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नाग पंचमी पर इस तरह करें नाग देवता को याद, दूर करें पितृ व कालसर्प दोष

इस बार नाग पंचमी व सोमवार व्रत दोनों एक साथ है। ये दोनों संयोग एकसाथ हो ये दुर्लभ होता है। सोमवार और नाग पंचमी एक साथ आने से सोमवार का व्रत रखना और नाग पंचमी पूजा दोनों का महत्व बढ़ जाता है। ऐसे योग में भगवान शिव की उपासना करने और नागों की पूजा करने से भोलेनाथ की कृपा  है।

suman
Published on: 5 Aug 2019 8:40 AM IST
नाग पंचमी पर इस तरह करें नाग देवता को याद, दूर करें पितृ व कालसर्प दोष
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जयपुर: इस बार नाग पंचमी व सोमवार व्रत दोनों एक साथ है। ये दोनों संयोग एकसाथ हो ये दुर्लभ होता है। सोमवार और नाग पंचमी एक साथ आने से सोमवार का व्रत रखना और नाग पंचमी पूजा दोनों का महत्व बढ़ जाता है। ऐसे योग में भगवान शिव की उपासना करने और नागों की पूजा करने से भोलेनाथ की कृपा है। यह दिन पितृ दोष और काल शर्प दोष दूर करने के लिए बहुत ही उत्तम है।

विज्ञान के अनुसार देश मे फसलों में लगने वाले चूहों से बचने के लिए सांपों को संरक्षण देना जरूरी है।र नाग पंचमी पूजा से सर्पों को संरक्षण देने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है। शायद यही वजह है कि हजारों साल से देश के किसान सांपों को नाग देवता मानकर उनकी पूजा करते आ रहे हैं। कई पौराणिक कथाओं में नागों को भगवान शिव का गण माना गया है। साथ भगवान विष्णु के शेषनाग की शय्या पर विराजमान होने से विष्णु का भी सेवक माना गया है। ऐसे में नागों को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाना वर्जित माना गया है।

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विधि- गले में नागों की माला धारण करने के कारण ही भगवान शिव को काल का देवता कहते है। घर के दरवाजे पर दोनों तरफ गाय के गोबर से सर्प बनाकर व सर्प का चित्र लगाकर सुबह उन्हें जल चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही उन पर घी -गुड़ चढ़ाया जाता है। शाम को सूर्यास्त होते ही नाग देवता के नाम पर मंदिरों और घर के कोनों में मिट्टी के कच्चे दिए में गाय का दूध रखते है। शाम को भी उनकी आरती और पूजा की जाती है।

इस दिन शिवजी की आराधना करने से कालसर्प दोष, पितृदोष का आसानी से निवारण होता है। भगवान राम के छोटे भाई लक्षण को शेषनाग का अवतार मानते है।इस दिन कजली बोने की परंपरा है। यूपी के कई इलाकों में नाग पंचमी के मौके पर दंगल भी लगता है। कुछ जगहों पर इस पर्व को गुड़़िया के नाम से भी जाना जाता है।

इस तरह करें प्रसन्न

माना जाता है कि नागों के राजा शेषनाग को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा की जाती है और दूध चढ़ाया जाता है। लेकिन विस्तार में जाएंगे तो पता चलेगा कि नाग पंचमी के दिन कथाओं में वर्णित पांच प्रमुख नागों की पूजा की जाती है। तो जानते हैं कौन से हैं ये पांच नाग-

शेषनाग भगवान विष्णु के सेवक और सम्पूर्ण पृथ्वी के भार को वहन करते हैं। मान्यता है कि शेषनाग के हजार फन हैं और इनका कोई अंत नहीं है। इनका दूसरा नाम अनंत भी है। शेषनाग कश्यप ऋषि की पत्नी कद्रू के पुत्रों सबसे पराक्रमी शेषनाग ही हैं। लक्ष्मण जी को शेषनाग का अवतार ही माना जाता है।

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वासुकि नाग इन्हें भगवान शिव का सेवक माना जाता है। समुद्र मंथन के दौरान देवता और दानवों ने मिलकी इन्हीं को मंदराचल पर्वत से बांधा था। वासुदेव जब यमुना नदी को पार कर रहे थे तो इन्होंने ही बारिश से भगवान कृष्ण की रक्षा की थी।

तक्षक नाग श्रीमदभागवत पुराण में वर्णित राजा परीक्षित की मृत्यु इन्हीं के डसने से हुई थी। इसका बदला लेने के लिए परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया था।

कर्कोटक नाग - कर्कोटक को भी नागों का एक राजा मानते हैं। कहा जाता है कि कर्कोटक ने नारद को धोखा दिया था तो नारद जी ने इन्हें एक कदम भी न चल पाने का श्राप दे दिया था।

पिंगल नाग - कुछ कथाओं में उल्लेख मिलता है क कलिंग में छिपे खजाने का संरक्षक पिंगल नाग ही हैं।



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