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Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व

Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति से अग्नि तत्त्व की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्त्व की। इस समय सूर्य उत्तरायण होता है। अतः इस समय किये गए जप और दान का फल अनंत गुना होता है ।

Kanchan Singh
Written By Kanchan Singh
Published on: 15 Jan 2024 7:38 AM IST
Makar Sankranti 2024
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Makar Sankranti 2024   (photo: social media )

Makar Sankranti 2024: शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है।

मकर संक्रांति से अग्नि तत्त्व की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्त्व की। इस समय सूर्य उत्तरायण होता है। अतः इस समय किये गए जप और दान का फल अनंत गुना होता है । मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इसी कारण यहाँ पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतएव इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अन्धकार कम होगा। अत: मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी।

मकर संक्रांति पूजा व‍िध‍ि

भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। पानी में तिल मिलाकार स्नान करना चाहिए। अगर संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए। इस द‍िन तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है।इसके बाद भगवान सूर्यदेव की पंचोपचार विधि से पूजा-अर्चना करनी चाहिए । इसके बाद यथा सामर्थ्य गंगा घाट अथवा घर मे ही पूर्वाभिमुख होकर यथा सामर्थ्य गायत्री मन्त्र अथवा सूर्य के इन मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करना चाहिये।

मन्त्र

1- ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:।

2- ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम: , ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम: ।

पूजा-अर्चना में भगवान को भी तिल और गुड़ से बने सामग्रियों का भोग लगाएं। तदोपरान्त ज्यादा से ज्यादा भोग प्रसाद बांटे।

इसके घर में बनाए या बाजार में उपलब्ध तिल के बनाए सामग्रियों का सेवन करें। इस पुण्य कार्य के दौरान किसी से भी कड़वा बोलना अच्छा नहीं माना गया है।

मकर संक्रांति पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण जरूर देना चाहिए

राशि के अनुसार दान योग्य वस्तु

मेष-गुड़, मूंगफली दाने एवं तिल का दान करें।

वृषभ-सफेद कपड़ा, दही एवं तिल का दान करें।

मिथुन-मूंग दाल, चावल एवं कंबल का दान करें।

कर्क- चावल, चांदी एवं सफेद तिल का दान करें।

सिंह-तांबा, गेहूं एवं सोने के मोती का दान करें।

कन्या-खिचड़ी, कंबल एवं हरे कपड़े का दान करें।

तुला-सफेद डायमंड, शकर एवं कंबल का दान करें।

वृश्चिक-मूंगा, लाल कपड़ा एवं तिल का दान करें।

धनु-पीला कपड़ा, खड़ी हल्दी एवं सोने का मोती दान करें।

मकर-काला कंबल, तेल एवं काली तिल दान करें।

कुंभ-काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी एवं तिल दान करें।

मीन-रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल एवं तिल दान करें।

कुछ अन्य उपाय

सूर्य और शनि का सम्बन्ध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण है-

कहते हैं इसी त्यौहार पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं।

आम तौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है।इसलिए यहाँ से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।

अगर कुंडली में सूर्य या शनि की स्थिति ख़राब हो तो इस पर्व पर विशेष तरह की पूजा से उसको ठीक कर सकते हैं।

जहाँ पर परिवार में रोग कलह तथा अशांति हो वहां पर रसोई घर में ग्रहों के विशेष नवान्न से पूजा करके लाभ लिया जा सकता है।

पहली होरा में स्नान करें,सूर्य को अर्घ्य दें।

श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें,या गीता का पाठ करें।

मनोकामना संकल्प कर नए अन्न,कम्बल और घी का दान करें।

लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें।

सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें।

मंत्र "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः"

