काशी में भक्तों ने किया भोले बाबा का जलाभिषेक, दर्शन के लिए लंबी कतार में घंटों खड़े रहे लोग

suman
Published on: 24 Feb 2017 6:56 AM GMT
काशी में भक्तों ने किया भोले बाबा का जलाभिषेक, दर्शन के लिए लंबी कतार में घंटों खड़े रहे लोग
X

वाराणासी: तीनों लोक से न्यारी काशी की बात निराली है। इस शहर में हर दिन धार्मिक उत्सव की तरह ही होता है। जब बात महा शिवरात्री की हो ते शहर की हर गली हर चौराहा बम बम बोल रहा काशी और हर हर महादेव के उद्घोष से गूंजता है। रात बारह बजे से ही भक्त दर्शन के लिए लाइन में खड़े रहते हैं। लाखों की संख्या में भक्त बाबा को जल चढ़ाने पहुंचते हैं। काशी में भगवान् शंकर के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व सबसे बड़ा पर्व होता है। माना गया है की शिव पुराण के मुताबिक यह दिन उनके साधकों और भक्तों के लिए मनोकामनाओं की पूर्ति और भक्ति का सबसे उत्तम दिन होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि मनाने का रिवाज इस शहर से ही शुरु हुआ। फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की अराधना करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

आगे...

25 फरवरी की रात्रि में चतुर्दशी तिथि न होने से 24फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व शास्त्र सम्मत है। 24 फरवरी को चतुर्दशी तिथि के शुरू होने के साथ ही भद्रा भी लग जाएगी,लेकिन भद्रा पाताल लोक में होने की वजह से भोले के महाभिषेक में कोई बाधा नहीं होगी, बल्कि यह अत्यंत शुभकारी होता है। इसलिए इस बार की महाशि‍वरात्रि आप चाहे दो दिनों तक मना सकते हैं। हालांकि ज्यादातर लोग 24 फरवरी को ही इसे मनाएंगे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से मोक्ष की प्रा​प्ति होती है। महाशिवरात्रि का अपना एक खास महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विधि विधान के साथ भगवान शिव की अराधना करने से वह बेहद प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। ऐसा तथ्य भी है कि जब माता पार्वती ने उनसे पूछा था कि वह किस चीज से सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं तो भगवान शिव ने कहा कि जब उनके भक्त उनकी अराधना करते हैं तब वह बेहद प्रसन्न होते हैं।

आगे...

इस दिन भगवान शिव के भक्त पूरे दिन का उपवास करते हैं और शिवलिंग का दूध, जल और शहद आदि से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। हिंदू धर्म में लोग इस दिन को काफी शुभ मानते हैं। इस दिन भक्त सच्चे मन से जो प्रार्थना करते हैं भगवान शिव उनकी वह मनोकामना पूर्ण करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन मंदिरों में काफी रौनक देखने को मिलती है।

ऐसी ही एक दूसरी पौराणिक कथा है समुद्र मंथन की। एक बार समुद्र से जहर निकला, सब देवी देवता डर गए कि अब दुनिया का अंत हो जाएगा। इस परेशानी को लेकर सभी देवता शिव जी के पास पहुंचे। तब भगवान शिव ने वह जहर पी लिया । मगर भगवान शिव ने जहर को उन्होंने निगल की बजाय अपने गले में रख लिया जिसकी वजह से शिव जी का गला नीला हो गया और उसे नीलकंठ का नाम दिया गया। शिव ने दुनिया को बचा लिया और इस उपलक्ष्य में भी शिवरात्रि मनाई जाती है।

suman

suman

Next Story