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नवग्रह शांति मंत्र कौन सा है?: इन सरल उपायों से नवग्रहों को करें शांत, बनायेंगे आपको मालमाल, नहीं टूटेंगे संबंधों के तार
Jyotish Me Navgraha Ka Mahatav :नवग्रह का जुड़ाव नवदुर्गा से है तो नवग्रह का संबंध देवताओं से भी है। सूर्य, चंद्र, बुध, मंगल, गुरु शुक्र, शनि, राहु और केतु को नवग्रह मानते हैँ। आज का मानव किसी न किसी रुप में परेशान है।आपको ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिन्हें कर आप अपने नवग्रहों के दोष को आसानी से शांत कर सकते हैं...
नवग्रह शांति मंत्र कौन सा है? ( ज्योतिष में नवग्रह का महत्व):
नवग्रह का संबंध मनुष्य के जन्म से ही जुड़ जाता है। जब वह पृथ्वी पर जन्म लेकर आता है। ये ग्रह मनुष्य के जीवन पर अच्छे और बुरे प्रभाव डालते हैं। इन नव ग्रहों का संबंध हिंदू धर्म के देवी देवताओं से भी है। नवग्रह का जुड़ाव नवदुर्गा से है तो नवग्रह का संबंध देवताओं से भी है। सूर्य, चंद्र, बुध, मंगल, गुरु शुक्र, शनि, राहु और केतु को नवग्रह मानते हैँ। आज का मानव किसी न किसी रुप में परेशान है। कोई आर्थिक कमी से जूझ रहा है तो किसी के घर में कलेश है। यही नहीं कारोबार, नौकरी और अन्य प्रकार की ऐसी कई परेशानियां है, जिनसे व्यक्ति जूझ रहा है। ज्योतिषीय नजरिए से देखें तो मानव की हर परेशानी के लिए जिम्मेदार उसके अपने ग्रहों की चाल है। नवग्रहों की चाल मानव को न केवल परेशानी में डालती है, बल्कि कभी की स्थिति विकट भी हो जाती है। ज्योतिष शास्त्र एक ऐसी विधा है जिसमें सौरमंडल के ग्रहों की ग़णना कर उनकी शक्ति का पता लगया जाता है। कुंडली में कौन सा ग्रह किस भाव में बैठा है, वह सकारात्मक प्रभाव दे रहा है या फिर नकारात्मक असर कर रहा है, यह सब पता लगाया जा सकता है।
आज आपको नवग्रहों को शांत करने का ऐसा तरीका बता रहे हैं, जिसमें आपको ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिन्हें कर आप अपने नवग्रहों को आसानी से शांत कर सकते हैं...
ज्योतिष में नवग्रह सूर्य व मंत्र जाप
कुंडली में सूर्य ग्रह के मजबूत होने पर जातक को सुख-संपत्ति धन आदि प्रदान करते हुए राज्य लक्ष्मी की कृपा दिलाता है। यदि आप पैसों की कमी से जूझ रहे हैं तो आप सूर्य की उपासना करके मां राज्य लक्ष्मी की कृपा पा सकते है। ऊॅं सूं सूर्याय नमः, 7 हजार बार जाप करना चाहिये।
ज्योतिष में नवग्रह चंद्र व मंत्र जाप
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा मजबूत हो तो उसे आरोग्य लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। यदि आप किसी रोग या बीमारी से जूझ रहे हैं तो आप चंद्र ग्रह से जुड़े उपाय करके मानसिक एवं शारीरिक कष्ट से मुक्ति पा सकते हैं। ऊॅं सों सोमाय नमः, 11 हजार बार जाप करना चाहिये।
ज्योतिष में नवग्रह मंगल व मंत्र जाप
मंगल देवता को ऋणमोचन माना जाता है। मान्यता है कि यदि कुंडली में मंगल मजबूत हो तो व्यक्ति साहसी और उर्जावान होता है। मंगल अपने शुभ प्रभाव से जातक को कर्जदार नहीं बनने देता है। मान्यता है कि कुंडली में मंगल के मजबूत होने पर उऋण लक्ष्मी की कृपा मिलती है। ॐ भौं भौमाय नमः, 10 हजार बार जाप करना चाहिये।
ज्योतिष में नवग्रह बुध व मंत्र जाप
बुध को बुद्धिदायक ग्रह माना गया है। कुंडली में बुध के मजबूत होने पर जातक को सुज्ञान लक्ष्मी का वरदान प्राप्त होता है, जबकि कमजोर होने पर व्यक्ति गलत संगत में जाता है और जीवन में मूर्खतापूर्ण हरकते करता फिरता है। - ॐ बुं बुधाय नमः, 9 हजार बार जाप करना चाहिये।
ज्योतिष में नवग्रह गुरु व मंत्र जाप
गुरु ग्रह मनुष्य के ज्ञान को नियंत्रित करता है। जिसकी जन्म पत्रिका में गुरु की स्थिति अच्छी हो, वह जातक यकीनन बुद्धिमान एवं प्रतापी होगा। गुरू ग्रह के दर्शन पूजन दान व जाप से ज्योतिष व ज्ञान प्राप्त होता है।ॐ बृं बृहस्पतये नमः, 19 हजार बार जाप करना चाहिये।
ज्योतिष में नवग्रह शुक्र व मंत्र जाप
