×

नवरात्र: व्रत को लेकर यहां जानें हर बात, 9 दिन इस तरह करें भोजन

Manali Rastogi
Published on: 9 Oct 2018 3:37 PM IST
नवरात्र: व्रत को लेकर यहां जानें हर बात, 9 दिन इस तरह करें भोजन
X

सहारनपुर: कल से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। हम सभी अपने अपने तरीके से मां जगदंबा की अराधना करते है और मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं। व्रत को उपवास भी कहा जा सकता है। आज हम आपको यह जानकारी देने जा रहे हैं कि व्रत के दिनों में आप कैसा भोजन कर सकते हैं या नहीं।

ज्योषिचार्य पंडित मदन गुव्ता सपाटू के अनुसार व्रत के अनुसार तामसिक भोजन करने की इजाज़त नहीं दी जाती है। तामसिक खाद्य पदार्थ यानी कि मांस, मछली, अंडा इत्यादि वह चीज़ें जो किसी जीव के प्रयोग से बनाई जाती हैं। इसके अलावा शराब एवं धूम्रपान के लिए भी मना किया जाता है।

सात्विक भोजन ही करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार सात्विक भोजन की श्रेणी में दूध, घी, फल और मेवे आते हैं। उपवास में ये आहार इसलिए मान्य हैं कि ये भगवान को अर्पित की जाने वाली वस्तुएं हैं। दूध से बनी चीज़ें शरीर में सात्विकता बढ़ाने के लिए सहायक सिद्ध होते हैं। इसलिए इन्हें ग्रहण करना सही समझा जाता है।

मांस, अंडे, खट्टे और तले हुए मसालेदार और बासी या संरक्षित व ठंडे पदार्थ राजसी-तामसी प्रवृतियों को बढ़ावा देते हैं। व्रत के अनुसार नमक का सेवन करने की भी मनाही है, क्योंकि यह शरीर में उत्तेजना उत्पन्न करता है। इसलिए उपवास के दौरान इसका सेवन नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही शारीरिक शुद्धि के लिए तुलसी जल, अदरक का पानी या फिर अंगूर भी इस दौरान ग्रहण किया जा सकता है। जबकि मानसिक शुद्धि के लिए जप, ध्यान, सत्संग, दान और धार्मिक सभाओं में भाग लेना चाहिए।

व्रत रखने के फायदे

  • वजन कम होना: व्रत रखने से शरीर में ऐसे हॉर्मोन निकलते हैं, जो फैटी टिश्यूज़ को तोड़ने में मदद करते हैं, यानी आपका वजन कम हो सकता है।
  • शरीर का शुद्धिकरण: व्रत रखने से शरीर शुद्ध होता है। शरीर से जहरीले तत्व बाहर निकलते हैं, बशर्ते आप व्रत के दौरान फल और सब्जियों का सेवन ज्यादा करें।
  • पाचन बेहतर होना: आयुर्वेद के अनुसार, व्रत रखने से शरीर में जठराग्नि (डाइजेस्टिव फायर) बढ़ती है। इससे पाचन बेहतर होता है। इससे गैस की समस्या भी दूर होती है।
  • नर्वस सिस्टम बेहतर होना: व्रत हमारे शरीर को हल्का रखता है। हल्के शरीर से मन भी हल्का रहता है और दिमाग बेहतर तरीके से काम करता है। व्रत पूरी सेहत पर सकारात्मक असर डालता है।

व्रत रखने से हो सकता है नुकसान

  • अगर कोई चीज जरूरत से ज्यादा की जाए तो उससे नुकसान होना तय है। लंबे समय तक बिना कुछ खाए-पीए रहने से इम्यून सिस्टम को नुकसान हो सकता है। अगर व्रत के दौरान बहुत लंबे समय तक भूखे-प्यासे रहेंगे तो लिवर और किडनी को भी नुकसान हो सकता है। डायबीटीज, किडनी, कैंसर और पेशाब की समस्या से पीड़ित मरीजों को व्रत रखने से ज्यादा दिक्कत हो सकती है।
  • व्रत के दौरान बहुत कम खाना खाने से पेट में एसिड बनना कम हो सकता है। यही एसिड खाना पचाने और बुरे बैक्टीरिया को खत्म करने का काम करता है। कई बार भूखा रहने की वजह से व्रत के दौरान खाना सूंघने या खाने के बारे में सोचने भर से दिमाग को खाना खाने का अहसास हो सकता है। ऐसे में दिमाग पेट को पाचन के लिए जरूरी एसिड बनाने के लिए कह सकता है। इससे सीने में जलन की समस्या हो सकती है।

