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Kanya Pujan Kab Kare : चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन कब करें, जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व महत्व
Kanya Pujan Kab Kare : चाहे चैत्र या शारदीय नवरात्रि हो इसमें 8 वें और 9 वें दिन कन्या पूजन किया जाता है। इस बार भी नवरात्रि में 9 और 10 अप्रैल को कन्या की पूजा की जाती है। बिना कन्या पूजन के नवरात्रि और मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है।
Navratri 2022 Kanya Pujan Kab Kare
चैत्र नवरात्रि 2022 में कन्या पूजन कब करें
2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि चल रही है जो 10 अप्रैल को रामनवमी पूजन के साथ समाप्त होगी। नवरात्रि के 9 दिन तक देवी दुर्गा का अनुष्ठान किया जाता है। व्रत उपवास पूजा से मां दुर्गा की पूजा की जाती है। प्रतिपदा से नवमी तक 9 रूपों की पूजा के बाद कन्या पूजन हवन से नवरात्रि की पूर्णाहुति की जाती है। नवरात्रि में देवी दुर्गा ( Devi Durga) की आराधना के साथ कन्या पूजन का विधान है। चाहे चैत्र या शारदीय नवरात्रि हो इसमें 8 वें और 9 वें दिन कन्या पूजन किया जाता है। इस बार भी नवरात्रि में 9 और 10 अप्रैल को कन्या की पूजा की जाती है। बिना कन्या पूजन के नवरात्रि और मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है।
कन्या पूजा एक अवसर होता है जब आप छोटी बच्चियों के रूप में देवी की पूजा कर सकते हैं। कन्या पूजा में एक भक्त के रूप में आपके पास विश्वास, पवित्रता और समर्पण होना चाहिए। पूजा के दौरान उन्हें लड़कियों के रूप में न देखें। कहा जाता है कि छोटी बच्चियों में अहंकार नहीं होता है, इसलिए इन्हे देवी का स्वरुप मानते है। जो माता के भक्त होते हैं वे अगर कन्या पूजन को पूरी ईमानदारी से करें,तो देवी दुर्गा खुश होती है और कृपा बरसती है।
कन्या पूजन की विधि
अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करने करें। इससे पहले हवन कर लें और फिर दुर्गा देवी को हलवा पूड़ी और चने का प्रसाद चढायें और कन्या पूजन के समय जब कन्या घर पर पधारती हैं, तो स्वागत करते हुए उनके चरण धोएं और उन्हें उचित स्थान पर बैठाए। इसके बाद कन्याओं के माथे पर अक्षत और कुमकुम लगाएं। उनकी पूजा करते हुए मां दुर्गा का ध्यान करें और उन्हें इच्छा अनुसार भोजन कराएं। फिर छोटी-छोटी 9 कन्याओं को पैर धो कर कुमकुम तिलक लगाकर घर में भोजन करवायें।इसके बाद उन्हें कलावा बांधकर तिलक लगाया जाता है, फिर भरपेट भोजन कराया जाता है। आखिर में कन्याओं को नारियल, फल और दक्षिणा और कहीं, कहीं चूड़िया और बिंदी भी दी जाती है। भोजन के बाद कन्याओं को सामर्थ्य के मुताबिक दक्षिणा या उपहार दें और पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें विदा करें।
चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन का मुहूर्त
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का विधान है। इस बार अष्टमी तिथि 9 अप्रैल को है। इसे महाअष्टमी और दुर्गाष्टमी कहते हैं। अष्टमी की शुरुआत 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 05 मिनट से होगी और समापन 9 अप्रैल देर रात 1 बजकर 23 मिनट पर होगा।
इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 .02 मिनट तक।
सुकर्मा योग दिन में 11 .25 मिनट से 11 . 58 मिनट तक ।
शुभ मुहूर्त 11 . 58 मिनट से 12 . 48 मिनट तक ।
अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन किया जाता है।
इसके साथ ही नवमी तिथि यानि राम नवमी के दिन भी कन्या पूजन करें। इस दिन श्रीराम का जन्म हुआ था।
इस दिन नवमी तिथि 10 अप्रैल रात्रि 1. 23 मिनट से आरंभ होगी।
जो 11 अप्रैल सुबह 3.15 मिनट तक रहेगी.।
इस दिन सुकर्मा योग दोपहर 12 .4 मिनट तक
इसके अलावा इस दिन रवि पुष्य योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन है। ऐसे में इस दिन सुबह से ही कन्या पूजन करना लाभवर्धक रहेगा।
कन्या पूजन में दें दान, पूरी होगी इच्छा
नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी के अनके रुपों की पूजा की जाती है। (दुर्गा, काली या वैष्णोदेवी) के भक्त नवरात्रि की अष्टमी या नवमी को छोटी कन्याओं (लड़कियों) की पूजा करते हैं। कन्या पूजन में देवी के नौ रूपों की पूजा होती है। छोटी लड़कियों की पूजा करने के पीछे बहुत सरल कारण छिपा है। नवरात्रि में आपकी हर समस्या का समाधान मां दुर्गा करती है। साथ मे उर्जा और शक्ति का संचार करती है। अगर आपके दिल में कोई इच्छा है तो कन्याओं कों लाल-सफेद फूल दें। वस्त्र, फल और खीर खिलाने से माता रानी की आसीम कृपा बनी रहती है। इसके अलावा श्रृंगार सामग्री , खेलने पढ़ने की चीजे देने से मां दुर्गा प्रसन्न रहती है और देने और लेने वाले दोनों व्यक्ति पर मां शेरेवाली की कृपा बरसती है। कन्याओं को मेहंदी भी उपहार स्वरुप देना चाहिए।
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