-संध्या काल में अन्न का सेवन न करें।

तिल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें।

शनि देव के मंत्र का जाप करें।

मंत्र "ॐ प्रां प्री प्रौं सः शनैश्चराय नमः"।

घी,काला कम्बल और लोहे का दान करें।

मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी को, शंका समाधान

मकर संक्रांति का त्योहार हर साल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर पर मनाया जाता है। बीते कुछ वर्षों से मकर संक्रांति की तिथि और पुण्यकाल को लेकर उलझन की स्थिति बनने लगी है। आइए देखें कि यह उलझन की स्थिति क्यों बनी हैं और मकर संक्रांति का पुण्यकाल और तिथि मुहूर्त क्या है। दरअसल इस उलझन के पीछे खगोलीय गणना है। गणना के अनुसार हर साल सूर्य के धनु से मकर राशि में आने का समय करीब 20 मिनट बढ़ जाता है। इसलिए करीब 72 साल के बाद एक दिन के अंतर पर सूर्य मकर राशि में आता है। ऐसा उल्लेख मिलता है कि मुगल काल में अकबर के शासन काल के दौरान मकर संक्रांति 10 जनवरी को मनाई जाती थी। अब सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का समय 14 और 15 के बीच में होने लगा क्योंकि यह संक्रमण काल है।

साल 2012 में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 15 जनवरी को हुआ था । इसलिए मकर संक्रांति इस दिन मनाई गई थी। पिछले कुछ वर्षों में मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई गयी ऐसी गणना कहती है। इतना ही नहीं, करीब पांच हजार साल बाद मकर संक्रांति फरवरी के अंतिम सप्ताह में मनाई जाने लगेगी।

ज्योतिषीय गणना एवं मुहुर्त चिंतामणी के अनुसार सूर्य सक्रान्ति समय से 16 घटी पहले एवं 16 घटी बाद तक का पुण्य काल होता है । निर्णय सिन्धु के अनुसार मकर सक्रान्ति का पुण्यकाल सक्रान्ति से 20 घटी बाद तक होता है किन्तु सूर्यास्त के बाद मकर सक्रान्ति प्रदोष काल रात्रि काल में हो तो पुण्यकाल दूसरे दिन माना जाता है। इस वर्ष भगवान सूर्य देव 14 जनवरी रविवार को रात्रि 02 बजकर 42 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेगें।

सूर्य धनु से मकर राशि में 14 जनवरी को प्रवेश कर रहा है। अतः धर्म सिंधु के मतानुसार-

मकरे पराश्चत्वारिंशत्।।

अर्थात मकर में परली चालीस घड़िया पुण्यकाल है।

इदं मकरकर्कातिरिक्तं सर्व- त्र रात्रिसंक्रमे ज्ञेयम् ॥

अयने तु मकरे रात्रिसंक्रमे सर्वत्र परदिनमेव पुण्यम् ॥

अर्थात-मकर में रात्रि को संक्रांति होय तो सर्वत्र परदिन में पुण्यकाल माना जाता है।

अतः इस वर्ष उदया तिथि में संक्रांति आरम्भ होने के कारण 15 जनवरी सोमवार के दिन संक्रान्ति का पर्व मनाया जाना ही शास्त्रोचित है।

ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार मकर संक्रांति की शुरुआत शतभिषा नक्षत्र के दौरान हो रही है। धनिष्ठा नक्षत्र 14 जनवरी को प्रातः 10 बजकर 21 मिनट तक रहेगा इसके बाद शतभिषा नक्षत्र आरम्भ हो जाएगा। धर्म शास्त्रों के अनुसार शतभिषा नक्षत्र होने पर दान, स्नान, पूजा पाठ और मंत्रों का जाप करने पर विशेष शुभ फल की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति पर शतभिषा नक्षत्र के साथ वरियान योग का निर्माण हो रहा है।

मकर संक्रांति फल

वेदों में सूर्य उपासना को सर्वोपरि माना गया है। जो आत्मा, जीव, सृष्टि का कारक एक मात्र देवता है जिनके हम साक्षात रूप से दर्शन करते है। सूर्य देव कर्क से धनु राशि में 6 माह भ्रमण कर दक्षिणयान होते है जो देवताओं की एक रात्रि होती है। सूर्य देव मकर से मिथुन राशि में 6 माह भ्रमण कर उत्तरायण होते है जो एक दिन होता है। जिसमें सिद्धि साधना पुण्यकाल के साथ-साथ मांगलिक कार्य विवाह, ग्रह प्रवेश, जनेउ, संस्कार, देव प्राण, प्रतिष्ठा, मुंडन कार्य आदि सम्पन्न होते है। सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते है इस सक्रमण को मकर सक्रान्ति कहा जाता है जिसमें स्वर्ग के द्वार खुलते है।