कौन न रखे व्रत

  • व्रत रखने की यों तो कोई खास उम्र नहीं होती, लेकिन 15 साल से कम उम्र के बच्चों और 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को व्रत नहीं रखना चाहिए। छोटे बच्चों में मेटाबॉलिक रेट काफी ज्यादा होता है और बुजुर्गों में काफी कम। ऐसे में वक्त पर ढंग से खाना न खाने से इन लोगों में हाइपोग्लाइसिमिक अटैक हो सकता है। प्रेग्नेंट और दूध पिलाने वालीं मांएं व्रत न रखें। इन्हें थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद एक तय मात्रा में कैलरी की जरूरत होती है, जिसके लिए पोषक खाना खाना जरूरी है।
  • डायबीटीज के मरीज व्रत न रखें। व्रत रखने पर वे हाइपोग्लाइसीमिया का शिकार हो सकते हैं। अगर वक्त पर इस स्थिति से ना निपटा जाए तो मरीज की जान भी जा सकती है। ब्लड प्रेशर के मरीजों को भी व्रत रखने से परहेज करना चाहिए क्योंकि लंबे समय तक भूखे रहने से ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव हो सकता है और यह सेहत के लिए घातक होगा। जिन लोगों को किडनी या पेशाब संबंधी दिक्कत हो उन्हें भी व्रत से बचना चाहिए।
  • ऐसे मरीजों को डेयरी प्रॉडक्ट्स और ज्यादा सब्जियां खाने पर फोकस करना चाहिए। एनोरेक्सिया (वजन घटाने की धुन में खाना न खाना), ब्लूमिया (खाना खाने के बाद उलटी कर देना) या बिहेवियर से जुड़े दूसरे डिसऑर्डर से पीड़ितों को भी व्रत नहीं रखना चाहिए। जिन्हें कमजोरी या अनीमिया है या जो अंडरवेट हैं, व्रत के दौरान कम कैलरी लेने से उनका वजन और कम हो सकता है। ट्यूमर, कैंसर, अल्सर आदि के मरीज व्रत न रखें। जिनका हाल में ऑपरेशन हुआ है, वे भी बचें। पूरा पोषक खाना न खाने से रिकवरी में दिक्कत होती है।

व्रत के दौरान बरतें सावधानियां

  • व्रत रखने से पहले अपने फैमिली डॉक्टर से सलाह कर लें। डॉक्टर से मिलकर फिजिकल जांच करा सकते हैं कि आप इसके लिए पूरी तरह फिट हैं या नहीं।
  • व्रत के दौरान चाय, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक ज्यादा न पिएं। कैफ़ीन से हमारे नर्वस सिस्टम को एक बूस्ट मिलता है, यानी झटका-सा लगता है। जब पूरा खाना नहीं खाया होता तो यह झटका जोर से लगता है, जो हमारे नर्वस सिस्टम के लिए ठीक नहीं होता।
  • अगर किसी ने निर्जला व्रत रखा है तो वह एक्सरसाइज बिल्कुल न करे। थोड़ा आसान या सामान्य व्रत रखने वाले लोग हल्की एक्सरसाइज कर सकते हैं। हेवी एक्सरसाइज से बचें। ब्रिस्क वॉक कर सकते हैं, लेकिन रनिंग, स्वीमिंग, साइक्लिंग आदि न करें और बैडमिंटन, टेबल टेनिस जैसे खेलों से भी दूर रहें। इनके लिए काफी एनर्जी की जरूरत होती है जबकि व्रत के दौरान शरीर में एनर्जी का लेवल थोड़ा कम होता है।
  • अगर थकान लग रही है तो कोई फल या कुछ मीठा खा लें। यह न सोचें कि शाम को ही खाएंगे।
  • अगर मुमकिन है तो दिन में एक नैप यानी छोटी नींद ले सकते हैं। इससे तन और मन, दोनों रिलैक्स होते हैं।
  • व्रत के दौरान भारी काम न करें, जैसे कि घर की शिफ्टिंग, भारी सामान उठाना, खूब सारे कपड़े धोना आदि। शॉपिंग के लिए भी ना जाएं क्योंकि इससे थकान हो सकती है।

