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Mauni Amavasya ka Mahatva aur Daan:मौनी अमावस्या के दिन दान पुण्य तो मिलेगा अक्षय फल, जानिए राशि के अनुसार उपाय
Mauni Amavasya ka Mahatva aur Daan : मौनी अमावस्या के दिन क्या होता है खास, क्यों करते है इस दिन स्नान दान। अगर इस दिन राशि के अनुसार इस दिन करते हैं दान पुण्य तो मिलेगा अक्षय फल
Mauni Amavasya Ka Mahatva aur Daan
मौनी अमावस्या का महत्व और दान
माघ माह ही अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहते हैं। इस अमावस्या के समय पितृदेव और श्री हरि विष्णु की पूजा के साथ ही सूर्य को अर्घ्य देने का भी महत्व है। इस बार मौनी अमावस्या पर 30 साल बाद बहुत ही दुर्लभ योग बन रहे हैं। इस दौरान दान, तीर्थ यात्रा, भागवत गीता का श्रवण आदि का विशेष महत्व होता है। इस तिथि को सूर्य और चंद्रमा गोचर वश मकर राशि में आते हैं, इसलिए यह दिन संपूर्ण शक्ति से भरा है। इस दिन श्रवण नक्षत्र और व्यतिपात योग का संयोग होने से महोदय योग बन रहा है। यह योग 4 घंटे 4 मिनट रहेगा। इस योग में तीर्थस्थल पर स्नान, पूजन, दान-पुण्य करना कई गुना अधिक शुभ फल देता है।जानते हैं कि दुर्लभ योग और शुभ मुहूर्त।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार मौनी अमावस्या पर शनिवार होने के साथ शनि अमावस्या रहेगी। इसी के साथ ही शनि महाराज 3 दिन पहले ही कुंभ राशि में गोचर कर जाएंगे। शनिदेव के कुंभ राशि में मौजूद होने पर शनिवार को मौनी अमावस्या रहेगी। इस साल शनि पूरे 30 साल बाद कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। इस दृष्टि से, 30 वर्ष बाद मौनी अमावस्या को महापर्व के रूप में मनाया जाएगा।इसी के साथ ही मकर राशि में सूर्य, शुक्र की युति और त्रिकोण की स्थिति खप्पर योग का निर्माण कर रही है। जब भी इस प्रकार की युति बनती है तो अलग-अलग प्रकार के योग-संयोग भी बनते हैं।
- अमावस्या प्रारंभ: सुबह 06 बजकर 19 मिनट से।
- अमावस्या समापन: 22 जनवरी, 2023 की रात 02 बजकर 25 मिनट पर।
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 05:27 से 06:20 तक।
- अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:11 से 12:54 तक।
- गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:48 से 06:15 तक।
- सर्वार्थ सिद्धि योग : पूरे दिन
मौनी अमावस्या पर राशि के अनुसार उपाय
- मेष राशि ग्रह मंगल है इसलिए मौनी अमावस्या के दिन इस राशि के जातक तिल और गेहूं का दान करें। साथ ही सरसों के तेल का दीपक जलाएंऔर पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करें। ऐसा करने से जीवन खुशहाल रहता है।
- वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है। इसलिए इस राशि के जातक को जौ और चीनी का दान करना चाहिए। इससे रोजगार और व्यवसाय में सफलता मिलती है।
- मिथुन राशि का स्वामी बुध हैं। इस राशि के जातक किसी भी महिला को हरे रंग का वस्त्र दान दें इस दिन अगर संभव हो तो किन्नरों का आशीर्वाद अवश्य लें।
- कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है इसलिए इस दिन किसी जरूरतमंद को सफेद रंग के वस्त्र दान करें और साथ ही उन्हें सफेद रंग का खाद्य पददार्थ जैसे चावल, दूध, या सफेद मिठाई भी दान करें।
- सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं इसलिए अमावस्या के दिन छाता, जूता, गेहूं, धार्मिक पुस्तकें और धन का दान करना चाहिए। इसस् धन संबंधित समस्या भी दूर हो जाएगी। मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होगी।
- कन्या राशि का स्वामी बुध है इसलिए कन्या राशि के जातको को पशुओं को हरा चार खिलाना चाहिए। साथ ही दालें, तिलकुट, आदि का दान भी करना चाहिए।
