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Margashirsha Purnima 2023: किस दिन पड़ रहा है मार्गशीर्ष पूर्णिमा,जानिए उपाय और क्यों कहते हैं इसे बत्तीसी पूर्णिमा

Margashirsha Purnima 2023: साल के 12 पूर्णिमा में सबसे खास है मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा, इस दिन किए गए कामों का 32 गुणा फल मिलता है। जानिए कब है -मार्गशीर्ष पूर्णिमा

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 22 Dec 2023 8:45 AM IST (Updated on: 22 Dec 2023 8:45 AM IST)
Margashirsha Purnima 2023: किस दिन पड़ रहा है मार्गशीर्ष पूर्णिमा,जानिए उपाय और क्यों कहते हैं इसे बत्तीसी पूर्णिमा
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Margashirsha Purnima 2023 हिंदू पंचांग में मार्गशीर्ष पूर्णिमा विशेष तिथि के रूप में देखा जाता है। हर माह की शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि पूर्णिमा कहलाती है। ज्योतिषानुसार, इस पूर्णिमा की रात को चंद्रमा भी ग्रहों की मजबूत स्थिति में रहता है। इस पूर्णिमा पर तुलसी की जड़ की मिट्टी से पवित्र सरोवर में स्नान करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

बत्तीसी पूर्णिमा क्यों कहते हैं

इस दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन दान का फल अन्य पूर्णिमा व दिनों की तुलना में 32 गुना अधिक प्राप्त होता है। इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि इस साल 26 दिसंबर, मंगलवार की सुबह 5.46 मिनट से शुरू होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 27 दिसंबर, बुधवार की सुबह 6.2 मिनट पर हो जाएगा. उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए 26 दिसंबर के दिन ही मार्गशीर्ष पूर्णिमा मनाई जाएगी। इसी दिन पूर्णिमा का व्रत (Purnima Vrat) रखेंगे।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पूजा विधि

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूरे विधि-विधान से पूजा-आराधना की जाती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ माना जाता है। पूर्णिमा पर विशेष रूप से पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ होता है। जो नदी तक जाकर स्नान नहीं कर पाते वे पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और व्रत का संकल्प लिया जाता है।

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर के पूरे घर में सफाई के बाद गौमूत्र छिड़के। घर के बाहर रंगोली बनाएं और मुख्य द्वार पर बंदनवार लगाएं।अगर संभव हो तो पूजा के स्थान पर गाय के गोबर से लीपें और गंगाजल छिड़कें। तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं और प्रणाम कर के तुलसी पत्र तोड़ें। ताजे कच्चे दूध में गंगाजल मिलाकर भगवान विष्णु-लक्ष्मी और श्रीकृष्ण एवं शालिग्राम का अभिषेक करें। अबीर, गुलाल, अक्षत, चंदन, फूल, यज्ञोपवित, मौली और अन्य सुगंधित पूजा साम्रगी के साथ भगवान की पूजा करें और तुलसी पत्र चढ़ाएं। इसके बाद सत्यनारायण भगवान की कथा कर के नैवेद्य लगाएं और आरती के बाद प्रसाद बांटे

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर नहीं करें ये सब

इस दिन तामसिक चीजों जैसे लहसुन, प्याज, मांसाहार, मादक वस्तुएं और शराब से दूर रहें। दिन में न सोएं और झूठ न बोलें।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के उपाय

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा की जाती है। स्नान के बाद सफेद वस्त्र धारण करके आचमन करते हुए ॐ नमोः नारायण कहकर, श्री हरि का आह्वान करें। इसके बाद श्री हरि को आसन, गंध और पुष्प आदि अर्पित करें। अब पूजा स्थल पर एक वेदी बनाकर हवन में अग्नि जलाएं। इसके बाद हवन में तेल, घी और बूरा आदि की आहुति दें। हवन समाप्त होने पर सच्चे मन में भगवान का ध्यान करें। व्रत के दूसरे दिन गरीब लोगों या ब्राह्मणों को भोजन करवाकर और उन्हें दान-दक्षिणा दें।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन जो कोई भी व्यक्ति अपने पितरों का तर्पण करता है। उन्हें पितृदोष से मुक्ति मिलती है और उनका उद्धार होता है। वंश वृद्धि के साथ सूर्य-चंद्रमा जनित दोष भी दूर होते हैं।

पूर्णिमा पर पीपल पेड़ लगाना चाहिए। माना जाता है कि इससे बृहस्पति ग्रह का अशुभ फल भी कम होने लगता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर सूर्योदय के बाद जल में दूध, तिल मिलाकर उसे सीचें और फिर 7 बार परिक्रमा करें। मान्यता है इससे परिवार में मंगल, उन्नति, विकास और समृद्धि बनी रहती है।

घर में सोने या चांदी का सिक्का लाना बहुत शुभ होता है। मान्यता है इससे लक्ष्मी घर पधारती है। श्रीयंत्र में माता लक्ष्मी का वास माना गया है। इसके घर में होने से आर्थिक संकट दूर होता है। कौड़ी, कुबेर यंत्र, एकाक्षी नारियल को पूर्णिमा पर घर लाने से धन खींचा चला आता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर तिल, गुड़, घी, फल, अन्न, कंबल आदि का दान करें. इससे ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म होते हैं।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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