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संजीवनी की तरह है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र Navratri Durga Saptashati Siddha Kunjika Paath: इसका नित्य पाठ देता है चमत्कारी लाभ

Navratri Durga Saptashati Siddha Kunjika Paath: मां दुर्गा की कृपा पाने और जीवन की हर बाधा को दूर करने के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र रामबाण है। इसका नित्य प्रति पाठ आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि के लिए काफी है। जानिए इसकी महिमा....

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 27 Sept 2022 9:30 AM IST (Updated on: 27 Sept 2022 10:06 AM IST)
Navratri 2022 Shri-Siddha-Kunjika-Stotram
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सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Navratri 2022 Shri-Siddha-Kunjika-Stotram

नवरात्रि 2022 सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

अभी शारदीय नवरात्रि चल रही है। आदिशक्ति अपने भक्तों कृतार्थ करने धरती पर हाथी से आई है। नवरात्रि के 9 दिनो तक जप तप, उपवास और मंत्र से देवी की आराधना कर मनवांछित फल की प्राप्ति कर सकते हैं। क्योंकि देवी की आराधना पूजा मंत्र जाप और धार्मिक ग्रंथों के पाठ की अपनी महिमा है। लेकिन कभी कभी प सांसारिक जिम्मेदारियों के वहन के चक्कर में पूजा के लिए पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। ऐसे परेशानी होने की जरूरत नहीं है। अगर आपकी भी व्यस्तता अधिक है तो नवरात्रि में नवदुर्गा का आह्वान सिद्धकुंजिका स्तोत्र से कर सकते हैं।


सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के गुप्त रहस्य

जब सारे मार्ग बंद हो गए हो, असफलता से परेशान हो तब सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ सफलता की कुंजी है। इसके बिना दुर्गा पाठ अधूरा माना जाता है। यह एक अत्यधिक प्रभावशाली स्तोत्र है जो की माँ दुर्गा जी का विशेष प्रार्थना है। माँ दुर्गा को जगत माता का दर्जा दिया गया है । माँ दुर्गा को आदिशक्ति भी कहा जाता है । इस स्तोत्र को सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कहा गया है जिसमे बहुत ही प्रभावशाली शब्द है जो इंसान की हर एक परेशानी दूर करने में सक्षम है, आपके जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओ को नाश करके आपके जीवन को सुखमय बना सकता है ये स्तोत्र ।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र नवरात्रि में पाठ

इस स्तोत्र का नित्य पाठ या नवरात्रि में पाठ बहुत ही फलदायी है यह आपको जीवन में प्रगति करने में बहुत मदद करेगा | इस स्तोत्र को जागृत या सिद्ध स्तोत्र भी कहा गया है जिसका मतलब है की ये स्वयं सिद्ध है, आपको इसे सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है | माँ दुर्गा को विशेष प्रिय पुस्तक जिसे हम दुर्गा सप्तशती के नाम से जानते है, जो भी माँ दुर्गा के सप्तशती का पाठ नवरात्रि में 9 दिन करता है, वह माँ दुर्गा को प्यारा बन जाता है, माँ उस पे बहुत ही प्रसन्न रहती है और उसे इच्छित वर प्रदान करती है और उसकी सर्व मनोकामना की पूर्ति करती है | लेकिन जो लोग यह पाठ नहीं कर पाते वह लोग इस सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठकर आपना जीवन धन्य बना सकते है |

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

सिद्धकुंजिका स्तोत्र महत्व

हर इंसान को इस स्तोत्र को अपने दैनिक पूजन में सम्मिलित कर लेना चाहिए | ब्रह्म मुहूर्त में जो की 4 बजे होता है और रात 11 बजे या सोने से पहले इसका जाप अत्यधिक फलदायी होता है | इस मंत्र का प्रभाव और भी बढ़ जाता है अगर आप सिद्ध दुर्गा यंत्र के सामने इसका पाठ करे |इस स्तोत्र को नवरात्री में 9 दिन तक रोज 9 बार पाठ करने से माँ दुर्गा का आशीर्वाद निश्चित मिलता ही है |

कुंजिका का मतलब है "बहुत ही रहस्यमयी और गुप्त" | इस स्तोत्र को दुर्गा सप्तशती का मूल मंत्र बताया गया है और इसमें कई प्रभावशाली बीज मंत्र भी सम्मिलित किये गए है |

सबसे शक्तिशाली माँ दुर्गाका मंत्र है "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे " |

धर्मानुसार आप नीचे दिये गये स्तोत्र के पाठ के साथ रोजाना माँ दुर्गा के बीज मंत्र का जाप भी कर सकते है |

अथ सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् ।।

शिव उवाच

शृणु देवी प्रवक्ष्यामी कुंजिका-स्तोत्र-मुत्तमम् |

येन मंत्र-प्रभावेण चंडी-जापः शुभो भवेत् ||१||

न कवचम् नार्गला-स्तोत्रं किलकम् न रहस्य-कम् |

न सूक्तम नापि ध्यानम च न न्यासो न च वर्चानम् ||२||

कुञ्जिका-पाठ-मात्रेण दुर्गा-पाठ-फलं लभेत् |

अति गृह्यतरं देवी देवा-नामपि दुर्लभम् ||३||

गोपनियम प्रयत्नेन स्वयो-निरिव पार्वती |

मारणं मोहनम् वश्यम् स्तम्भनो-च्चाटनादिकम् |

पाठ-मात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिका-स्तोत्र-मुत्तमम् ||४||

