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मिट्टी का करवा और ज्योतिष: करवा चौथ पर मिट्टी का करवा और चांद का रहस्य, करें यह काम पति का बढ़ेगा प्यार

Mitti ka Karwa: मिट्टी के करवा में पांच तत्व होते है जल, हवा , मिट्टी, अग्नि, व आकाश । इससे ही हमारा शरीर भी बना है। करवा में मिट्टी व पानी मिलाया जाता है। मिट्टी और पानी भूमि और जल का प्रतीक हैं।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 24 Oct 2021 7:00 AM IST (Updated on: 24 Oct 2021 7:15 AM IST)
Mitti ka Karwa
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Mitti ka Karwa: करवा चौथ कार्तिक मास ( Kartik Maas) के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। महिलाएँ इस दिन सोलह श्रृंगार कर निर्जला व्रत रखती है और माता करवा और चांद ( Moon) से अपने अमर सुहाग का वरदान मांगती है। करवा चौथ पर चांद की पूजा के पीछे यही उद्देश्य है कि चांद की तरह ही पति भी दीर्घायु और चमकते रहे।

करवा चौथ पर मिट्टी का करवा

मतलब साफ है कि करवा चौथ खुशहाल वैवाहिक जीवन और पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है। चांद व छलनी की तरह ही करवा चौथ में मिट्टी के करवे की जरूरत होती है। महिलाएं मिट्टी के करवे से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। मिट्टी के करवे से ही महिलाएं क्यों पीती है पानी जानते हैं...

मिट्टी के करवा में पांच तत्व होते है जल, हवा , मिट्टी, अग्नि, व आकाश । इससे ही हमारा शरीर भी बना है। करवा में मिट्टी व पानी मिलाया जाता है। मिट्टी और पानी भूमि और जल का प्रतीक हैं। करवे का आकार दे देने के बाद इसे धूप और हवा में रखा जाता है ताकि ये जल्दी सूख जाए, ये आकाश और वायु का प्रतीक है। इसके बाद करवे को आग में तपा कर पक्का किया जाता है जो अग्नि का प्रतीक है। एक करवा तैयार करने में पांचों तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है।

सृष्टि भी इन्ही पांचों तत्वों से मिलकर बनी है और इसी वजह से मिट्टी के करवे का भी महत्व बढ़ जाता है चांद दर्शन हो जाने के बाद मिट्टी के करवे से पानी पिलाया जाता है और इस तरह पांचों तत्वों का समावेश शरीर में होता है। जो स्वस्थ वैवाहिक जीवन की खुशहाली का प्रतीक है।

करवा चौथ पर चांद की पूजा

करवा चौथ व्रत चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही समाप्त होता है। इस दिन पति की लंबी उम्र की कामना के लिए चांद की पूजा की जाती है। धार्मिक ग्रंथों में लिखा गया है कि चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का रूप है जिसकी उपासना करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। चंद्रमा को लंबी आयु का वरदान मिला है जिसके पास रूप, शीतलता और प्रेम और प्रसिद्धि है इसलिए सुहागिन स्त्रियां चंद्रमा की पूजा करती हैं जिससे ये सारे गुण उनके पति में भी आ जाए। चंद्रमा शांति प्रदान करता है और मानसिक शांति से संबंध मजबूत होते हैं। चंद्रमा शिव जी की जटा का गहना है इसलिए दीर्घायु का भी प्रतीक है।

करवा चौथ पर पति का नहीं कम होगा प्यार

करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर को रखने वाली महिलाओं को काले और सफेद कपड़े नहीं पहनने चाहिए। करवा चौथ के दिन लाल और पीले कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है। साथ ही अगर वैवाहिक जीवन में प्यार की कमी है। पति-पत्नी में न बने तो करवा चौथ के दिन ऐसे पा सकते हैं इस समस्या से निदान..

  • पति पत्नी में मतभेद या कोई गलतफमी हो गई है तो करवा चौथ के दिन 11 गोमती चक्रों को लाल रंग की सिंदूर की डिब्बी में रखकर अपने बेडरूम मे छुपाकर रखें । यह उपाय पति या पत्नी दोनों में से कोई भी कर सकता है। कुछ ही दिनों मे लाभ होगा।
  • जिन महिलाओं के पति सदा नाराज रहते है, उन्हें पूजा के समय अपने पति का ध्यान करते हुए "ॐ नमः लोक वंशकराय कुरु कुरु स्वाहा" मंत्र जाप करना चाहिए।
  • करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करने का बहुत ही खास महत्व है। चंद्रमा को शीतलता और पूर्णता का प्रतीक माना जाता है और इससे मिली मानसिक शांति से रिश्ते मजबूत होते हैं। यह भी देखा गया है कि ज्यादातर लोग जो मोक्ष को प्राप्त हुए हैं वह भी चंद्रमा वाले दिन यानी पूर्णिमा वाले दिन ही प्राप्त हुए है। जैसे समुद्र को चंद्रमा नियंत्रित करता है वैसे ही हमारे मन को भी चंद्रमा नियंत्रित करता है।
  • अगर पति पराई स्त्री की तरफ आकर्षित हो तो सोलह श्रृंगार के साथ चावल किसी जरूरतमंद सुहागन को दें।इससे आपका पति के साथ बना रहता है।
  • ऊं सोम सोमाय: नम: का जाप इस दिन करें इससे पति का प्यार बढ़ता है। और भोजन करने से पहले गाय को खिलायें।
  • करवा चौथ के दिन पति-पत्नी एक ही थाल में में खाएँगे तो नाराजगी कम होगी।


Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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