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Navratri Me Kanya Pujan Kab Aur Kyu Kare: जानिए नवरात्रि में कन्या पूजन की सही वजह, क्यों किया जाता है इस दिन बटुक भैरव की पूजा

Navratri Me Kanya Pujan Kab Aur Kyu Kare: नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी के अनके रुपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का विधान है। इस बार अष्टमी तिथि 3 अक्टूबर को है। नवमी तिथि 4 अक्टूबर को होगी । वैसे तो कन्या पूजन के लिए इन तिथियों पर पूरा दिन शुभ होता है लेकिन अगर विशेष फल की चाहत है तो इस दिन राहुकाल को छोड़कर किसी शुभ काल जैसे अमृत काल ,विजय मुहूर्त, अमृत , शुभ, लाभ, की चौघड़िया में पूजा कर सकते है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 1 Oct 2022 11:07 AM IST (Updated on: 1 Oct 2022 11:20 AM IST)
Navratri Me Kanya Pujan Kab Kare
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सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Navratri Me Kanya Pujan Kab Kare

नवरात्रि में कन्या पूजन कब करें

शारदीय नवरात्रि चल रही है जो 5 अक्टूबर को रावन दहन के साथ समाप्त होगी। नवरात्रि के 9 दिन तक देवी दुर्गा का अनुष्ठान किया जाता है। व्रत उपवास पूजा से मां दुर्गा की पूजा की जाती है। प्रतिपदा से नवमी तक 9 रूपों की पूजा के बाद कन्या पूजन हवन से नवरात्रि की पूर्णाहुति की जाती है। नवरात्रि में देवी दुर्गा ( Devi Durga) की आराधना के साथ कन्या पूजन का विधान है। चाहे चैत्र या शारदीय नवरात्रि हो इसमें 8 वें और 9 वें दिन कन्या पूजन किया जाता है। इस बार भी नवरात्रि में 3 और 4 अक्टूबर को कन्या की पूजा की जाएगी। बिना कन्या पूजन के नवरात्रि और मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है।

कन्या पूजा एक अवसर होता है जब आप छोटी बच्चियों के रूप में देवी की पूजा कर सकते हैं। कन्या पूजा में एक भक्त के रूप में आपके पास विश्वास, पवित्रता और समर्पण होना चाहिए। पूजा के दौरान उन्हें लड़कियों के रूप में न देखें। कहा जाता है कि छोटी बच्चियों में अहंकार नहीं होता है, इसलिए इन्हे देवी का स्वरुप मानते है। जो माता के भक्त होते हैं वे अगर कन्या पूजन को पूरी ईमानदारी से करें,तो देवी दुर्गा खुश होती है और कृपा बरसती है।

नवरात्रि में कन्या पूजन की विधि

अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करने करें। इससे पहले हवन कर लें और फिर दुर्गा देवी को हलवा पूड़ी और चने का प्रसाद चढायें और कन्या पूजन के समय जब कन्या घर पर पधारती हैं, तो स्वागत करते हुए उनके चरण धोएं और उन्हें उचित स्थान पर बैठाए। इसके बाद कन्याओं के माथे पर अक्षत और कुमकुम लगाएं। उनकी पूजा करते हुए मां दुर्गा का ध्यान करें और उन्हें इच्छा अनुसार भोजन कराएं। फिर छोटी-छोटी 9 कन्याओं को पैर धो कर कुमकुम तिलक लगाकर घर में भोजन करवायें।इसके बाद उन्हें कलावा बांधकर तिलक लगाया जाता है, फिर भरपेट भोजन कराया जाता है। आखिर में कन्याओं को नारियल, फल और दक्षिणा और कहीं, कहीं चूड़िया और बिंदी भी दी जाती है। भोजन के बाद कन्याओं को सामर्थ्य के मुताबिक दक्षिणा या उपहार दें और पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें विदा करें।


नवरात्रि में कन्या पूजन का मुहूर्त

नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का विधान है। इस बार अष्टमी तिथि अष्टमी तिथि 04:38 PM तक फिर नवमी 3 अक्टूबर को है। नवमी तिथि की शुरुआत 4 अक्टूबर को नवमी तिथि 02:21 PM तक फिर दशमी होगी । वैसे तो कन्या पूजन के लिए इन तिथियों पर पूरा दिन शुभ होता है लेकिन अगर विशेष फल की चाहत है तो इस दिन राहुकाल को छोड़कर किसी शुभ काल जैसे अमृत काल ,विजय मुहूर्त, अमृत , शुभ, लाभ, की चौघड़िया में पूजा कर सकते है।

कन्या पूजन में दें दान, पूरी होगी इच्छा

नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी के अनके रुपों की पूजा की जाती है। (दुर्गा, काली या वैष्णोदेवी) के भक्त नवरात्रि की अष्टमी या नवमी को छोटी कन्याओं (लड़कियों) की पूजा करते हैं। कन्या पूजन में देवी के नौ रूपों की पूजा होती है। छोटी लड़कियों की पूजा करने के पीछे बहुत सरल कारण छिपा है। नवरात्रि में आपकी हर समस्या का समाधान मां दुर्गा करती है। साथ मे उर्जा और शक्ति का संचार करती है। अगर आपके दिल में कोई इच्छा है तो कन्याओं कों लाल-सफेद फूल दें। वस्त्र, फल और खीर खिलाने से माता रानी की आसीम कृपा बनी रहती है। इसके अलावा श्रृंगार सामग्री , खेलने पढ़ने की चीजे देने से मां दुर्गा प्रसन्न रहती है और देने और लेने वाले दोनों व्यक्ति पर मां शेरेवाली की कृपा बरसती है। कन्याओं को मेहंदी भी उपहार स्वरुप देना चाहिए।

