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Navratri ki shuruaat : नवरात्रि इस बार 8 दिनों की, दो तिथियां पड़ रही एक साथ, यहां देखें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
Navratri ki shuruaat : शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर (गुरुवार) को शुरू होकर 14 अक्टूबर को समाप्त होगा।
Navratri ki shuruaat : इस वर्ष यानि साल 2021 में शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर (गुरुवार) को शुरू होकर 14 अक्टूबर को समाप्त होगा। लेकिन इस बार खास यह है कि चतुर्थी और पंचमी तिथियां एक ही साथ पड़ रहा है। इसका मतलब है कि इस बार नवरात्रि नौ नहीं बल्कि आठ दिनों की ही होगी।
आश्विन महीने की शुक्ल प्रतिपदा तिथि में घट स्थापना के साथ ही शक्ति उपासना का महापर्व शुरू हो जायेगा। इस दौरान मां भगवती के सभी नौ रूपों की पूजा की जाएगी। वैदिक मान्यताओं के अनुसार, कलश स्थापना से मां जगदंबा प्रसन्न होती हैं। इससे घर में खुशियां और धन-धान्य का वास होता है। माता के सभी रूपों का अपना महत्व है। मां के अलग-अलग रूपों के पूजन का जातक को विशेष फल प्राप्त होता है।
नवरात्रि आठ दिनों की
इस साल शारदीय नवरात्रि अन्य सालों से थोड़ा अलग होगा। क्योंकि इस वर्ष नवरात्रि आठ दिनों की ही है। इस बार चतुर्थी और पंचमी एक ही तिथि को पड़ रही है। इसलिए 7 अक्टूबर से शुरू हो रहा शारदीय नवरात्र 14 अक्टूबर तक रहेगा और 15 अक्टूबर को विजयदशमी मनाया जाएगा। यूं तो मां अम्बे की आराधना के सभी नौ दिन बेहद शुभ माने जाते हैं। लेकिन इस बार नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार को हो रही है, जिसे बेहद शुभ माना जा रहा है। इस बार देवी दुर्गा के पूजन की शुरुआत गुरुवार के दिन से हो रही है, जो आध्यात्मिक उन्नति के लिए शुभ माना जाता है। ज्ञात हो, कि 6 अक्टूबर (बुधवार) को पितृपक्ष समाप्त हो रहे हैं । ठीक इसके अगले दिन यानि 7 अक्टूबर (गुरुवार) से नवरात्र शुरू हो जाएगा।
कब करें कलश स्थापना?
शास्त्रों की मानें तो नवरात्रि के दौरान होने वाली कलश पूजा सुख-समृद्धि और मंगल कामनाओं का प्रतीक है। इस बार नवरात्र की शुरुआत चित्रा नक्षत्र में हो रही है, जिससे साहस और संतोष की प्राप्ति होती है। ज्योतिष के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना (घटस्थापना) के साथ ही मां दुर्गा की पूजा शुरू हो जाएगी। इस वर्ष कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 7 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 17 मिनट से सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक बताया गया है। नियमानुसार, इसी समय कलश की स्थापना होनी चाहिए, जिससे नवरात्र फलदायी और मंगलकारी होगा। महाष्टमी 13 अक्टूबर और महानवमी 14 अक्टूबर को है, जबकि 15 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी।
एक तिथि का क्षय
जैसा हम पहले ही बता चुके हैं कि इस साल चतुर्थी और पंचमी एक ही तिथि को पड़ रही है। पंचमी तिथि 10 अक्टूबर की रात 8.30 बजे से शुरू होगी, जो 11 अक्टूबर की सुबह 6.05 बजे तक रहेगी। इसके बाद षष्ठी शुरू हो जाएगी, जो रात 3.40 बजे तक रहेगी। इसके बाद फिर सप्तमी शुरू हो जाएगी जो 12 अक्टूबर को पूरे दिन रहेगी। इसलिए 11 अक्टूबर को देवी के दो रूपों स्कंदमाता और देवी कात्यायनी की पूजा की जाएगी।
एक वर्ष में होते हैं चार नवरात्र
पुराण के अनुसार, मां दुर्गा की नौ शक्तियों के मिलन को ही 'नवरात्रि' कहते हैं। यह हर वर्ष चैत्र (चैत), आषाढ़, आश्विन और माघ महीने में आती है। वसंत ऋतु में इसे चैत्र या वासंती नवरात्रि कहते हैं। जबकि आश्विन मास में आने वाली नवरात्रि शारदीय कहलाती है। शेष दो को गुप्त नवरात्रि कहते हैं, जो माघ और आषाढ़ में आते हैं। आगे हम तिथि के साथ ही माता के विभिन्न रूपों की पूजा के दिन की जानकारी भी दे रहे हैं। ताकि किसी के मन में तिथि को लेकर कोई संशय न रहे।
नवरात्रि की तिथियां:
पहला दिन 7 अक्टूबर (गुरुवार) 2021: कलश स्थापना के उपरांत मां शैलपुत्री की पूजा
दूसरा दिन 8 अक्टूबर (शुक्रवार) 2021: मां ब्रह्मचारिणी की आराधना
तीसरा दिन 9 अक्टूबर (शनिवार) 2021: मां चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा की पूजा
चौथा दिन 10 अक्टूबर (रविवार) 2021: मां स्कंदमाता की पूजा
पांचवां दिन 11 अक्टूबर (सोमवार) 2021: मां कात्यायनी की आराधना
छठा दिन 12 अक्टूबर (मंगलवार) 2021: मां कालरात्रि की पूजा
सातवां दिन 13 अक्टूबर (बुधवार) 2021: मां महागौरी की आराधना
आठवां दिन 14 अक्टूबर (गुरुवार) 2021: मां सिद्धिदात्री की पूजा
15 अक्टूबर (शुक्रवार) 2021: विजयादशमी।