×

Margashirsh Purnima ka Mahatva: मार्गशीर्ष पूर्णिमा दिसंबर में कब है, जानते हैं इस दिन का महत्व, शुभ मुहूर्त और उपाय

Margashirsh Purnima ka Mahatva : दिसंबर में मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि यानि बतीसी पूर्णिमा कब है। इस दिन चंद्रदेव और भगवान शिव की पूजा ओर व्रत किया जाता है। जानते है कब है यह पूर्णिमा...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 12 Dec 2024 11:30 AM IST (Updated on: 12 Dec 2024 11:30 AM IST)
Margashirsh Purnima ka Mahatva: मार्गशीर्ष पूर्णिमा दिसंबर में कब है, जानते हैं इस दिन का महत्व, शुभ मुहूर्त और उपाय
X

Margashirsha Purnima 2024 मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब है

इस साल 2024 में 15 दिसंबर के दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा है। धर्मानुसार हर माह की शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि पूर्णिमा कहलाती है। ज्योतिषनुसार, इस पूर्णिमा की रात को चंद्रमा भी ग्रहों की मजबूत स्थिति में रहता है। इस दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन दान का फल अन्य पूर्णिमा व दिनों की तुलना में 32 गुना अधिक प्राप्त होता है। इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत शनिवार, 14 दिसंबर को शाम 4 .58 मिनट पर शुरू होगी। वहीं तिथि का समापन रविवार, 15 दिसंबर को रात 2 . 31 मिनट पर होगी। जिसके अनुसार पूर्णिमा तिथि का व्रत 15 दिसंबर को किया जाएगा। वहीं 15 दिसंबर को चंद्रोदय शाम 5 .14 मिनट पर होगा। इस बार स्नान-दान कर पूर्णिमा का फल मिलेगा।

मार्गशीर्ष माह का बत्तीसी पूर्णिमा

धर्मानुसार पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और चंद्र देव की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान् सत्यनारायण की कथा का पाठ करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस दिन गरीब और जरूरतमंदों को किए गए दान का पुण्य न केवल जातक को, बल्कि उसके पूर्वजों को भी मिलता है। अगर कोई जातक सच्चे मन से पूरे विधि विधान के साथ इस व्रत को करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को दूध से अर्घ्य देने पर मानसिक शांति मिलती है। साथ ही घर और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पूर्णिमा पर चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को कच्चे दूध के साथ मिश्री और चावल मिलाकर अर्पण करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। इससे परिवार में हमेशा धन-संपत्ति बनी रहती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा की विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर के पूरे घर में सफाई के बाद गौमूत्र छिड़के। घर के बाहर रंगोली बनाएं और मुख्य द्वार पर बंदनवार लगाएं।अगर संभव हो तो पूजा के स्थान पर गाय के गोबर से लीपें और गंगाजल छिड़कें। तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं और प्रणाम कर के तुलसी पत्र तोड़ें। ताजे कच्चे दूध में गंगाजल मिलाकर भगवान विष्णु-लक्ष्मी और श्रीकृष्ण एवं शालिग्राम का अभिषेक करें। अबीर, गुलाल, अक्षत, चंदन, फूल, यज्ञोपवित, मौली और अन्य सुगंधित पूजा सामग्री के साथ भगवान की पूजा करें और तुलसी पत्र चढ़ाएं।इसके बाद सत्यनारायण भगवान की कथा कर के नैवेद्य लगाएं और आरती के बाद प्रसाद बांटें।

पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की दूध से अर्घ्य देने पर मानसिक शांति का वरदान मिलता है। चंद्र देव की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, सभी कष्ट दूर होते हैं और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।. पूर्णिमा पर चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को कच्चे दूध में मिश्री और चावल मिलाकर अर्घ्य अर्पित करें।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर न करें ये काम

पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठे, बाद में न उठं

इस दिन लहसुन, प्याज, मांसाहार, शराब और अन्य तामसिक चीजों से दूर रहें।

पूर्णिमा के दिन दोपहर में न सोएं और झूठ न बोलें।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर करें ये काम

पवित्र स्नान:पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना शुभ माना गया है। यदि ऐसा संभव न हो, तो घर पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इससे सभी पाप दूर होते हैं।

तुलसी पूजन:भगवान श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी जी की पूजा करें। शाम के समय तुलसी के पास शुद्ध घी का दीपक जलाएं।

मुख्य द्वार सजाना:घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। साथ ही, आम के पत्तों की तोरण लगाएं। यह माता लक्ष्मी को प्रसन्न करता है।

मंत्र जाप:नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें:

"ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये,

धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा।"

इन उपायों से सुख, शांति और धन की प्राप्ति होती है।

दोस्तों देश और दुनिया की खबरों को तेजी से जानने के लिए बने रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story