कुंडली में शुक्र ग्रह के अनुकूल होने पर सुलक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन में अत्यंत गुणी पत्नी प्राप्त होती है, वहीं इसके विपरीत होने पर कुभार्या मिलती है। ॐ हृीं श्रीं शुक्राये नमः,16 हजार बार जाप करना चाहिये।
ज्योतिष में नवग्रह शनि व मंत्र जाप
कुंडली में शनि के मजबूत होने पर जातक को श्रेष्ठा लक्ष्मी का वरदान प्राप्त होता है। वहीं इससे जुड़े दोष के कारण जीवन में दरिद्रता बनी रहती है। शनि को कर्म और न्याय का देवता माना गया है। मान्यता है कि यदि शनि की शुभता प्राप्त हो जाए तो व्यक्ति करोड़पति बन जाता है। जप मंत्र - ॐ शं शनैश्चराय नमः 23 हजार बार जाप करना चाहिये।
ज्योतिष में नवग्रह राहु व मंत्र जाप
जिस जातक की कुंडली मे राहु शुभ फल दे रहा होता है, उसे सुमित्र लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके जीवन बहुत से मित्र होते हैं जो उसकी मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं, जबकि दोषपूर्ण होने पर उसके मित्र भी शत्रु बन जाते हैं।ॐ रां राहवे नमः,18 हजार बार जाप करना चाहिये।
ज्योतिष में नवग्रह केतू व मंत्र जाप
मान्यता है कि कुंडली में केतु के शुभ होने पर जातक को सुकीर्ति लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उसे जीवन में खूब यश एवं सम्मान प्राप्त होता है।ॐ कें केतवे नमः, 17 हजार बार जाप करना चाहिये।
नवग्रहों के आसान शांति उपाय
नवग्रहों की चाल का मानव जीवन पर अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही तरह का असर पड़ता है। यदि ग्रह अनुकूल नहीं है तो मनुष्य परेशानियों से घिर जाता है। हर ग्रह का परिवार या संबंधियों से गहरा रिश्ता होता है। यदि हम यहा दिए कुछ उपाय कर लें तो ग्रहों को अपने अनुकूल बना सकते ।
मंगल ग्रह की शांति से लाभ
मंगल ग्रह भाई का कारक होता है। यदि यह ग्रह परेशान कर रहा है तो आप अपने बडे भाई की सेवा करें। दूसरे भाईयों से व्यवहार को सुधारें तो मंगल ग्रह आपके अनुकूल हो जाएगा।
बुध ग्रह की शांति से लाभ
बुद्ध ग्रह मामा, बहन और बुवा का कारक है, यदि यह ग्रह आपके अनुकूल नहीं है तो आप अपने मामा, बहन-दामाद और बुआ की सेवा करें और इनसे मधुर व्यवहार बनाएं।
गुरू ग्रह की शांति से लाभ
गुरु ग्रह को अनुकूल करने के लिए गुरुजनों की सेवा करें। यदि कोई व्यक्ति गुरु दीक्षा नहीं लिए हुए है तो ऐसे व्यक्ति धार्मिक संतों को प्रतिदिन नमन करें।
शुक्र ग्रह की शांति से लाभ
शुक्र ग्रह को अपने अनुकूल बनाने के लिए स्त्रियों का सम्मान करें। यथा संभव स्त्री की सेवा करें।
शनि ग्रह की शांति से लाभ
शनि देव श्रमिकों का कारक है। यदि शनि को अपने अनुकूल बनाना है तो श्रमिकों को दान करें और गरीबों की सेवा करें। आप जितना श्रमिक और गरीबों की सेवा करेंगे, शनि उतना ही ज्यादा आपको अनुकूल फल प्रदान करेगा।
सूर्य ग्रह की शांति से लाभ
सूर्य देव की कृपा पाने के लिए नियमित रुप से पिता की सेवा करें। यदि पिता नहीं है तो परिवार जो भी व्यक्ति आपके पिता तुल्य है, उनकी सेवा करें।
चंद्र ग्रह की शांति से लाभ
चंद्रमा की कृपा प्राप्त करने के लिए मां की सेवा करें। मां की सेवा से चंद्रमा अनुकूल प्रदान करने लगता है।
राहु और केतु की शांति से लाभ
राहु और केतु की शांति के लिए गाय, बैल को चारा खिलाएं, कुत्ते को रोटी दें, पक्षियों को दाना डाले। मानसिक शांति मिलेगी।
नवग्रह के पूजा की विधि
नवग्रह को पूजने के लिये सबसे पहले ग्रहों का आह्वान करें। उसके बाद उनकी स्थापना करें। फिर अपने बाएं हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करते हुए दाएं हाथ से अक्षत अर्पित करते हुए ग्रहों का आह्वान किया जाता है। इस प्रकार सभी ग्रहों का आह्वान करके उनकी स्थापना की जाती है। इसके उपरांत हाथ में अक्षत लेकर मंत्र उच्चारित करते हुए नवग्रह मंडल में प्रतिष्ठा के लिये अर्पित करें। अब मंत्रोच्चारण करते हुए नवग्रहों की पूजा करें। ध्यान रहे पूजा विधि किसी विद्वान ब्राह्मण से ही संपन्न करवायें। इस पूजा को किसी नवग्रह मंदिर में ही करें तो अच्छा रहता है।