Nag Panchami 2024: शिव की आराधना है नागपंचमी

Nag Panchami 2024: नागपंचमी का त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है परन्तु उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिमबंगाल में नागपंचमी का विशेष महत्व है।

Network
Newstrack Network
Published on: 9 Aug 2024 5:09 AM GMT
Nag Panchami 2024
X

Nag Panchami 2024   (फोटो: सोशल मीडिया )

Nag Panchami 2024: भगवान शिव के पावन मास सावन में नागपंचमी पर्व मनाया जाता है। श्रावण शुक्ल पंचमी को ‘नाग पंचमी’ कहते हैं पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। इस वर्ष पंचमी 9 अगस्त को है। पंचमी तिथि की शुरुआत 9 अगस्त को मध्य रात्रि 12:36 से 10 अगस्त प्रातः 03:14 पर समाप्त होगी। पंचमी तिथि को हस्त नक्षत्र एवं सिद्ध योग होगा। हिन्दू धर्म में नागों को पूजनीय माना गया है। भगवान शिव ने अपने गले में नाग धारण कर रखा है और भगवान विष्णु भी शेषनाग की शैया पर विश्राम करते है। नागपंचमी का त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है परन्तु उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिमबंगाल में नागपंचमी का विशेष महत्व है।

नागपंचमी पर सर्पाे की अधिष्ठात्री देवी मनसा देवी की भी पूजा की जाती है। नाग पूजा से पितृदोष की शान्ति और निसंतान को संतान प्राप्ति होती है। नागपंचमी के दिन सर्पों -नागों की पूजा की जाती है। इस दिन घर के दीवारों पर नाग की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती है। ज्योतिषानुसार- राहु को सर्प का सिर और केतु को सर्प की पूँछ माना गया है। नागपंचमी पर काल सर्प की शान्ति और कुंडली में राहु और केतु ग्रहों के कुप्रभाव को समाप्त करनें के लिये ये दिन बहुत उत्तम है।

राहु से पीड़ित व्यक्ति को "ऊँ रां राहवें नमः "और केतु के लिये "ऊँ कें केतवें नमः "का जाप करने से और शिवलिंग पर भांग-धतूरा अर्पित करने से व आठमुखी व नौ मुखी रूद्राक्ष पहने से राहु केतु के बुरे प्रभाव समाप्त होते है। मान्यता है की नागदेव के पूजन से और मन्त्र जाप करने से घर में सर्प प्रवेश नहीं करते नाग देव के मन्त्र "ॐ कुरु कुल्ले हुं फट् स्वाहा", नागपंचमी को गुड़िया को पीटने की परम्परा है। इस दिन कन्यायें गुड़िया बनाती है। चौराहे पर भाई डंडी से इस गुड़िया को पीटते है। 9 अगस्त को नाग पंचमी पूजा मुहूर्त प्रातः 5:35 से प्रातः 8:14 में करना श्रेष्ठ रहेगा।

कालसर्प दोष

राहू और केतू दो छायादार ग्रह है जिन्हे पौराणिक कथाओ मे एक ग्रह राहू को सर्प का सिर वाला भाग और केतू को धड़ अर्थात गले से नीचे वाला भाग माना जाता है। ज्योतिषीय शास्त्रो मे इन दोनो ग्रहो को अशुभ माना जाता है, इसी कारण यदि व्यक्ति की कुंडली के सभी ग्रह इन दोनों ग्रहो के बीच मे आ जाए तो तो व्यक्ति को काल सर्प दोष का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु को सांप का मुख और केतु को सांप की पूंछ माना गया है. जिन जातक की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनकी कुंडली से राहु और केतु अच्छे प्रभाव को नष्ट कर देते हैं जिस जातक कि कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उन्हें आर्थिक, शारीरिक, मानसिक, परिवार और संतान आदि संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति के कर्म या उसके द्वारा किए गए कुछ पिछले जन्म के कर्मों के परिणामस्वरूप कालसर्प योग दोष कुंडली में होना माना जाता है। यदि व्यक्ति ने पिछले जीवन में सांप को नुकसान पहुंचाया हो तो भी काल सर्प योग दोष की निर्मिति होती है।

राहू केतु की स्थिति और दूसरे ग्रहों से उनकी दूरी के आधार पर इस दोष को कई प्रकार का बताया गया है। जैसे अनंत कालसर्प दोष, कुलिक कालसर्प दोष, वासुकी कालसर्प दोष, -शंखपाल कालसर्प दोष, पद्म कालसर्प दोष, महापद्म कालसर्प दोष, तक्षक कालसर्प दोष,शंखचूड़ कालसर्प दोष, पातक कालसर्प दोष,विषधर कालसर्प दोष, शेषनाग कालसर्प दोष और कर्कोटक कालसर्प दोष।


मुक्ति उपाय

कालसर्प दोष के प्रभाव से मुक्ति उपाय - काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को शिवलिंग पर गंगा जल कच्चा दूध काले तिल से अभिषेक करना चाहिए। प्रदोष तिथि के दिन शिव मंदिर में रुद्राभिषेक करना भी लाभकारी रहता है,शिवलिंग पर भांग धतूरा चढ़ाना, 8 मुखी और 9 मुखी रूद्राक्ष धारण करना लाभकारी है, पीपल के पेड़ में जल का अर्घ्य दें। साथ ही सात बार परिक्रमा करें, अमावस्या के दिन अपने पितरों को शांत व तृप्त कराने के लिए दान आदि करें।


मंत्रों का जाप

श्री सर्प सूक्तम, महामृत्युंजय मंत्र, विष्णु पंचाक्षरी मंत्र जैसे मंत्रों का जाप इस दोष को मिटाने वाले शांति पूजा मे होता है। नाग पंचमी के दिन काल सर्प योग शांति पूजा करना उचित है। भगवान शिव के नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर में, महाकाल उज्जैन मंदिर आदि किसी भी 12 ज्योतिर्लिंग में अभिषेक करने से काल सर्प दोष शांत होता है सोमवार को शिव मंदिर में चांदी के नाग की पूजा करें, पितरों का ध्यान करें एवं श्रध्दापूर्वक बहते हुए नदी के पानी में छोटे से चाँदी या तांबे से बने नाग विसर्जन करें, चंदन की माला से राहु केतु के इस बीज मंत्र का जप शिव मंदिर में जाकर करने से कालसर्प दोष की परेशानियों से लाभ मिलता है।


(लेखक- ज्योतिषाचार्य एस.एस. नागपाल)

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story