देवी पार्वती के अंतर्धान होते ही पृथ्वी की समस्त भूमि बंजर हो गई। न मौसम बदला, न अन्न उपजा और न ही जल प्रवाहित हुआ। इससे पृथ्वी पर भयंकर अकाल पड़ गया। लोग भुखमरी से त्रस्त हो गए और भगवान शिव की भक्ति को भी भूल गए। शिव के गण भी भूख से पीड़ित होकर विलाप करने लगे।

इस विपत्ति से मुक्ति पाने के लिए लोगों ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराधना की। भगवान विष्णु ने महादेव को उनकी योगनिद्रा से जगाया और उन्हें समस्त घटनाओं से अवगत कराया। लोगों पीड़ा देखकर भगवान शिव व्याकुल हो उठे और उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ। उन्होंने भिक्षु का रूप धारण कर अपने भक्तों को भोजन कराने के लिए अन्न की भीख मांगनी शुरू की, लेकिन हर कोई असहाय था और किसी के पास देने के लिए कुछ नहीं था।

शिव और माअन्नपूर्णा का दिव्य संबंध

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी

"आदि भिक्षुवु वादी नादिकोरदि, बीदि द्विकाद्विनि यदी आदिगी।"

अर्थात, "भगवान शिव से क्या मांगूं, जो स्वयं भिक्षा मांगते हैं, और मैं उनसे क्या अपेक्षा करूं, जो स्वयं केवल भस्म धारण करते हैं?"

भगवान शिव को ज्ञात हुआ कि माता पार्वती अन्नपूर्णा देवी के रूप में काशी में निवास कर रही हैं देवी पार्वती करुणामयी थीं और संसार के प्राणियों को भूखा नहीं देख सकती थीं, इसलिए वे समस्त भूखों को भोजन कराने लगीं। तो शिव जी भी भिक्षु का वेश धारण कर उनके पास भिक्षा मांगने पहुंचे।

देवी पार्वती ने भगवान शिव को अन्नदान दिया, जिसे भगवान शिव ने यह स्वीकार किया कि आत्मा शरीर में निवास करती है और भूखे पेट किसी को भी मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती। तभी से देवी पार्वती को माता अन्नपूर्णा के रूप में पूजा जाने लगा।

वैसे तो शिव भगवान स्वयं अन्नदाता हैं, इसलिए उनके रहते भोजन की कोई कमी नहीं हो सकती। यदि कभी भगवान शिव को भूख लग जाए और वे भोजन करने लगें, तो संपूर्ण ब्रह्मांड भी उनकी भूख को शांत करने में सक्षम नहीं है शिवाय मां पार्वती के अन्नपूर्णा रूप के।यही कारण है कि माता पार्वती ने अन्नपूर्णा का रूप धारण किया और प्रेममयी पत्नी के रूप में भगवान शिव को भोजन दिया। शिव अपने कटोरे में दिए गए केवल तीन ग्रास से संपूर्ण संसार की क्षुधा को शांत कर दिया।जहां भी मां पार्वती के अन्नपूर्णा रुप के साथ शिवजी की पूजा होती है, वहां कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं होती है।

नोट : ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है

Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story