Margashirsha Amavasya 2023: मार्गशीर्ष अमावस्या 2023 किस दिन है, जानिए इस दिन का धार्मिक महत्व

Margashirsha Amavasya 2023: मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन नियम को पालन करें और जानिए किस दिन है यह खास दिन...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 8 Dec 2023 3:30 AM GMT (Updated on: 8 Dec 2023 6:46 AM GMT)
Margashirsha Amavasya 2023: मार्गशीर्ष अमावस्या  2023 किस दिन है, जानिए इस दिन का धार्मिक महत्व
X

Margashirsha Amavasya 2023 मार्गशीर्ष अमावस्या 2023 : इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या 12 दिसंबर को है। यह अमावस्या मार्गशीर्ष माह में आती है, इसे अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मार्गशीर्ष अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, स्नान, दान-धर्म आदि कार्य किये जाने का विधान है।

मार्गशीर्ष अमावस्या पर देवी लक्ष्मी का पूजन करना शुभ माना जाता है। इसे अगहन अमावस्या और पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है यह माह माता लक्ष्मी को बहुत प्रिय है, इस वजह से इसमें लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की अमावस्या पर लक्ष्मी पूजन और व्रत रखने से पापों का नाश होता है।

मार्गशीर्ष अमावस्या 2023 मुहूर्त

बता दें कि इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या 12 दिसंबर को मनाई जाएगी।

मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि- मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि 12 दिसंबर को सुबह 06 . 24 मिनट पर शुरू होगी

13 दिसंबर को 05 .01 मिनट पर समाप्त होगी।

मार्गशीर्ष अमावस्या पर धृति योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 06.52 मिनट तक है। इस योग में स्नान-ध्यान पूजा करने से कई गुना फल प्राप्त होगा।

ब्रह्म मुहूर्त - 05 . 15 मिनट से 06 . 09 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 .58 मिनट से 02 . 40 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 . 22 मिनट से 05 .50 मिनट

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11. 48 मिनट से 12 . 42 मिनट तक

मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत विधि

इस दिन व्रत रखने से पितरों का पूजन और व्रत रखने से उनका आशीर्वाद मिलता है। इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं-प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। स्नान के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें व गायत्री मंत्र का पाठ करें। कुल परंपरा के अनुसार भगवान विष्णु या भगवान शिव का पूजन करें। नदी के तट पर पितरों के निमित्त तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें। पितरों के तर्पण के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या का बड़ा महत्व है।मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। पूजा-पाठ के बाद भोजन और वस्त्र आदि का यथाशक्ति किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान करें।

मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व

मार्गशीर्ष माह में ही भगवान कृष्ण ने गीता का दिव्य ज्ञान दिया था, इसीलिए इस माह की अमावस्या तिथि को अत्यधिक लाभकारी और पुण्य फलदायी मानी जाती है। मार्गशीर्ष अमावस्या को पितरों की पूजा करने का विशेष दिन माना गया है। इसी के ऐसी मान्यताएं है कि इस दिन पूजन और व्रत से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है।मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत करने से कुंडली के दोष दूर होते हैं। अमावस्या पर गंगा स्नान का भी विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाने से इंसान के सारे पाप मिट जाते हैं।

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करना चाहिए और अपने पितरों के निमित्त तर्पण व दान करना चाहिए। संभव हो तो इस व्रत रखें और क्षमता अनुसार, जरूरतमंदों में अन्न, वस्त्र आदि का दान करें। संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story