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Narak Chaturdashi 2023 Me Kab Hai: नरक चतुर्दशी कब है, इस दिन का महत्व क्या है, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा का खास संयोग

Narak Chaturdashi 2023 Me Kab Hai :कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का महत्व है। जानते हैं रूप या नरक चतुर्दशी की तिथि, मुहूर्त

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 2 Nov 2023 9:30 AM IST (Updated on: 2 Nov 2023 9:30 AM IST)
Narak Chaturdashi 2023 Me Kab Hai: नरक चतुर्दशी कब है, इस दिन का महत्व क्या है, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा का खास संयोग
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Roop Chaturdashi Kab Hai 2023: नरक चतुर्दशी कब है 2023 ? त्योहार और उत्सव का मास होता है कार्तिक मास। इस मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रूप या नरक चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन यमराज की पूजा की जाती है। साथ ही श्रीकृष्ण और माता काली की पूजा की जाती है। मतलब दीपावली से एक दिन पहले मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है।इस दिन यमराज का पूजन कर अकाल मृत्यु से बच सकते हैं। नरक चतुर्दशी के दिन शाम में दीपक जलाए जाते हैं। नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली और काली चौदस या रूप चौदस भी कहते हैं। इस साल नरक चतुर्दशी 11 नवंबर को है।

नरक चतुर्दशी का महत्व
कहते हैं कि भगवान कृष्ण ने कार्तिक माह में कृष्ण चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध करके देवताओं व ऋषियोंको उसके आतंक से मुक्ति दिलवाई थी। इसके साथ ही कृष्ण भगवान ने सोलह हज़ार कन्याओं को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त करवाया। इसी उपलक्ष्य में नगरवासियों ने नगर को दीपों से प्रकाशित किया और उत्सव मनाया। तभी से नरक चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाने लगा। भगवान कृष्ण और देवी काली ने नरकासुर का वध करके उसके बुरे कर्मों का अंत किया। यह त्योहार उनकी जीत की याद दिलाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने राक्षस को मारने के बाद ब्रह्म मुहूर्त के समय तेल स्नान किया था। इसलिए सूर्योदय से पहले पूरे विधि-विधान से तेल स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

नरक चतुर्दशी पूजा विधि

ऐसा माना जाता हैं कि जो व्यक्ति नरक चतुर्दशी के दिन सूर्य उदय होने के बाद नहाता हैं। उसको शुभ कार्यों के फल की प्राप्ति नहीं होती। सूर्य उदय से पहले स्नान करने के बाद दक्षिण मुख करके हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें। ऐसा करने से व्यक्ति के द्वारा किये गये वर्ष भर के पापों का नाश होता है। नरक चतुर्दशी पर सबसे पहले लकड़ी की चौकी लें और पूजा के स्थान पर लाल कपड़ा रखें। उस पर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी का चित्र लगाएं। एक प्लेट लें और उसके ऊपर पहले एक लाल कपड़ा रखें और फिर उस पर कुछ चांदी के सिक्के रखें। अब एक बड़ी प्लेट लें, बीच में स्वास्तिक बनाएं, 11 दीये चारों ओर रखें और प्लेट के बीच में 4 चेहरों वाला एक दीया रखें। अब 11 दीयों में चीनी डालें या आप मखाना, खील या मुरमुरा भी डाल सकते हैं। सभी दीयों में रोली और चावल का मिश्रण डालें और फिर गणेश लक्ष्मी पंचोपचार पूजा करें।

इसके बाद एक और दीया जलाकर इसे देवी लक्ष्मी की तस्वीर के सामने रखें। अगरबत्ती और धूप जलाएं और देवी लक्ष्मी के चित्र के सामने फूल और मिठाई रखें। ७ दीये और एक मुख्य ४ मुखी दीयों को छोड़कर बाकी के दीयों को लेकर घर के मुख्य द्वार पर रख दें। 108 बार लक्ष्मी मंत्र "श्रीं स्वाहा" का पाठ करें ।

रूप / नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त

नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त का आरंभ 11 नवम्बर 2023 को दोपहर 01:57 से।
नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त का समापन-12 नवम्बर 2023 को दोपहर 02:44 तक।
नरक चतुर्दशी 11 नवम्बर दिन शनिवार को है।
काली चौदस मुहूर्त :11 नवम्बर को 11:40 PM से 12 नवम्बर को 12:31 AM तक
पूजा अवधि : 00 घण्टे 51 मिनट
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:55 से 05:47 के बीच।
प्रातः सन्ध्या : प्रात: 05:21 से 06:40 के बीच।
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:43 से दोपहर 12:27 तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 01:53 से 02:36 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:30 से 05:56 तक।
अमृत काल : शाम 06:57 से 08:39 तक।
निशीथ पूजा मुहूर्त : रात्रि 11:39 से 12:32 तक।

रूप चौदस पूजा के शुभ मुहूर्त 12 नवंबर 2023
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:43 से दोपहर 12:27 तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 01:53 से 02:36 तक।
अमृत काल : शाम 05:40 से 07:20 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:29 से 05:56 तक।
सायाह्न सन्ध्या : शाम 05:29 से 06:48 तक।

शुभ चौघड़िया

अमृत : 14:55 PMसे 16:17 PM
शुभ : 08:04 AM से 09:26 AM
लाभ : 13:33 PMसे 14:55 PM
शुभ :20:55 PMसे 22:33 PM
अमृत : 22:33 PMसे 00:11 AM
लाभ : 05:04 AMसे 06:42 AM

नरक चतुर्दशी पर खास संयोग
सर्वार्थसिद्धि योग -01:47 AM, Nov 12 से 06:13 AM, Nov 12



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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