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Navratri 2022 Day 5 Puja Vidhi: माँ स्कन्दमाता की आराधना से शांति और सुख की होती है प्राप्ति, ऐसे करें पूजन
Navratri 2022 5th Day Puja Vidhi: ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार ऐसा माना जाता है कि स्कंदमाता भक्तों को मोक्ष, शक्ति, समृद्धि और खजाने से पुरस्कृत करती हैं। यदि भक्त उनकी पूजा करता है तो वह सबसे अनपढ़ लोगों को भी ज्ञान का सागर प्रदान कर सकती हैं।
Navratri 2022 Day 5 Puja Vidhi: नवरात्रि के पाँचवें दिन माँ स्कन्दमाता की आराधना करनी चाहिए। माँ दुर्गा जी के पाँचवे स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार भगवान स्कन्द जिनको कार्तिकेय व षडानन भी कहा जाता है भगवान शिव के तेज से उत्पन्न हुए थे। तारक नामक असुर जो देवताओ को परास्त कर दिया था। उसका वध स्कन्द जी के द्वारा ही हुआ था। वो भगवान स्कन्द अपनी माता के गोद में विराजमान हैं।
माता जी की चार भुजायें हैं। नीचे वाली दाहिनी भुजा से भगवान स्कन्द को गोद में पकड़ी हुई हैं व बायें हाथ से आशीर्वाद मुद्रा में हैं। ऊपर के दोनों हाथों में पंखुड़ी युक्त कमल सुशोभित हो रहा है। इनका आसन कमल है इसलिए इनका एक नापदमासिना भी है। वाहन सिंह जिसका मुख वन्द व शान्त है इनके चिन्तन व स्मरण से साधक को शान्ति व सुख की प्राप्ति होती है।
महत्व
ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार ऐसा माना जाता है कि स्कंदमाता भक्तों को मोक्ष, शक्ति, समृद्धि और खजाने से पुरस्कृत करती हैं। यदि भक्त उनकी पूजा करता है तो वह सबसे अनपढ़ लोगों को भी ज्ञान का सागर प्रदान कर सकती हैं। सूर्य के तेज से युक्त स्कंदमाता अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। वह जो निस्वार्थ भाव से उसके प्रति समर्पित है, वह जीवन की सभी उपलब्धियों और खजाने को प्राप्त करता है। स्कंदमाता की पूजा से भक्त का हृदय शुद्ध होता है। उनकी पूजा करते समय, भक्त को अपनी इंद्रियों और मन पर पूर्ण नियंत्रण रखना चाहिए। उसे सांसारिक बंधनों से मुक्त होना चाहिए और एकाग्र भक्ति के साथ उसकी पूजा करनी चाहिए।
जब भक्त उनकी पूजा करते हैं, तो उनकी गोद में उनके पुत्र भगवान स्कंद की स्वचालित रूप से पूजा होती है। इस प्रकार, भक्त भगवान स्कंद की कृपा के साथ-साथ स्कंदमाता की कृपा का आनंद लेता है। यदि कोई भक्त बिना स्वार्थ के उसकी पूजा करता है, तो माँ उसे शक्ति और समृद्धि का आशीर्वाद देती है। स्कंदमाता की पूजा करने वाले भक्त दिव्य तेज से चमकते हैं। उसकी पूजा अंततः मोक्ष के लिए अनुकूल है। उन्हें नियमित रूप से "अग्नि की देवी" के रूप में जाना जाता है।
मंत्र
ॐ देवी स्कन्दमातायै नम:
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