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Mohini Ekadashi Vrat 2022: एकादशी व्रत को माना जाता है मोक्ष का द्वार

Mohini Ekadashi Vrat: आस्था के मुताबिक इस व्रत को रखने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। आज 12 मई को मोहिनी एकादशी है।

Preeti Mishra
Published on: 12 May 2022 10:25 AM GMT (Updated on: 12 May 2022 11:37 AM GMT)
Mohini Ekadashi Vrat: Ekadashi fast is considered to be the door of salvation
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मोहिनी एकादशी व्रत: Photo - Social Media

Mohini Ekadashi Vrat 2022: एकादशी एक ऐसा व्रत (ekadashi vrat 2022) है जिसे मोक्ष दायनी माना जाता है। अर्थात मृत्यु के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति के उद्देश्य से यह व्रत किया जाता है। इसके अलावा संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी इस व्रत का खास महत्व माना जाता है। मान्यतााओं के अनुसार जो भी दंपति इस व्रत को पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ करता है उसे संतान सुख प्राप्त होता है।

आस्था के मुताबिक इस व्रत को रखने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। आज 12 मई को मोहिनी एकादशी है। बृहस्पतिवार होने के कारण इस एकदशी का महत्त्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। चूँकि एकादशी में भगवान विष्णु की ही पूजा होती है और बृहस्पतिवार को विष्णु भगवान का ही दिन माना जाता है। इसलिए आज के मोहिनी एकादशी का महत्त्व थोड़ा ज्यादा माना गया है।

गौरतलब है कि प्रत्येक माह में दो एकादशी होते हैं। जिनमें एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी मानी जाती है। भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी (aja ekadashi) और शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी के भी नाम से जाना जाता हैं। हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का काफी महत्व बताया गया है।

एकादशी के व्रत के नियम

एकादशी के व्रत के नियम (ekadashi vrat niyam) काफी सख्त होते है। यह व्रत दसवीं तिथि के सूर्यास्त के बाद से शुरू होकर एकादशी के अगले दिन सूर्योदय तक बना रहता है। इस दरमियान इसमें खाने-पीने की कई चीजों का विशेष ध्यान रखना भी जरूरी होता है। मान्यताओं के अनुसार एकादशी का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए व्रत के नियमों का सख्ती से पालन करना जरुरी होता है।

व्रत के नियम

एकादशी व्रत के नियम बहुत ही कठिन होते हैं। कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार यह व्रत कर सकता है। मान्यताओं के मुताबिक एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी की शाम से ही मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए। इतना ही नहीं चने या चने के आटे से बनी चीज से भी परहेज करना जरुरी होता है। इसके अलावा इस दिन शहद खाने से भी बचना चाहिए।

एकादशी के व्रत करने वाले लोगों को दशमीं के दिन से ही ब्रह्मचार्य व्रत का पूर्ण रूप से पालन करना जरुरी होता है। बता दें कि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु (lord vishnu on ekadashi vrat) को ही समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ उन्हें प्रसन्न करने के लिए धूप, फल, फूल, दीप, पंचामृत आदि भी अर्पित करते हैं। बेहद महत्वपूर्ण बात यह है कि एकादशी व्रत करते समय मन में क्रोध और द्वेष भावना नहीं रखनी चाहिए।

एकादशी के व्रत का भोजन (ekadashi vrat bhojan)

एकादशी के व्रत में अन्न नहीं खाया जाता है। बल्कि इसमें सिर्फ मीठे फलहार ही किये जाते हैं। कुछ लोग तो एकादशी का व्रत निर्जला( बिना पानी पीये ) भी करते हैं, जिसे निर्जला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत के दिन इन सामग्रियों का उपभोग किया जा सकता है। जिनमें

- ताजे फल,

- मेवे,

- चीनी,

- कुट्टू,

- नारियल,

- जैतून,

- दूध,

- अदरक,

- काली मिर्च,

- सेंधा नमक,

- आलू,

- साबूदाना,

- शकरकंद आदि का सेवन किया जा सकता है। ध्यान रहें कि एकादशी व्रत का भोजन पूरी तरह से सात्विक ही होना चाहिए।

Shashi kant gautam

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