Margashirsha Amavasya 2022 Aaj: मार्गशीर्ष अमावस्या पर जरूर करें ये काम, जानिए धार्मिक महत्व, इस दिन किस काम को करने ही है मनाही

Margashirsha Amavasya 2022 Aaj: कार्तिक, भाद्रपद की अमावस्या की तरह ही मार्गशीर्ष अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा, स्नान, दान और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। और मुक्ति का मार्ग खुलता है। इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या पर स्नान-दान के साथ मां लक्ष्मी का पूजन और व्रत करें तो फल जरूर मिलेगा

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 23 Nov 2022 12:45 AM GMT (Updated on: 23 Nov 2022 2:06 AM GMT)
Margashirsha Amavasya 2022 Aaj: मार्गशीर्ष अमावस्या पर जरूर करें ये काम, जानिए धार्मिक महत्व, इस दिन किस काम को करने ही है मनाही
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सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Margashirsha Amavasya 2022 Date

मार्गशीर्ष अमावस्या 2022 डेट

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मार्गशीर्ष अमावस्या कहा जाता है।इस साल यह अमावस्या 23 नवंबर को मनाया जायेगा। यह अमावस्या मार्गशीर्ष माह में आती है, इसे अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, स्नान, दान-धर्म आदि कार्य किये जाने का विधान है। मार्गशीर्ष अमावस्या पर देवी लक्ष्मी का पूजन करना भी शुभ माना जाता है। इसे अगहन अमावस्या और पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है यह माह माता लक्ष्मी को बहुत प्रिय है, इस वजह से इसमें लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की अमावस्या पर लक्ष्मी पूजन और व्रत रखने से पापों का नाश होता है।


मार्गशीर्ष अमावस्या 2022 मुहूर्त

बता दें कि इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवंबर बुधवार को मनाई जाएगी।मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि- हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 23 नवंबर दिन बुधवार को मनाई जाएगी।

नवंबर 23, 2022 को 06:56:08 से अमावस्या आरम्भ।

नवंबर 24, 2022 को 04:29:16 पर अमावस्या समाप्त

मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत विधि

इस दिन व्रत रखने से पितरों का पूजन और व्रत रखने से उनका आशीर्वाद मिलता है। इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं-प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। स्नान के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें व गायत्री मंत्र का पाठ करें। कुल परंपरा के अनुसार भगवान विष्णु या भगवान शिव का पूजन करें। नदी के तट पर पितरों के निमित्त तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें। पितरों के तर्पण के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या का बड़ा महत्व है।मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। पूजा-पाठ के बाद भोजन और वस्त्र आदि का यथाशक्ति किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान करें।

मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व

मार्गशीर्ष माह में ही भगवान कृष्ण ने गीता का दिव्य ज्ञान दिया था, इसीलिए इस माह की अमावस्या तिथि को अत्यधिक लाभकारी और पुण्य फलदायी मानी जाती है। मार्गशीर्ष अमावस्या को पितरों की पूजा करने का विशेष दिन माना गया है। इसी के ऐसी मान्यताएं है कि इस दिन पूजन और व्रत से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है।मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत करने से कुंडली के दोष दूर होते हैं। अमावस्या पर गंगा स्नान का भी विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाने से इंसान के सारे पाप मिट जाते हैं।

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करना चाहिए और अपने पितरों के निमित्त तर्पण व दान करना चाहिए। संभव हो तो इस व्रत रखें और क्षमता अनुसार, जरूरतमंदों में अन्न, वस्त्र आदि का दान करें। संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

मार्गशीर्ष अमावस्या पर क्या करें, क्या नहीं करें

  • इस दिन उपवास रखना चाहिए। जानकार इसके साथ ही सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए
  • मंगलवार और मार्गशीर्ष अमावस्या के संयोग पर पितरों के लिए पूजा और दान करना चाहिए।
  • इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।
  • नकारात्मकता से बचने के लिए इस दिन हनुमान मंदिर दर्शन के लिए जाना चाहिए।
  • मन और शरीर को पवित्र बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए। पूरे दिन नियम और संयम से रहना चाहिए।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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