Mokshada Ekadashi 2022 Aaj Hai: कब है मोक्षदा एकादशी का व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त विधि और मोक्षदायिनी कथा

Mokshada Ekadashi 2022 Date Kab Hai: भगवान विष्णु की पूजा के लिए मोक्षदा एकादशी का व्रत सभी व्रतों में उत्तम है। इस दिन व्रत कर श्री हरि विष्णु का पूजन करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। साथ ही जातक को कर्मों के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद वह मोक्ष को प्राप्त होता है। जानते हैं इस साल मोक्षदा एकादशी की तिथि, व्रत पारण समय और महत्व...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 3 Dec 2022 11:45 PM GMT (Updated on: 4 Dec 2022 12:12 AM GMT)
Mokshada Ekadashi 2022 Aaj Hai: कब है मोक्षदा एकादशी का व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त विधि और मोक्षदायिनी कथा
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सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Mokshada Ekadashi 2022 Date Kab Hai:

मोक्षदा एकादशी 2022 डेट कब है

मोक्षदा एकादशी का ही समय चल रहा था। इसलिए इसे गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है इस दिन रखे गए व्रत से मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। मोक्ष को प्राप्त करने के लिए इस व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। इस व्रत को करने से अनंत गुना फल मिलता है। इसलिए इसे पूरे विधि विधान से करना चाहिए और पूरे अनुष्ठानों का पालन करना चाहिए। भारत के कुछ राज्यों में इस एकादशी से संबंधित परंपराएं कुछ अलग होती हैं।

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। ये एकादशी मोक्ष की प्रार्थना के लिए मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी से आशय मोह को नाश करने वाली एकादशी से है। शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि जो व्यक्ति मोक्षदा एकादशी का व्रत करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला दूसरा कोई भी व्रत नहीं है। मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत कर श्री हरि विष्णु का पूजन करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। साथ ही जातक को कर्मों के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद वह मोक्ष को प्राप्त होता है। जानते हैं इस साल मोक्षदा एकादशी की तिथि, व्रत पारण समय और महत्व...

मोक्षदा एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 03 दिसंबर 2022, दिन शनिवार को प्रात: 05 बजकर 39 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 04 दिसंबर रविवार को प्रात: 05 बजकर 34 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर मोक्षदा एकादशी का व्रत 03 दिसंबर को रखा जाएगा।

मोक्षदा एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त

  • मोक्षदा एकादशी तिथि प्रारम्भ : 03 दिसंबर 2022, 05 .39 मिनट
  • मोक्षदा एकादशी तिथि समाप्त : 04 दिसंबर रविवार को प्रात: 05. 34 मिनट पर
  • अभिजीत मुहूर्त -11:55 AM – 12:37 PM
  • अमृत काल – 03:49 AM – 05:27 AM
  • ब्रह्म मुहूर्त – 05:20 AM – 06:08 AM
  • विजय मुहूर्त-01:34 PM से 02:17 PM
  • गोधूलि बेला- 04:57 PM से 05:21 PM
  • रवि योग – 07:04 AM से 06:16 AM, Dec 04
  • मोक्षदा एकादशी व्रत पारण समय: 04 दिसंबर को दोपहर 01.20 मिनट से दोपहर 03 .27 मिनट तक

मोक्षदा एकादशी का महत्व

मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जो भी जातक पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करता है, उसे मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है।इस एकादशी में भगवान श्री विष्णु को पूजा जाता है, इसलिए हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व होता है। यह दिन पितरों के पूजन के लिए भी उत्तम माना जाता है। कहा जाता है इस दिन विधि विधान से किए कर्मकांड से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है और उनका आर्शीवाद मिलता है। इसी दिन जब अर्जुन अपने कर्तव्य पथ से विचलित हो रहे थे तब विष्णु अवतार श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में 45 मिनट तक गीता का उपदेश अर्जुन को दिया था। मोक्षदा एकादशी के दिन गीता को पढ़ा जाता है और उसमें दिए गए उपदेशों को जीवन में धारण किया जाता है।

मोक्षदा एकादशी व्रत में इन नियमों का रखें ध्यान


जो लोग मोक्षदा एकादशी का व्रत नहीं करते हैं, उन्हें इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।


मोक्षदा एकादशी को पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि जागरण करते हुए श्री हरि विष्णु का स्मरण करना चाहिए।


एकादशी व्रत को कभी हरि वासर समाप्त होने से पहले पारण नहीं करना चाहिए।


शास्त्रों में द्वादशी समाप्त होने के बाद व्रत का पारण करना पाप के समान माना जाता है।


यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो रही हो तो इस स्थिति में सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जा सकता है।


द्वादशी तिथि के दिन प्रातः पूजन व ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए।


मोक्षदा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में वैखानक नाम का एक राजा गोकुल नाम के नगर पर राज करता था। यह राजा अपनी प्रजा का पुत्र की भी भांति ध्यान रखता था। राजा के राज्य में रहने वाले कई ब्राह्मणों को चारों वेदों का ज्ञान था। राजा को रात्रि में ऐसा स्वप्न आया जिससे कि वह चित्त भयभीत हो उठा। उसने अपने उस स्वप्न में अपने पूर्वजों को नरक में दुख भोगते हुए पाया। कष्टों को सहन करते समय राजा के पूर्वज उसे नरक से मुक्त कराने की विनती कर रहे थे। ऐसा दृश्य देखकर राजा बहुत दुखी हुए।

राजा ने एक प्रसिद्ध विद्वान के पास जाकर अपना स्वप्न विस्तार से बताया और इसके उपाय के बारे में पूछा। राजा ने कहा वह अपने पितरों की शांति के लिए कोई भी तप, दान, पूजा और व्रत आदि कर सकते हैं। कृपा करके इसका जो भी उपाय हो उसे मुझे बताएं। तब ब्राह्मणों ने राजा को पर्वत ऋषि के आश्रम में जाने का सुझाव देते हुए कहा कि वह भूत और भविष्य के ज्ञाता है वह अवश्य की आपकी समस्या का समाधान कर देंगे।

ऐसा सुनकर राजा शीघ्र की उस आश्रम के लिए निकल गया। तब उस मुनि ने राजा को बताया कि तुम्हारे भूतकाल में किए गए पाप के कारण तुम्हारे पूर्वज नरक में दुख भोग रहे हैं। यदि तुम अपने परिवार सहित मार्गशीर्ष में आने वाले एकादशी के व्रत को करोगे तो उससे प्राप्त पुण्य से तुम्हारे पितर नरक से मुक्त हो जाएंगे। राजा ने ऋषि को दंडवत प्रणाम किया और उनके द्वारा बताए गए मोक्षदा एकादशी के व्रत को किया। वायपेय यज्ञ के समान फल देने वाले इस व्रत को करने से राजा के पूर्वजों को स्वर्ग प्राप्त हुआ। इस व्रत को करने से सभी कष्टों का नाश हो जाता है। मोक्ष की प्राप्ति के लिए इस व्रत को सबसे उत्तम माना गया है।



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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