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Makar Sankranti 2024: क्यों मकर संक्रांति के दिन बनाई जाती है खिचड़ी, क्यों इसका दान करना और खाना होता है ज़रूरी
Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति का दिन बेहद खास माना गया है। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है और खिचड़ी खाने और दान करने का भी रिवाज़ है आइये जानते हैं ऐसा क्यों है।
Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति का सनातन धर्म में विशेष महत्त्व है। इस दिन से ही रातें छोटी और दिन बड़े होने शुरू हो जाते हैं और सर्दी का मौसम धीरे धीरे विदा लेने लगता है। इस दिन उरद की दाल और चावल की बनी खिचड़ी खाने का अपना महत्त्व है साथ ही साथ इससे पहले सभी पापड़, तिल गुड़ या तिल से बने लड्डू, चावल, उरद दाल सभी कुछ दान करते हैं। ऐसे में आइये जानते हैं ऐसा आखिर होता क्यों है।
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी दान करना और खाना क्यों है ज़रूरी
मकर संक्रांति ताजे कटे हुए अनाज का उपभोग करने का समय है, जिसे पहले देवताओं को अर्पित किया जाता है और फिर खाया जाता है। आयुर्वेद में खिचड़ी खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये हल्की और आसानी से पचने वाली डिश है। खिचड़ी खाने का तात्पर्य ये है कि ये शरीर को मौसम में बदलाव, सर्दी की ठंडी हवा से लेकर वसंत की आगामी गर्मी तक के लिए तैयार करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसे में तापमान शुष्क ठंडे से गर्म होता जाता है और शरीर असंतुलन के प्रति संवेदनशील हो जाता है। इस प्रकार, खिचड़ी शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करने के साथ-साथ पेट भरने के लिए एक आदर्श व्यंजन है।
आपके स्वास्थ्य के लिए इसके लाभों के अलावा, मकर संक्रांति पर खिचड़ी पकाना और खाना एकता का प्रतीक है, क्योंकि ये ताजे कटे चावल, दाल, मौसमी सब्जियों और मसालों सहित सभी सामग्रियों को एक साथ मिलाकर एक ही बर्तन में पकाया जाता है। ये जीवन और पुनर्जनन की प्रक्रिया का प्रतीक है, जो आगे चलकर नए फसल वर्ष की शुरुआत का संकेत भी देता है।
आयुर्वेद भी इस दिव्य दिन पर तिल और गुड़ का सेवन करने का सुझाव भी दिया जाता है। संक्रांति और तिल (तिल) का मतलब एक ही हैं क्योंकि ये त्योहार आमतौर पर 'तिल संक्रांति' के नाम से भी जाना जाता है। तिल के बीज में नकारात्मकता को अवशोषित करने और 'सत्व' - शुद्धता, अच्छाई और सद्भाव में सुधार करने की क्षमता होती है।