डायबीटीज के मरीज रखें ध्यान

  • वैसे तो शुगर के मरीजों को व्रत रखना ही नहीं चाहिए, लेकिन अगर व्रत रखना ही चाहते हैं तो पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें। अगर मरीज की उम्र 60 साल से कम है या वह एक दवा पर है और उसे बाकी दिक्कतें नहीं हैं तो आमतौर पर डॉक्टर व्रत की इजाजत दे देते हैं। अगर मरीज की उम्र 60 साल से ज्यादा है या वह इंसुलिन या कई दवाओं पर है या कुछ दूसरी गंभीर शारीरिक समस्याएं हैं तो उसे व्रत बिल्कुल नहीं रखना चाहिए।
  • सलाह करने पर कई बार डॉक्टर एक-दो दिन के लिए दवा की डोज़ कम कर देते हैं। डायबीटीज़ के मरीजों को 2-3 घंटे में कुछ जरूर खाना चाहिए। पनीर, दही, छाछ, नारियल पानी के अलावा सेब, पपीता, जामुन, खीरा आदि खाएं। कुट्टू या सिंघाड़े की पूड़ी या पकौड़े के बजाय परांठे खा सकते हैं।

क्या खाएं

व्रत के दौरान कितने अंतराल पर क्या खाएं, यह कहना बहुत मुश्किल है क्योंकि अलग-अलग लोगों को अलग-अलग मात्रा में खाने की जरूरत होती है। फिर हर किसी का बॉडी टाइप भी अलग होता है। अपने शरीर की जरूरत का ध्यान रखकर ही अपने लिए व्रत का चुनाव करें। यह भी ध्यान रखें कि आप कितनी देर तक भूखे रहने के बाद भी ठीक महसूस करते हैं, आपका पाचन सिस्टम कैसा है, एसिड का लेवल क्या है आदि। व्रत करते हुए अपने शरीर की प्रकृति का ध्यान जरूर रखें।

सामान्य बातों को हम यहां देख सकते हैं: बेहतर है कि हर 3-4 घंटे में दूध, छाछ, दही या फल आदि लें। लंबे समय तक भूखे रहने से जरूर बचें। व्रत के दौरान ज्यादा-से-ज्यादा मौसमी सब्जियां खाएं। अंतराल खुद तय करें। आलू के मुकाबले पालक, मूली, टमाटर, कद्दू, सीताफल ज्यादा खाएं। अगर आलू खाना चाहते हैं तो उसे तलने के बजाय उबले रूप में खाना बेहतर है।

  • खूब फल खाएं। जूस पीने का मन हो तो पैक्ड नहीं, ताजा जूस पिएं।
  • दूध, दही, पनीर जैसे डेयरी प्रॉडक्ट्स ज्यादा मात्रा में लें। इनसे शरीर को प्रोटीन अच्छी मात्रा में मिलते हैं।
  • एक मुट्ठी ड्राई-फ्रूट्स और मूंगफली खाएं। इनसे शरीर को ताकत मिलती है।
  • तेल का इस्तेमाल कम करें। स्वाद के लिए तेल या मक्खन के बजाय दही का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • बहुत ज्यादा स्टार्च वाली चीजें (आलू, शकरकंद, साबूदाना आदि), मिठाई या तली-भुनी चीजें न खाएं।
  • व्रत के दौरान दिन भर में 8-10 गिलास पानी और तरल चीजें लें ताकि डी-हाइड्रेशन का खतरा न हो।



Manali Rastogi

Manali Rastogi

Next Story