संक्रांति शुभ होगी या अशुभ इसका विचार उसके वाहन एवं उपवाहन से किया जाता है। फिर उसका नाम भी रखा जाता है और फिर देखा जाता है कि वह देश-दुनिया के लिए कैसी रहेगी। माना जाता है कि संक्रांति जो कुछ ग्रहण करती है, उसके मूल्य बढ़ जाते हैं या वह नष्ट हो जाता है। वह जिसे देखती है, वह नष्ट हो जाता है, जिस दिशा से वह जाती है, वहां के लोग सुखी होते हैं, जिस दिशा को वह चली जाती है, वहां के लोग दुखी हो जाते हैं।

इस बार संक्रांति का वाहन अश्व और वस्त्र श्याम यानि काले रंग का होगा, सूर्य देव श्याम वस्त्र पहनें, घोड़े पर सवार होकर दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे, सूर्य देव का उपवाहन सिंहनी है. उनका अस्त्र तोमर है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की दृष्टि नैऋत्य होगीं।दक्षिण-पश्चिम दिशा को नैऋत्य कहते हैं, सूर्य महाराज नैऋत्य दृष्टि से पूर्व दिशा में गमन करेंगे, उनका पुष्प दूर्वा है, मकर संक्रांति पर दूर्वा अर्पित करने से सूर्य देव प्रसन्न होंगे, सूर्य देव के भोग का पदार्थ खिचड़ी है।

मकर संक्रांति 2023 के वाहनादि परिचय

नाम-घोर

वार मुख -पूर्व

दृष्टि -नैऋत्य

गमन-पूर्व

वाहन-अश्व

उपवाहन -सिंहनी

वस्त्र -श्याम

आयुध-तोमर

भक्ष्य पदार्थ -खिचड़ी

गन्ध द्रव्य -जोखर

वर्ण -ब्राह्मिन

पुष्प -दूर्वा

वय-वृद्ध

अवस्था-भुक्ति

करण मुख-ईशान

स्थिति-बैठी

भोजन पात्र -पात्र

आभूषण-घुँघची

कन्चुकी- काली

मकर संक्रान्ति का पुण्यकाल

मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी प्रातः 07:15 से सायं 05:46 तक रहेगा।

मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल प्रातः 07:15 से प्रातः 09:00 तक रहेगा। इस काल

में तिल, गुड़, वस्त्र का दान करना और तर्पण करना पुण्य फलदायी होगा।

संक्रान्ति 2024 फल

नाम के अनुरूप यह संक्रांति जन मांस में कहीं भय कहीं प्रसन्नता का वातावरण लायेगी। चोरों के लिए यह संक्रान्ति शुभ है। बाजार मे वस्तुओं की लागत सामान्य होगी। जीवन में स्थिरता लाएगी। लोग खांसी और ठण्ड से पीड़ित होंगे, राष्ट्रों के बीच संघर्ष होगा और बारिश के अभाव में अकाल की सम्भावना बनेगी।

राशि अनुसार मकर संक्राति का प्रभाव, दान एवं उपाय

मेषः-आपकी राशि से दशम कर्म भाव में गोचर करते हुए सूर्य का प्रभाव आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। जैसी सफलता चाहेंगे हासिल कर सकते हैं। जमीन जायदाद से जुड़े मामले हल होंगे। मकान अथवा वाहन का क्रय करना चाह रहे हों तो उस दृष्टि से भी ग्रह स्थितियां अनुकूल रहेंगी। किसी भी सरकारी टेंडर के लिए आवेदन करना चाह रहे हों तो भी सफलता की संभावना प्रबल रहेगी। शासनसत्ता का पूर्ण सहयोग मिलेगा। उच्चाधिकारियों से संबंध मजबूत होंगे। किए गए कार्यों की सराहना भी होगी।

ॐ सूर्याय नमः का जाप करें । गुड़ व गेहूं का दान करें।

वृषभ-राशि से नवम भाग्य भाव में गोचर करते हुए सूर्य का प्रभाव अच्छा ही रहेगा। काफी दिनों के प्रतीक्षित कार्य संपन्न होंगे। यात्रा देशाटन का लाभ मिलेगा। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा नागरिकता के लिए किया गया प्रयास भी सफल रहेगा। जो लोग आपको नीचा दिखाने की कोशिश में लगे थे वही मदद के लिए आगे आएंगे। कोर्ट-कचहरी के मामलों में भी निर्णय आपके पक्ष में आने के संकेत हैं। धार्मिक ट्रस्टों और अनाथालय आदि में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे और दान पुण्य करेंगे।

