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Mangal Ke Upay Hindi: मंगल देव का अंगारक नाम क्यों पड़ा ? उपाय और दान के बारे में जानें

Mangal Ke Upay Hindi: मंगल ग्रह बलवान और साहसी ग्रह है, इसके जातक में भी ये गुण मौजूद होता है, लेकिन इसकी अशुभ अवस्था घातक होती है, कुछ उपायों से इन्हें शांत भी किया जाता है.... जानते

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 9 May 2024 5:26 PM IST
Mangal Ke Upay Hindi: मंगल देव का अंगारक नाम क्यों पड़ा ? उपाय और दान के बारे में जानें
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Mangal Dev Ka Mantra: नवग्रह में मंगल का स्थान सूर्य के दक्षिण में ‘त्रिकोण में स्थापित है । मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है । शुभ स्थान का मंगल धन-सम्पत्ति के अलावा जुझारुपन, साहस व नेतृत्व शक्ति देता है मंगल । अशुभ स्थिति में वैवाहिक जीवन को प्रभावित करता है । मंगल ने मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन में स्त्री-सम्बन्धी कष्ट दिया ।

भगवान वाराह ने रसातल से पृथ्वी का उद्धार कर उनको अपनी कक्षा में स्थापित कर दिया । इससे पृथ्वी देवी की इच्छा भगवान को पति रूप में पाने की हो गई । यद्यपि वाराह भगवान का तेज करोड़ों सूर्यों के समान था; किन्तु पृथ्वी देवी की कामना पूर्ति के लिए उन्होंने मनोरम रूप धारण कर लिया और उनके साथ दिव्य वर्ष तक एकान्त में रहे । भगवान वाराह से पृथ्वी देवी को ‘मंगल’ नामक पुत्र की उत्पत्ति हुई जो ‘मंगल देवता’ या ‘मंगल ग्रह’ के नाम से जाने जाते हैं । पृथ्वी के पुत्र होने से वे भौम, भूमि-पुत्र और महासुत के नाम से भी जाने जाते हैं । इनका रंग लाल होने से ये ‘लोहित’ और अंगारक भी कहलाते हैं ।

रक्तमाल्याम्बरधर: शक्तिशूलगदाधर: ।

चतुर्भुज: रक्तरोमा वरद: स्याद् धरासुत: ।। (मत्स्यपुराण ९४।३)

अर्थात्—पृथ्वी के पुत्र मंगल की चार भुजाएं हैं, शरीर के रोयें लाल हैं । इनके हाथों में शक्ति, त्रिशूल, गदा और वरदमुद्रा हैं । इन्होंने लाल मालाएं और लाल वस्त्र धारण कर रखे हैं ।

मंगल देव का अंगारक नाम क्यों पड़ा ?

मंगल ने काशीपुरी में जाकर अपने नाम से एक शिवलिंग (अंगारकेश्वर) स्थापित किया और वहां तब तक तपस्या करते रहे, जब तक कि उनके शरीर से जलते हुए अंगार के समान तेज नहीं निकला । अंगार के समान तेज प्रकट होने से वह संसार में ‘अंगारक’ नाम से प्रसिद्ध हुए । भगवान शिव ने इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें ग्रह का पद प्रदान किया ।

मंगल देव का वाहन

सोने से बने मंगल देवता के रथ में लाल रंग के आठ घोड़े जुते हुए हैं । रथ पर अग्नि से उत्पन्न ध्वज लहराता रहता है । इस रथ पर बैठ कर मंगल देवता कभी सीधी तो कभी वक्रगति से विचरण करते हैं । किन्हीं ग्रंथों में इनका वाहन मेष (भेड़ा) बताया गया है ।

मंगल देव के मन्त्र

ॐ क्राँ क्रीं क्रों स: भौमाय नम: ।

ॐ अं अंगारकाय नम: ।

ॐ भौं भौमाय नम: ।

भौम गायत्री—ॐ अंगारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौम प्रचोदयात् ।

भौम गायत्री का जप ब्रह्म-मुहुर्त में करने से वह विशेष रूप से फलदायी होता है ।

मंगल के लिए क्या दान करें

मंगल दोष की शान्ति के लिए मंगलवार को इन चीजों का दान करे—मसूर की दाल, गेहूँ, मूंगा, रक्त चंदन, लाल वस्त्र, लाल पुष्प, तांबा, सोना, केसर, कस्तूरी और सामर्थ्यानुसार दक्षिणा । दान में श्रद्धा और सामर्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है । अत: जितनी चीजों का दान बन पड़े, श्रद्धा-भाव से करने पर उससे ही सभी देवता-ग्रह-नक्षत्र प्रसन्न हो जाते हैं ।

मंगल देव के लिए उपाय

हनुमानजी की आराधना (हनुमान चालीसा, सुंदरकाण्ड का पाठ और हनुमानजी को चोला चढ़ाने) से मंगल देवता संतुष्ट हो जाते हैं और अशुभ फल नहीं प्रदान करते हैं ।

रुद्राभिषेक से मंगल ग्रह के विपरीत प्रभाव की शांति होती है ।

मंगल देवता के नामों का पाठ करने से ऋण से मुक्ति मिलती है ।

तांबे के भौम-यन्त्र को हनुमानजी की मूर्ति या चित्र के सामने रख कर उसकी लाल पुष्प और लाल चंदन से पूजा करने से शीघ्र ही मंगल ग्रह की अशुभता दूर होने लगती है ।

मंगल ग्रह के कुप्रभावों की तीव्रता कम करने में ‘अंगारक कवच’ का पाठ भी विशेष फलदायी है ।

स्कन्दपुराण में मंगल देवता की प्रसन्नता के लिए ‘मंगल स्तोत्र’ या ‘अंगारक स्तोत्र’ का वर्णन है; जो इस प्रकार है—

अंगारक: शक्तिधरो लोहितांगो धरासुत: ।

इस स्तोत्र का भाव है कि धरतीपुत्र मंगल आप ऋण हरने वाले और रोगनाशक हैं । रक्त वर्ण, रक्तमालाधारी, ग्रहों के नायक आपकी आराधना करने वाला अपार धन और पारिवारिक सुख पाता है ।

ब्रह्माण्डपुराण में मंगल-ग्रह की पीड़ा दूर करने के लिए यह श्लोक बताया गया है

भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा ।

वृष्टिकृद् वृष्टिहर्ता च पीडां हरतु मे कुज: ।।

अर्थात्—भूमि के पुत्र, महान तेजस्वी, जगत को भय प्रदान करने वाले, वृष्टि (वर्षा) करने वाले तथा वृष्टि न करने वाले मंगल ग्रह मेरी पीड़ा का हरण करें ।

ऋण-मुक्ति व संतान-सुख के लिए मंगल व्रत करें

मंगलवार के दिन लाल वस्त्र धारण कर ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:’ मन्त्र की ७, ५, ३ (जितनी हो सकें) माला का जाप करें ।

भोजन में गुड़ का प्रयोग करें । नमक नहीं खाना चाहिए ।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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