- तुला राशि का स्वामी शुक्र हैं इस दिन कन्याओं को खीर खिलानी चाहिए। ऐसा करने से जातक के भौतिक सुखों में वृद्धि होने की संभावाना होती है।
- वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है और इस दिन इस राशि के जातकों को तांबे की वस्तुएं दान करनी चाहिए। ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और शत्रुओं का भी नाश होता है।
- धनु राशि की स्वामी गुरु हैं । इस दिन चने की दाल,गुड़, शहद आदि का दान किसी मंदिर में करें। ऐसा करने से आपको हर सुख की प्राप्ति होती है।
- मकर राशि का स्वामी शनि है और इसलिए मौनी अमावस्या के दिन काले रंग की वस्तुओं का दान करें। ऐसा करने से आपकी धन संबंधित समस्या भी दूर हो जाएगी।
- कुंभ राशि का स्वामी शनि है , इस दिन लोहे का सामान, तिल और सरसों के तेल का दान करना चाहिए। ऐसा करने से आपके व्यवसाय में आ रही सभी समस्याएं दूर होंगी।
- मीन राशि का स्वामी गुरु हैं। इस राशि के जातकों को पीला चंदन, चना और कंबल दान में देना चाहिए। ऐसा करने से मीन राशि के जातकों के जीवन में कभी भी आर्थिक समस्या नहीं आएगी और दाम्पत्य जीवन भी मधुर बना रहेगा।
मौनी अमावस्या का महत्व
स्कंद पुराण में माघी मौनी अमावस्या के महत्व को बताया गया है कि इस दिन गुड़, घी, तिल और शहद युक्त खीर गंगा में डालने से पितर 100 वर्षों तक तृप्त बने रहते हैं। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन गंगा स्नान के बाद तिल, आंवला, सोना या दूध देने वाली गाय का दान करने से शनि के अशुभ फलों से मुक्ति मिलती है। मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान और व्रत करने से पुत्र की आयु लंबी होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से सो अश्वमेध यज्ञ और एक हजार राजसूया यज्ञ के बराबर फल मिलता है। इस दिन पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
मनु ऋषि का जन्म इसी दिन हुआ था, इसलिए इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। मनु ऋषि को ब्रह्मा का मानस पुत्र माना जाता है। मकर राशि, सूर्य तथा चंद्रमा का योग इसी दिन होता है, इसलिए इस अमावस्या का महत्व और बढ़ जाता है। इस दिन प्रण कर लें कि झूठ नहीं बोलेंगे, छल-कपट नहीं करेंगे। बेकार की बातों से दूर रहकर मन को सबल बनाने की कोशिश करना चाहिए। इससे मानसिक शांति मिलती है। ब्रह्मदेव तथा गायत्री मंत्र का जाप और पाठ करना चाहिए।
मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितर संगम में स्नान करने आते हैं और यहां देव और पितरों का संगम होता है। मौनी अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। ज्योतिष में मौनी अमावस्या को पितृ दोष से मुक्ति पाने के कई आसान उपाय बताए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि इन उपायों को करने से पितर प्रसन्न होते हैं और सुख समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं।
मौनी अमावस्या के दिन तिल का गो बनाकर सभी सामग्रियों समेत दान करने से सात जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता है। मौनी अमावस्या के दिन शाम को किसी पीपल की जड़ में जल और गाय का दूध चढ़ाने और उसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने एवं पीपल का पूजन करना चाहिए, क्योंकि पीपल में सभी देवों का वास माना जाता है, अत: इस दिन पीपल वृक्ष के पूजन सभी तरह के पितरों का आशीर्वाद मिलता है और पापों से मुक्ति मिलती है। पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करें और सफेद रंग की मिठाई अर्पित करें।
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