Mythological Story: परमात्मा का दंड बड़ा कठोर

Mythologycl Story: परमात्मा के ऊपर सब भार छोड़ देने से परमात्मा बहुत कठोर दंड देते हैं। परमात्मा का दंड बड़ा भयानक है।

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Published on: 4 Feb 2023 2:36 PM GMT (Updated on: 4 Feb 2023 3:37 PM GMT)
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Mythologycl Story (Image: Social Media)

Mythologycl Story: गया के आकाशगंगा पहाड़ पर एक परमहंस जी वास करते थे। एक दिन परमहंस जी के शिष्य ने एकादशी के दिन निर्जला उपवास करके द्वादशी के दिन प्रातः उठकर फल्गु नदी में स्नान किया।

विष्णुपद का दर्शन करने में उन्हें थोड़ा विलम्ब हो गया। वे साथ में एक गोपाल जी को सर्वदा ही रखते थे। द्वादशी के पारण का समय बीतता जा रहा था, देखकर वे अधीर हो गये एवं शीघ्र एक हलवाई की दुकान में जाकर उन्होंने दुकानदार से कहा, "पारण का समय निकला जा रहा है, मुझे कुछ मिठाई दे दो, गोपाल जी को भोग लगाकर मैं थोड़ा जल ग्रहण करुँगा"। दुकानदार उनकी बात अनसुनी कर दी।

साधु के तीन - चार बार माँगने पर भी हाँ- ना कुछ भी उत्तर नहीं मिलने से व्यग्र होकर एक बताशा लेने के लिए जैसे ही उन्होने हाथ बढ़ाया, दुकानदार और उसके पुत्र ने साधु की खुब पिटाई की।

निर्जला उपवास के कारण साधु दुर्बल थे, इस प्रकार के प्रहार से वे सीधे गिर पड़े। रास्ते के लोगों ने बहुत प्रयास करके साधु की रक्षा की।


साधु ने दुकानदार से एक शब्द भी नहीं कहा, ऊपर की ओर देखकर थोड़ा हँसते हुए प्रणाम करके कहा, "भली रे दयालु गुरुजी, तेरी लीला"। केवल इतना कहकर साधु पहाड़ की ओर चले गये।

गुरुदेव परमहंस जी पहाड़ पर ध्यानमग्न बैठे हुए थे, एकाएक चौक उठे एवं चट्टान से नीचे कूदकर बड़ी तीव्र गति से गोदावरी नामक रास्ते की ओर चलने लगे।

रास्ते में शिष्य को देखकर परमहंस जी ने कहा 'क्यो रे बच्चा, क्या किया ?

शिष्य ने कहा, "गुरुदेव मैने तो कुछ नहीं किया'।

परमहंस जी ने कहा, बहुत किया। तुमने बहुत बुरा काम किया। रामजी के ऊपर बिल्कुल छोड़ दिया। जाकर देखो, रामजी ने उसका कैसा हाल किया।

यह कहकर शिष्य को लेकर परमहंस जी हलवाई की दुकान के पास जा पहुँचे। उन्होंने देखा हलवाई का सर्वनाश हो गया है।

साधु को पीटने के बाद, जलाने की लकड़ी लाने के लिए हलवाई का लड़का जैसे ही कोठरी में घुसा था उसी समय एक काले नाग ने उसे डस लिया।

हलवाई घी गर्म कर रहा था, सर्पदंश से मृत अपने पुत्र को देखने दौड़ा।

उधर चूल्हे पर रखे घी के जलने से दुकान की फूस की छत पर आग लग गई। परमहंस जी ने देखा, लड़का रास्ते पर मृतवत पड़ा है, दुकान धू-धू करके जल रही है, रास्ते के लोग हाहाकार कर रहे है। भयानक दृश्य था।

परमहंस जी शिष्य को लेकर पहाड़ पर आ गए। शिष्य को खूब फटकारते हुए कहा कि, "बिना अपराध के कोई अत्याचार करता है, तो क्रोध न आने पर भी साधु पुरुष को कम-से-कम एक गाली ही देकर आना चाहिए"।

साधु के थोड़ा भी प्रतिकार करने से अत्याचारी की रक्षा हो जाती है, परमात्मा के ऊपर सब भार छोड़ देने से परमात्मा बहुत कठोर दंड देते हैं। परमात्मा का दंड बड़ा भयानक है।

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