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रहस्यमयी है मां शैलपुत्री का ये मंदिर, पूरी होती है हर मुराद

नवरात्रि के पहले दिन मंदिर में भक्तों की भीड़ लगती है, लेकिन इस बार माता रानी के दर्शन कोरोना की वजह से शायद संभव ना हो

Suman  Mishra
Published By Suman Mishra
Published on: 13 April 2021 2:06 AM
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा
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सोशल मीडिया से फोटो

वाराणसी: आज 13 अप्रैल से नवरात्रि शुरू हैं लेकिन पहले से ही लोगों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी थीं। पहले दिन से देवी मां के हर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जमा होनी शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते लोग घर पर ही देवी दुर्गा की व्रत पूजा करेंगे। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। क्या आप जानते हैं कि देवी मां का एक मंदिर ऐसा भी है जहां वो खुद विराजती हैं और सभी भक्तजनों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं ?

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। काशी या वाराणसी के अलईपुर में मां शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर स्थित है। माना जाता है कि माता के दर्शन मात्र से ही भक्त की हर मुराद पूरी हो जाती है।

इस समस्या का जड़ से निदान करती है मां शैल

कहते हैं कि नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री दर्शन से वैवाहिक कष्ट भी दूर होते हैं। यही वजह है नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री के इस मंदिर बड़ी संख्या में भक्तजन पहुंचते हैं और मां का आशीर्वाद लेते हैं।नवरात्रि के पहले दिन यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। लेकिन इस बार माता रानी का दर्शन कोरोना की वजह से शायद संभव ना हो।

शैलपुत्री का मंदिर सोशल मीडिया से


पौराणिक कथा

इस मंदिर को एक लेकर एक कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि मां शैलपुत्री एक बार कैलाश से आकर काशी बस गईं। भगवान शिव ने उन्हें मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो नहीं मानीं और कहा कि उन्हें ये स्थान बेहद प्रिय लग रहा है और वो यहां से जाना नहीं चाहतीं। वो अपनी इसी बात पर अडिग रहीं कि उन्हें काशी में ही रहना है। बस भगवान शिव उन्हें काशी में अकेला छोड़कर चले गए और तब से शैलपुत्री काशी में ही बस गईं। तभी से मां शैलपुत्री इसी मंदिर में विराजमान हैं और मान्यता है कि वो सभी की मुरादें पूरी करती हैं।


सोशल मीडिया से मंदिर की तस्वीर

जानिए महत्व

इस मंदिर में लोग लाल चुनरी, लाल फूल और सुहाग का सामान चढ़ाते हैं और जिन लोगों की मुरादें पूरी हो जाती हैं वो यहां इस मंदिर में पूजा और यज्ञ करवाते हैं। दूर-दूर से लोग इस मंदिर में अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं। महिलाएं यहां अपने सुहाग की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए आती हैं।

मान्यता है कि चूंकि वाराणसी भगवान शिव की धरती है इसलिए यहां मां शैलपुत्री के मंदिर में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। इस मंदिर में मां शैलपुत्री की तीन बार आरती की जाती है। मां शैलपुत्री को सभी वन्यजीवों का रक्षक मानते हैं। इतना ही नहीं, दुर्गम स्थानों पर जो गांव-बस्तियां बसी हैं वहां सबसे पहले मां शैलपुत्री के मंदिर की ही स्थापना की जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे वो स्थान सुरक्षित रहता है।

Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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