कन्या पूजन की मान्यताएं

मान्यतों के अनुसार कन्या पूजन से मां बेहद प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनााओं को कर देती हैं। इतना ही नहीं देवी पुराण के अनुसार मां को हवन और दान से अधिक प्रसन्नता कन्या भोज से मिलती है। ज्योतिषशास्त्र में भी कन्या पूजन को बेहद फलदायी मानाते हुए कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति के कुंडली में बुध ग्रह बुरा फल दे रहा है, तो लोगों को कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए। बता दें कि बुध की मित्र राशियां वृष, मिथुन, कन्या, मकर और कुंभ होने के कारण इन राशियों के जातकों को कन्या पूजन का विशेष लाभ मिलता है। माता रानी के भक्त अष्टमी और नवमी के दिन छोटी-छोटी कन्याओं को माता का अवतार मान कर उनका पूजन कर उन्हें भोजन करा कर कुछ भेंट देते हैं। गौरतलब है कि इन कन्याओं के बीच एक लड़का भी अवश्य बिठाया जाता है ,जिसे लांगुर कहते हैं। कहा जाता है कि उसके बिना कन्या पूजन पूर्ण नहीं माना जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक कन्याओं के पूजन में दो से दस वर्ष तक की कन्याओं को बिठाना उचित होता है । इसके लिए कन्याओं की संख्या नौ होना सर्वोत्तम बताया गया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार कन्याओं की संख्या के अनुसार ही कन्या पूजन का फल प्राप्त होता है। हर कन्या का अलग और विशेष महत्व होता है। मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन में 9 कन्याओं और एक लड़के का पूजन करना बेहद शुभ होता है।

कन्या पूजन से फल की प्राप्ति

धर्मशास्त्रों के अनुसार पूजन में कन्या की संख्या के हिसाब से फल की प्राप्ति होती है। जिसमें

  • एक कन्या की पूजा करने से ऐश्वर्य
  • दो कन्याओं से भोग व मोक्ष दोनों
  • तीन कन्याओं के पूजन से धर्म, अर्थ व काम तथा
  • चार कन्याओं के पूजन से राजपद प्राप्ति
  • पांच कन्याओं की पूजा करने से विद्या
  • छह कन्याओं की पूजा से छह प्रकार की सिद्धियां
  • सात कन्याओं से सौभाग्य
  • आठ कन्याओं के पूजन से सुख- संपदा प्राप्त होती है।
  • नौ कन्याओं की पूजा करने करने से संसार में प्रभुत्व बढ़ता है।

कन्या पूजन के दिन प्रात: काल स्नान करके मां दुर्गा की उपासना करना चाहिए। इस दिन प्रसाद में खीर, पूरी, काले चने और हलवा आदि का मां को भोग लगाएं। फिर छोटी कन्याओं को आदर सहित बुला कर उनके पैर धोकर साफ आसन पर बिठाएं। कुमकुम का टीका लगाएं और रक्षा सूत्र बांधें। तत्पश्चात उन्हें मां का भोग लगाया भोजन करवायें । नौ कन्याओं के साथ एक छोटे बालक को भैरवनाथ का स्वरूप या लंगूर मानकर उसे उसी पंक्ति में बैठा कर तिलक और रक्षा सूत्र बाँध कर भी भोजन कराएं। भोजन के बाद सामर्थ्य के अनुसार कन्याओं को विदा करते समय पैसा, अनाज या वस्त्र दक्षिणा स्वरूप देकर उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। उसके बाद अपना व्रत समाप्त कर भोजन ग्रहण करें।


नवरात्रि में बटुक या लंगूर पूजा क्यों

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान बटुक भैरव का जन्म विपदाओं से बचाने के लिए हुआ था बटुक भरैव यानि कन्या पूजन के समय लंगूर के रूप में एक लड़के को बिठाना प्रतीक है। बटुक भैरव मान-सम्मान और विपदा से लोगों को बचाते हैं । इस वजह से भी भगवान बटुक भैरव जी की पूजा करी जाती है। जब कन्या पूजन होता है तब कन्याओं को पूजन और भोजन कराया जाता है। कन्याओं के साथ-साथ एक लड़के को भी भोजन करवाया जाता है। इसे ही भगवान बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है।

इस पूजन में उस लड़के को लंगूर भी कहा जाता हैं। ऐसा माना जाता है कि बटुक भैरव देवता अपने भक्तों पर अपनी कृपा से कई परेशानियों को दूर कर देते हैं। बटुक भैरव देवता की पूजा करने से मान- सम्मान और यश की प्राप्ति होती है। भगवान बटुक भैरव की पूजा करने से ग्रहों के दोष दूर हो जाते हैं और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। इस वजह से इस पूजा को करने का बहुत अधिक महत्व होता है। इस वजह से भगवान बटुक भैरव की पूजा का नवरात्रि में विशेष महत्व होता है।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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