कनक (गेंहू) एवं गुड़ का दान करें।

मिथुन-राशि से अष्टम आयु भाव में गोचर करते हुए सूर्यदेव का प्रभाव कई तरह के अप्रत्याशित परिणाम दिलाएगा। मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा की वृद्धि तो होगी किंतु स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। कार्यक्षेत्र में षड्यंत्र का शिकार होने से बचें। आकस्मिक धन प्राप्ति का योग बनेगा। काफी दिनों का दिया गया धन भी वापस मिलने की उम्मीद है। परिवार में अलगाववाद की स्थिति उत्पन्न न होने दें। विवादित मामले कोर्ट-कचहरी से बाहर ही सुलझा लेना समझदारी रहेगी।

गुड़ का हलवा गरीबों को खिलाएं।

कर्र्क-राशि से सप्तम दांपत्य भाव में गोचर करते हुए सूर्य का प्रभाव सामान्य फलकारक ही रहेगा। सफलताओं के बावजूद कहीं न कहीं पारिवारिक कलह और मानसिक अशांति का सामना करना पड़ेगा। दांपत्य जीवन में कड़वाहट न आने दें। अलगाववाद की स्थिति से दूर रहें। वैवाहिक वार्ता सफल होने में थोड़ा और समय लगेगा। अपनी ऊर्जा शक्ति का पूर्ण उपयोग करते हुए कार्य करेंगे तो अधिक सफल रहेंगे। सरकारी विभागों में टेंडर आदि के लिए आवेदन करना सुखद रहेगा।

सिंह-राशि से छठे शत्रु भाव में गोचर करते हुए सूर्य का प्रभाव आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। सोची-समझी सभी रणनीतियां कारगर सिद्ध होंगी। यात्रा देशाटन का लाभ मिलेगा। सरकारी विभागों के प्रतीक्षित कार्य संपन्न होंगे। कोर्ट-कचहरी के मामलों में निर्णय आपके पक्ष में आने के संकेत दिखाई दे रहे हैं। रचनात्मक कार्यों में सफलता मिलेगी। विद्यार्थियों और प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों के लिए समय अपेक्षाकृत चुनौतियों भरा रहेगा इसलिए परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए और प्रयास करें।

गेहूं या बेकरी उत्पाद का दान करें।

कन्या-राशि से पंचम विद्या भाव में गोचर करते हुए सूर्य आपके लिए बेहतरीन सफलता दिलाएंगे। शिक्षा-प्रतियोगिता में तो सफलता मिलेगी ही शोधपरक और आविष्कारक कार्यों में भी अत्यधिक सफल रहेंगे। प्रेम संबंधी मामलों में उदासीनता रहेगी। संतान संबंधी चिंता परेशान कर सकती है। नवदंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग बन रहे हैं। परिवार के वरिष्ठ सदस्यों से सहयोग मिलेगा। उच्चाधिकारियों से संबंध मजबूत होंगे और किए गए कार्यों की सराहना होगी।

गाय को चारा दें। जल में तिल डाल कर स्नान करें। किसी प्रियजन को मोबाइल भेंट करें या जरुरतमंद को दान करें।

तुला-राशि से चतुर्थ सुख भाव में गोचर करते हुए सूर्य का प्रभाव कई तरह के उतार चढ़ाव और अप्रत्याशित परिणामों का सामना करवाएगा। सफलताओं का सिलसिला तो चलता रहेगा किंतु पारिवारिक कलह और मानसिक अशांति के कारण उलझन में रहेंगे। मित्रों तथा संबंधियों से अप्रिय समाचार प्राप्त हो सकते हैं। कष्टकारक यात्रा भी करनी पड़ सकती है। माता-पिता के स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहें। यात्रा सावधानीपूर्वक करें। सामान चोरी होने से बचाएं।

