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Mangal Devata Koun Hai: मंगल देवता कौन है, 21 प्रभावशाली चमत्कारी मंत्र क्या है जिसके जप से नहीं बनेंगे कर्जदार

Mangal Devata Koun Hai: मंगल देवता कौन है, मां सीता के भाई कैसे है। इनके ईष्टदेव कौन है और इनसे जुड़ी पूरी बातें जानिए यहां...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 8 May 2024 1:34 PM IST (Updated on: 9 May 2024 11:37 AM IST)
Mangal Devata Koun Hai: मंगल देवता कौन है, 21 प्रभावशाली चमत्कारी  मंत्र क्या है जिसके जप से नहीं बनेंगे कर्जदार
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Mangal Devata Koun Hai मंगल देवता कौन है: मंगलदेव ही मंगल ग्रह के देवता है और उनका वार भी मंगलवार ही होता है। मंगल दोष की शांति हेतु उनकी भी पूजा की जाती है। मंगल ग्रह के स्वामी हनुमान जी होते हैं. हनुमान जी के इष्ट देव. प्रभु श्री राम को भी माना जाता है, एक जन्म के अनुसार इन्हे माता सीता का भाई भी मानते है। और इस वजह से उनका श्रीराम से भी संबंध है जानते हैं कि मंगलदेव कौन है।

मंगलदेव की उत्पति कैसे हुई थी

स्कंदपुराण के अवंतिका खण्ड में मंगल ग्रह की उत्पत्ति का प्रमाण मिलता है। एक समय उज्जयिनी पुरी में अंधक नाम से प्रसिद्ध दैत्य राज्य करता था। उसके महापराक्रमी पुत्र का नाम कनक दानव था। एक बार उस महाशक्तिशाली वीर ने युद्ध के लिए इन्द्र को ललकारा तब इन्द्र ने क्रोधपूर्वक उसके साथ युद्ध कर उसे मार गिराया। उस दानव को मारकर वे अंधकासुर के भय से भगवान शंकर को ढूंढते हुए कैलाश पर्वत पर चले गए। इन्द्र ने भगवान चंद्रशेखर के दर्शन कर अपनी अवस्था उन्हें बताई और रक्षा की प्रार्थना की, भगवन! मुझे अंधकासुर से अभय दीजिए। इन्द्र का वचन सुनकर शरणागत वत्सल शिव ने इंद्र को अभय प्रदान किया और अंधकासुर को युद्ध के लिए ललकारा, युद्ध अत्यंत घमासान हुआ, और उस समय लड़ते-लड़ते भगवान शिव के मस्तक से पसीने की एक बूंद पृथ्वी पर गिरी, उससे अंगार के समान लाल अंग वाले भूमिपुत्र मंगल का जन्म हुआ। अंगारक, रक्ताक्ष तथा महादेव पुत्र, इन नामों से स्तुति कर ब्राह्मणों ने उन्हें ग्रहों के मध्य प्रतिष्ठित किया, तत्पश्चात उसी स्थान पर ब्रह्मा जी ने मंगलेश्वर नामक उत्तम शिवलिंग की स्थापना की। वर्तमान में यह स्थान मंगलनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, जो उज्जैन में स्थित है।

ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार वाराह कल्प में दैत्य राज हिरण्यकश्यप का भाई हिरण्याक्ष पृथ्वी को चुरा कर सागर में ले गया। भगवान् विष्णु ने वाराह अवतार ले कर हिरण्याक्ष का वध कर दिया तथा रसातल से पृथ्वी को निकाल कर सागर पर स्थापित कर दिया जिस पर परम पिता ब्रह्मा ने विश्व की रचना की। पृथ्वी सकाम रूप में आ कर श्री हरि की वंदना करने लगी जो वाराह रूप में थे। पृथ्वी के मनोहर आकर्षक रूप को देख कर श्री हरि ने काम के वशीभूत हो कर दिव्य वर्ष पर्यंत पृथ्वी के संग रति क्रीडा की। इसी संयोग के कारण कालान्तर में पृथ्वी के गर्भ से एक महातेजस्वी बालक का जन्म हुआ जिसे मंगल ग्रह के नाम से जाना जाता है। देवी भागवत में भी इसी कथा का वर्णन है।

मंगल देव और उनके चमत्कारी 21 नाम

मंगल देव को भूमि का पुत्र माना जाता है। माता सीता को भी भूमि की पुत्री माना जाता है। मंगल देव मंगल ग्रह के देवता हैं और उन्हें युद्ध का देवता की माना जाता है। मंगल देव का रंग लाल है। मंगल ग्रह का भी रंग लाल होने के कारण उसे अंगारक भी कहा जाता है। कई जगह पर मंगलदेव को ब्रह्मचारी माना गया है लेकिन कुछ जगह पर उनकी संगिनी ज्वालिनी देवी को माना गया है। मंगल देव का वाहन भेड़ है और वे हाथों में त्रिशूल, गदा, पद्म और भाला या शूल धारण किए हुए हैं। मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामी है। मंगल देव की प्रकृति तमस गुण वाली है। मंगल साहस, आत्मविश्वास और अहंकार का प्रतिनिधित्व करते हैं।

मंगल देवता का पूजन करें इन नामों से- मंगल,

भूमिपुत्र, ऋणहर्ता, धनप्रदा,

स्थिरासन, महाकाय, सर्वकामार्थ साधक,

लोहित, लोहिताक्ष, सामगानंकृपाकर,

धरात्मज, कुंजा, भूमिजा,

भूमिनंदन, अंगारक, भौम,

यम, सर्वरोगहारक, वृष्टिकर्ता,

पापहर्ता, सर्वकामफलदाता।मंगल ग्रह देव के इन 21 नामों को जपने और धरती पर अर्घ्य देकर प्रार्थना करें तो जीवन में कभी भी कर्ज नहीं लेंगे हर काम में आत्मनिरभर बलशाली बने रहेंग

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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