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Muntha Kya Hai: मुंथा क्या है, इसे कैसे देखा जाता है, ज्योतिष में इसकी गणना क्यों हैं जरूरी

Muntha Kya Hai मुन्था के विषय में बहुत कुछ जानने को मिलता है, उससे मुंथा का महत्व परिलक्षित होता है और जन्म कुंडली के आधार पर मुंथा की गणना कर वर्ष कुण्डली में जीवन की घटनाओं को वर्ष के लिए अनुमानित किया जाता हैं.

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 29 Dec 2023 4:54 AM GMT
Muntha Kya Hai: मुंथा क्या है, इसे कैसे देखा जाता है, ज्योतिष में इसकी गणना क्यों हैं जरूरी
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Muntha Kya Hai मुंथा क्या है - जन्म कुण्डली में मुन्था सदैव लग्न में स्थित रहती है और हर वर्ष यह एक राशि आगे बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए यदि किसी का जन्म मेष लग्न में हो तो जातक के जन्म समय मुन्था मेष राशि में होगी तथा आने वाले वर्ष में यह मुंथा वृष राशि में और इससे आगे आने वाले वर्ष में यह मिथुन में स्थित होगी इस तरह से प्रत्येक वर्ष मुंथा एक राशि आगे बढ़ जाती है।

मुंथा कोई ग्रह नहीं है, लेकिन यह नवग्रहों के समान ही महत्व रखती है और इसके विचार द्वारा कुण्डली के अनेक प्रभावों का वर्णन है, मुन्था के शुभ और अशुभ प्रभाव जातक के जीवन को पूर्ण रुप से प्रभावित करते हैं। ज्योतिष के अनेक शास्त्रों में हमें मुन्था के विषय में बहुत कुछ जानने को मिलता है जिसके द्वारा मुंथा का महत्व परिलक्षित होता है और मुथा की गणना को वर्ष कुण्डली में करके जातक के जीवन में घटने वाली घटनाओं को बताया जा सकता है।

मुंथा की गणना

मुंथा की गणना के लिए चाहिए की जन्म कुण्डली में लग्न की राशि संख्या ज्ञात करनी चाहिए जैसे यदि वह संख्या पांच है तो लग्न की राशि सिंह होगी।जिन वर्षों के लिए मुंथा की गणना करनी होती है जन्म से उन पूरे वर्षों की संख्या को लग्न की संख्या से जोड़ देना होता है। यदि यह जोड़ 12 वर्ष से अधिक आता है तो इसे 12 से भाग दिजिए और जो शेष संख्या आए उसी में मुंथा स्थित होगी। यदि शेष संख्या शून्य आती है तो इसे बारहवीं राशि कहेंगे।

मुंथा का प्रभाव

वर्ष कुण्डली में जन्म कुण्डली के लग्न की भांति मुंथा अत्याधिक महत्वपूर्ण होती है. वर्ष के फल तभी शुभ होंगे जब मुंथेश उच्च युक्त या स्वराशि से युक्त हो.

मुन्थेश शुभ ग्रहों से युक्त या उनसे प्रभावित है तो परिणाम अच्छे प्राप्त हो सकते हैं.

मुन्था 2, 9 10, 11 भाव में स्थित होने पर आर्थिक पक्ष की मजबूती को दर्शाती है. यह अच्छी व्यवसायिक स्थिति को दर्शाता है.

मुन्था की अशुभ स्थिति

भाव 4, 6, 8, 12 और सप्तम भाव में मुन्था अच्छी नहीं मानी जाती यह अशुभ परिणामदायक हो सकती है. इस प्रकार यदि मुन्था षष्ठेश, अष्टमेश अथवा द्वादशेश युक्त हो तो शुभ परिणाम प्रदान करने वाली होती है.

मुन्थेश यदि नीच का हो या नीचता से युक्त हो अथवा पिड़ित, निर्बल या शत्रु भाव में स्थित हो तो यह शुभ परिणाम प्रदान नहीं करता है

मुन्था यदि क्रूर ग्रहों से दृष्ट हो तो विपरित फल प्रदान करती है।

मुन्था महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. मुन्था को ग्रह के जैसा ही महत्वपूर्ण माना जाता है. वर्ष कुण्डली में जिस भाव में मुन्था स्थित होती है उस भाव तथा भाव के स्वामी कि स्थिति को देखा जाता है. बली हैं या निर्बल है. 4,6,7,8,12 भाव में मुन्था का स्थित होना शुभ नहीं माना जाता है. इसी प्रकार हम वर्ष कुण्डली में वर्षेश तथा पंचाधिकारियों की स्थिति को भी देखा जाता है. वर्षेश की स्थिति कुण्डली में यदि कमजोर है तो शुभ नहीं है.इसके आधार पर वर्ष कुण्डली का फलित काफी हद तक निर्भर भी रहता है.

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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