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धर्मग्रंथों में भाद्रमास को बताया गया है अति उत्तम, सात्विक जीवन का पालन से होगा कल्याण

धर्म ग्रंथों में भाद्रमास का बहुत महत्व है। शास्त्रों में इसे कल्याणकारी है। कहते है कि नियमों का पालन कर इस मास में गलतियों का प्रायश्चित भी कर सकते हैं। भाद्र, भद्र से बना है जिसका अर्थ है अच्छा व सभ्य।जो भी नियम से इस माह स्नान ,दान व व्रत करता है, उस पर ईश्वर की कृपा बनी रहती है।

suman
Published on: 17 Aug 2019 9:01 AM IST
धर्मग्रंथों में भाद्रमास को बताया गया है अति उत्तम, सात्विक जीवन का पालन से होगा कल्याण
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जयपुर: धर्म ग्रंथों में भाद्रमास का बहुत महत्व है। शास्त्रों में इसे कल्याणकारी है। कहते है कि नियमों का पालन कर इस मास में गलतियों का प्रायश्चित भी कर सकते हैं। भाद्र, भद्र से बना है जिसका अर्थ है अच्छा व सभ्य।जो भी नियम से इस माह स्नान ,दान व व्रत करता है, उस पर ईश्वर की कृपा बनी रहती है। शरीर व मन की शुद्धि के लिए इस मास पीले व केसरिया वस्त्रों को धारण करना चाहिए। इस माह हल षष्ठी, कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश उत्सव, हरितालिका तीज व अनंत चतुर्थी का व्रत पड़ने वाला है। इस मास ईश्वर की कृपा पाने के लिए सदैव करें इन नियमों का पालन................

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इस महीने में दही न खाएं, लेकिन दही से पूरे मास भगवान कृष्ण को पंचामृत से स्नान कराने से मनोकामना पूरी होती हैं।जिनलोगों को संतान सुख नहीं है , उन लोगों को इस माह या तो कृष्ण का जन्म कराना चाहिए या कृष्ण जी के जन्मोत्सव में शामिल होना चाहिए। इस महीने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए श्रीमदभगवदगीता का पाठ शुभ परिणाम देता है। इस महीने में लड्डू गोपाल और शंख की स्थापना से घर में धन और सम्पन्नता आती है।

विद्या, बुद्धि और ज्ञान के लिए इस माह श्री गणेश की उपासना करें। पीले रंग के भगवान् गणेश की स्थापना करें। हर दिन उनको दूर्वा और मोदक का भोग लगायें। पूरे माह ब्रह्मचर्य का पालन करें। हर प्रकार की बाधा का नाश होगा।

पूरे मास भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी दल अर्पित करें। इस माह आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए श्रीमद्भगवदगीता का पाठ करना चाहिए। मन को शुद्ध करने के लिए यह माह बेहद उपयोगी है। इस माह पलंग पर शयन नहीं करना चाहिए। जमीन पर चटाई बिछाकर शयन करना चाहिए। इस माह किसी से झूठ न बोलें। इस माह तेल से बनी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। इस माह एक समय भोजन करना चाहिए।

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इस मास कई क त्योहार आते हैं। संतान सुख की प्राप्ति के लिए कान्हा के जन्मोत्सव में शामिल होना चाहिए। कृष्ण पक्ष द्वादशी को वत्स द्वादशी कहते है। इसमें गाय-बछड़े का पूजन किया जाता है। यह पर्व बच्चों की सुख-शांति से जुड़ा है। इस मास के शुक्ल पक्ष, एकादशी को देवझूलनी एकादशी मनाते है। इस व्रत में भगवान विष्णु की उपासना का विधान है। इस माह गुड़ का सेवन नहीं करना चाहिए और न ही किसी अन्य व्यक्ति के दिए हुए पके चावल खाने चाहिए।



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