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करवा चौथ की रात चंद्रदर्शन का क्यों है महत्व, जानिए इसमें छिपा रहस्य
करवा चौथ आते ही विवाहित महिलाएं रोमांचित हो जाती है। ज्यादातर महिलाएं ये व्रत रखती है और चांद देखन के बाद व्रत तोड़ती है। पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाने वाला करवा चौथ व्रत चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही समाप्त होता है तो आखिर क्यों करवाचौथ में चंद्रमा की पूजा होती है?
जयपुर: करवा चौथ आते ही विवाहित महिलाएं रोमांचित हो जाती है। ज्यादातर महिलाएं ये व्रत रखती है और चांद देखन के बाद व्रत तोड़ती है। पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाने वाला करवा चौथ व्रत चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही समाप्त होता है तो आखिर क्यों करवाचौथ में चंद्रमा की पूजा होती है?
पौराणिक कथानुसार जिस दिन भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग किया गया था उस समय उनका सिर सीधे चंद्रलोक चला गया था। ऐसा माना जाता है कि आज भी उनका वह सिर चंद्रलोक में है। प्रथम पूज्य गणपति जी की पूजा हमेशा सबसे पहले की जाती है, इसलिए उनका सिर चंद्रलोक में होने के कारण चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा के बाद चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और कार्तिकेय की पूजा होती है। मां पार्वती को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त था। ऐसे में मां पार्वती की पूजा कर महिलाएं अखंड सौभाग्य का आर्शीवाद मांगने के लिए उपवास रखती हैं कुछ अन्य कारण भी है उपनिषद् में इसका उल्लेख है। चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का रूप हैं। इनकी पूजा और उपासना से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
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मान्यता के अनुसार भगवान शिव के द्वारा चंद्रमा को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। चांद प्रेम और प्रसिद्धि का प्रतीक होता है यही वजह है कि सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करती हैं ताकि उनके आशीर्वाद से सारे गुण उनके पति के अन्दर आ जाए। चंद्रमा की पूजा करने के संबंध में भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करते समय मनोवैज्ञानिक कारण बताए थे कि चांद में जो काली छाया पड़ती है दरअसल वह विष है जो उनके भाई की है।समुद्र मंथन में चांद और विष दोनो निकले थे। चांद ने विष को अपने ह्रदय में स्थान दिया है जिसके कारण चांद में दाग दिखता है। यह चांद की विशेषता है जिसके कारण इनकी पूजा की जाती है। यदि किसी कारण से पति-पत्नी दूर हो जाते हैं तो चंद्रमा की विष से भरी हुए किरणें उन्हें अधिक कष्ट पहुंचाती हैं। यही कारण है करवा चौथ के दिन महिलाएं पूजा करती हैं ताकि उन्हें अपनी पति से वियोग सहन न करना पड़े।
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इन गुणों के कारण पूज्य
*चंद्रमा के पास रूप, शीतलता और प्रेम और प्रसिद्धि है, शिवजी ने चंद्रमा को अपनी जटाओं में धारण किया। उन्हें लंबी आयु का वरदान मिला है। ऐसे में महिलाएं चंद्रमा की पूजा कर यह सभी गुण अपने पति में समाहित करने की प्रार्थना करती हैं।
* कुंडली में चंद्रमा अगर ठीक स्थान पर ना हों तो मानसिक और शारीरिक पीड़ा मिलती है। ऐसे में चंद्रमा की पूजा से मानसिक शांति मिलती है और सेहत अच्छी रहती है। महिलाएं इस दिन चंद्रमा की पूजा कर अपने पति के लिए सेहत और दीर्घायु का वरदान मांगती हैं। संबंधों की मजबूती के लिए इस व्रत का समापन चंद्रदर्शन के साथ होता है।
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