अथमन्त्र

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे | ॐ ग्लौं हुं क्लीं जुं सः

ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट स्वाहा

|| इतिमन्त्रः||

नमस्ते रुद्र-रुपिन्यै नमस्ते मधु-मर्दिनी |

नमः कैट-भहा-रीन्यै नमस्ते महिषा-र्दिनी ||१||

नमस्ते शुंभहंत्र्यै च निशुंभा-सूर-घातिनी ||२||

जाग्रतं हि महादेवी जपं सिद्धिं कुरुष्वमे |

ऐंकारी सृष्टी-रूपायै ह्रींकारी प्रती-पालिका ||३||

क्लींकारी काम-रुपिन्यै बीज-रूपे नमोस्तुते |

चामुण्डा चंड-घाती च यैकारी वर-दायिनी ||४||

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्र-रूपिनी ||५||

धां धीं धुं धुर्जटेे: पत्नी वां विं वुं वाग-धीश्वरी |

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवी शां शिं शूं मे शुभम कुरु ||६|

हुं हुं हुंकार रुपिण्यै जं जं जं जंभ-नादिनी |

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भावान्यै ते नमो नमः ||७||

अं कं चं टं तं पं यं शं विं दूं ऐं विं हं क्षं

धीजाग्रम धीजाग्रम त्रोटय त्रोटय दीप्तम कुरु कुरु स्वाहा ||

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खुं खेचरी तथा ||८||

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्र-सिद्धिं कुरुष्व मे ||

|| फलश्रुती ||

इदं तू कुन्जीका-स्तोत्रम मन्त्र-जागर्ति-हेतवे |

अभक्ते नैव दातव्यम गोपितम रक्ष पार्वती ||

यस्तु कुन्जीकया देवी हिनाम सप्तशती पठेत |

न तस्य जायते सिद्धिररण्यै रोदनं यथा ||

। इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती

*संवादे कुंजिकास्तोत्र सम्पूर्णम्


सिद्ध कुंजिका स्रोत का पाठ कितनी बार

कहते हैं कि यदि इस मंत्र का लगातार 21 या 108 दिन जाप कर लिया जाए तो यह सिद्ध हो जाता है और जाप करने वाले को हर कदम पर सफलता हाथ लगती है। परिवार, व्यापार और धन प्राप्ति के लिएकुछ कर रहे हैं और उसका लाभ नहीं हो रहा तो इस मंत्र के जाप से जल्द लाभ मिलेगा।

ऊं ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।। अर्थात आप सिद्ध कुंजिका मंत्र का मन में जप करें। आपकी अवाज दूर तक नहीं जानी चाहिए। सिद्ध कुंजिका मंत्र का जाप 15 मिनट तक करें।

"श्री सिद्धकुंजिका स्त्रोतम" भाग्य चमकाने, धन प्राप्ति, मान-सम्मान, साहस-बल और परेशानियों से मुक्ति के लिए लाखों मंत्रों का उपयोग क्यों ना कर लें लेकिन यदि इस मंत्र का जाप नहीं किया तो किसी मंत्र का लाभ नहीं मिलेगा। श्री सिद्धकुंजिका स्त्रोतम खुद भगवान शंकर के मुख से निकला है। भोले शंकर ने माता पार्वती को ये स्त्रोत सुनाया था। ये अत्यंत गोपनीय मंत्र है जिसे बिना किसी को बताए जपना चाहिए।

सिद्ध कुंजिका स्रोत जाप की सरल विधि

  • इस स्रोत का 108 या 21 दिनों तक साधना की एक सरलतम विधि है कि आप नवरात्रि से या किसी भी माह की दुर्गाष्टमी से शुरू कर सकते हैं।
  • सुबह उठकर स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें।आसन बिछाकर मंदिर में पूर्व दिशा की मुंह करके बैठ जाएं और सामने मां दुर्गा की शेर पर सवार तस्वीर रखें। फिर दुर्गा यंत्र यदि हो तो उसे जल से स्नान कराकर, विधिवत पूजा करके स्थापित कर दें। कुंकुम, अक्षत, लाल पुष्प चढाएं, घी का दीपक व धूपबत्ती लगा देँ। फिर सिद्ध कुंजिकास्त्रोत्र का रोज 108 बार पाठ लगातार 21 दिन तक करें।
  • फिर 21वें दिन पाठ समाप्त कर एक, तीन, पांच या नौ कुमारी कन्याओं को भोजन कराएं और दक्षिणा आदि दें। साधना के दौरान पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें। तामसी भोजन बिल्कुल न करें। जैसे लहसुन, प्याज और मसूर की दाल।
  • बिस्तर पर न सोएं । चटाई या दरी बिछाकर भूमि पर ही सोना चाहिए। प्रतिदिन प्रातःकाल सिद्ध कुञ्जिकास्तोत्रम् का पाठ कराने से सभी प्रकार के विघ्न बाधा नष्ट हो जाते हैं व परम सिद्धि प्राप्त होती है। हर तरह की परेशानी से मुक्ति मिलती है।


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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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