TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Moral Story: तुम से ही तो मैं हूं....माँ

Moral Story: मोहन अक्सर ही यह सवाल मां से पूछता और मां जवाब में बस मुस्कुरा देती थी। लेकिन आज मोहन ने ठान लिया था वो बिना जवाब जाने मानने वाला नही है। आखिर बेटे की जिद के आगे मां ने कहा,”हमारे जमाने मे जन्मदिन कहां मनाया जाता था मोहन बेटा।

By
Published on: 30 March 2023 9:58 PM IST
Moral Story: तुम से ही तो मैं हूं....माँ
X

Moral Story: मम्मी.....आपका जन्मदिन कब आता है ? बारह साल के मोहन ने अपनी मां से पूछा। मां ने उसकी इस बात पर मुस्कुरा दिया। मोहन अक्सर ही यह सवाल मां से पूछता और मां जवाब में बस मुस्कुरा देती थी। लेकिन आज मोहन ने ठान लिया था वो बिना जवाब जाने मानने वाला नही है। आखिर बेटे की जिद के आगे मां ने कहा,”हमारे जमाने मे जन्मदिन कहां मनाया जाता था मोहन बेटा। पहले के लोगों को तो तारीख भी याद नही रहती थी। आज कल ये सब चीजें चलन में आई हैं। पहले हमारे बुजुर्ग माता पिता बच्चों के जन्म होली से एक महीना पहले हुआ था। या ये दशहरे के दो दिन बाद। दीवाली पर हुई थी। या उस दिन पूर्णिमा थी। यही कुछ याद रखते थे। सच कहूं तो मुझे याद नही है मोहन।

मां की बात सुन के मोहन सोच में पड़ गया। “ मम्मी मेरा जन्मदिन कितने धूमधाम से मानती है। तरह-तरह के पकवान बनाती है। केक कटता है, पार्टी होती है। काश ! मैं भी अपनी मम्मी का जन्मदिन मना पाता। देखते-देखते समय बीतता गया। बारह वर्ष का मोहन आज 35 साल का एक सफल बिजनेसमैन बन गया। इन तेइस साल में बहुत कुछ बदल गया था। उसकी सुधा से शादी हो गई थी। आराध्या जैसी एक प्यारी बिटिया उनकी जिंदगी में आ गई थी।

मां आज भी मोहन के साथ रहती थी। कलतक जो मां मोहन की हर पसंद नापसंद का ख्याल रखती थी आज मोहन अपनी मां का रखता था। वैसे घर शहर गाडी वक्त और उम्र बदल चुके थे। बस एक ही चीज नही बदली थी वो थी मां का प्यार। वो आज भी अपने बेटे मोहन का जन्मदिन धूमधाम से मनाती। बुढ़ापे की वजह से वो ज्यादा भाग दौड़ तो नही कर पाती थी। लेकिन मोहन के पसंद की हर चीजे बनाती, अनाथालय जा कर वहां के बच्चो में मिठाइयां और केक बटवाती। मंदिर में जा कर गरीबों को भोज करवाती। जब मोहन पैदा हुआ था तब मां की खुशी का ठिकाना नही था। पहली बार मां बनने का एहसास उसे मोहन ने ही तो करवाया था, जब वो रुई की तरह मखमल सा बेटा उसकी गोद मे आया था वो दुनिया ही भूल गई थी।

सारी खुशी एक तरफ और मां बनने की खुशी एक तरफ। इसीलिए उसे मोहन के जन्मदिन से बेहद लगाव है। मोहन के बिजनेस शुरू करते ही वो अपने काम में व्यस्त हो गया। वो मां को अधिक समय भी नही दे पाता था। वैसे तो सुधा बहुत अच्छी बहु थी वह अपनी मां स्वरूप सासूमां का ख्याल रखती थी। रोज देर से आनेवाला मोहन आज शाम को जल्दी घर आ गया था। देखा तो सुधा आराध्या को होमवर्क करा रही थी। अचानक आराध्या ने सुधा से पूछा "मम्मा आपका बर्थडे कब आता है। सुधा ने जवाब दिया "जिस दिन मेरी आरु का बर्थडे आता है उसी दिन मम्मा का भी बर्थडे आता है। क्योंकि आराध्या जब आई तभी तो मैं मम्मा बनी। दोनों की बात सुन के मोहन अतीत में चला गया, बचपन से जो सवाल मां से पूछता आ रहा है उसका जवाब आज उसे मिल गया था।

आज मोहन का जन्मदिन है। वो मां के साथ मंदिर गया। अनाथालय गया। जैसा मां चाहती थी बिल्कुल वैसा ही करता गया। शाम को जब मां सहित वो घर लौटा तो घर पहुचते ही उसने देखा कि घर फूलों से सजा है, बिजलियों वाले झूमर जगह-जगह लगे हैं, तरह-तरह के पकवानों की खुशबू आ रही है, अंदर हॉल में गुलाब की पंखुड़िया बिखरी हुई हैं और बीचोबीच बड़े से टेबल में केक रखा हुआ है और बहुत से मेहमानों से घर भरा है। मां आश्चर्य से देख रही थी तभी सुधा आ के मां को तैयार करने कमरे में ले गई।

मां सोच में थी कि आखिर बात क्या है, तभी वो तैयार हो कि नीचे आती है। मोहन माइक पकड़ के कहना शुरू करता है। "मां.... । मैने हमेशा आपसे पूछा था कि आपका जन्मदिन कब आता है, मेरा मन करता था कि जिस तरह आप मेरा जन्मदिन मानती है वैसे मैं भी मनाऊ। आपने मेरे लिए कितना कुछ नही किया, आज मैं जो भी हूं आपकी वजह से ही तो हूं। आपने हर मुश्किल में मेरा साथ दिया है। मेरी छोटी छोटी खुशियों को इतना बड़ा बनाया है।

मैं हमेशा सोचता कि आपको मेरे जन्मदिन से इतना प्यार क्यों है। जवाब अब मुझे मिला। एक मां की जिंदगी का सबसे बड़ा पल आता है जब वो अपने बच्चे को पहली बार गोद मे ले कर गले लगती है, आज ही का तो दिन था ना मां जब मैं आपकी जिंदगी में आया था। मां आज ही के दिन तो आप भी मुझे मिली थी। आज ही के दिन तो मैं भी बेटा बना था। आज ही के दिन तो मैं आपकी गोद मे आया था। आज ही के दिन तो मुझे भी ममता का सागर मिला था। इसलिए आज से ये दिन सिर्फ मेरा नही आपका भी है क्योंकि...'' तुम से ही तो मैं हूं।’



\

Next Story