खिचड़ी और खीर का दान करें। इस अवसर पर चांदी खरीदें।

वृश्चिक-राशि से तृतीय पराक्रम भाव में गोचर करते हुए सूर्य का प्रभाव बेहतरीन सफलता दिलाएगा। अपने साहस और पराक्रम के बल पर कठिन परिस्थितियों पर भी आसानी से विजय प्राप्त कर लेंगे। नए लोगों से मेल-जोल बढ़ेगा। परिवार में मांगलिक कार्यों का सुअवसर आएगा। नए मेहमान के आगमन से माहौल खुशनुमा रहेगा। धर्म और आध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी। घूमने फिरने और धार्मिक कार्यों पर भी अधिक खर्च होगा। परिवार के छोटे सदस्यों से मतभेद बढ़ने न दें।

गज्जक , रेवड़ी का दान फलेगा। जल में गुड़ डाल कर सूर्य को अर्पित करें।

धनु-राशि से द्वितीय धन भाव में गोचर करते हुए सूर्य देव का प्रभाव स्वास्थ्य विशेष करके हृदय विकार और दाहिनी आंख से संबंधित समस्याओं का सामना करवा सकता है। परिवार में अलगाववाद की स्थिति उत्पन्न न होने दें। पैतृक संपत्ति संबंधी विवाद हल होंगे। इस अवधि के मध्य किसी को भी अधिक धन उधार के रूप में न दें अन्यथा वह धन समय पर नहीं मिलेगा। घूमने फिरने पर अधिक खर्च होगा। अपनी रणनीतियां तथा योजनाओं को गोपनीय रखते हुए कार्य करेंगे तो अधिक सफल रहेंगे।

खिचड़ी स्वयं बनाकर 9 निर्धन मजदूरों को खिलाएं। नेत्रहीनों को भोजन करवाएं। चने की दाल का दान करें।

मकर-आपकी राशि में सूर्यदेव का आगमन किसी वरदान से क म नहीं है। मान सम्मान तथा पद और गरिमा की वृद्धि होगी। चुनाव संबंधी कोई निर्णय लेना चाह रहे हों तो उस दृष्टि से भी सफल रहेंगे। केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों के प्रतीक्षित कार्य संपन्न होंगे। किसी भी तरह के टेंडर आदि के लिए आवेदन करना चाह रहे हों तो उस दृष्टि से भी ग्रह स्थितियां अनुकूल रहेंगी। स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहें, विशेष करके शरीर में कैल्शियम की कमी न होने दे और शारीरिक पीड़ा से सावधान रहें।

गरीबों में सवा किलो चावल और सवा किलो काले उड़द या इसकी खिचड़ी दान करें। तांबे के बर्तन धर्मस्थान पर दान दें।

कुंभ-राशि से बारहवें व्ययभाव में गोचर करते हुए सूर्य का प्रभाव बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है। अत्यधिक भाग दौड़ और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है इसलिए खर्च के प्रति चिंतनशील रहें। वैवाहिक वार्ता में थोड़ा और समय लगेगा। इस अवधि के मध्य किसी को भी अधिक धन उधार के रूप में न दें अन्यथा वह धन समय पर नहीं मिलेगा। उच्चाधिकारियों से संबंध बिगड़ने न दें। किसी दूसरे देश के लिए वीजा आदि का आवेदन करना चाह रहे हों तो उस दृष्टि से समय सर्वथा अनुकूल रहेगा।

मरीजों को मीठा दलिया खिलाएं। काला सफेद कंबल या गर्म वस्त्र दान करें।

मीन-राशि से एकादश लाभ भाव में गोचर करते हुए सूर्य का प्रभाव बेहतरीन सफलता कारक रहेगा। संतान संबंधी चिंता दूर होगी। नवदंपति के लिए संतान प्राप्ति के भी योग। परिवार के वरिष्ठ सदस्यों तथा बड़े भाइयों से भी सहयोग मिलेगा। काफी दिनों का प्रतीक्षित कार्य संपन्न होगा। आर्थिक पक्ष और मजबूत होगा। जमीन-जायदाद से संबंधित समस्याओं का भी हल होगा। मकान अथवा वाहन क्रय करना चाह रहे हों तो उस दृष्टि से भी परिस्थितियों आपके पक्ष में होंगी। समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

तिल के लडडू या बेसन से बनी चीजें दान करें।

( लेखिका प्रख्यात ज्योतिषी हैं ।)

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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