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Nirjala Ekadashi 2021: जल के महत्व को बताता सर्वश्रेष्ठ निर्जला एकादशी का व्रत कब है? जानिए...

ज्येष्ठ माह में जब निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है, तब सूर्य की तपिश चरम पर होती है। उस वक्त जल संचय का महत्व समझ आता है>

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 22 May 2021 10:45 AM GMT
निर्जला एकादशी
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 कांसेप्ट फोटो ( सौ. से सोशल मीडिया)

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi)2021

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के दिन पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी सभी 24 एकादशियों में सबसे श्रेष्ठ एकादशी है। इसे भीमसैनी एकादशी भी कहते हैं। इस साल 2021 में 21 जून को निर्जला एकादशी है। इस दिन कठोर नियमों का पालन करते हुए भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन और उपवास किया जाता है।

जो लोग पूरे साल एकादशी व्रत नहीं रखते हैं। अगर सिर्फ निर्जला एकादशी व्रत रख लें तो सभी एकादशियों का फल मिलता है। निर्जला एकादशी में निर्जल रहकर व्रत का पालन किया जाता है। जब सूर्य की तपिश चरम पर होती है। नदी, कुएं और तलाबों का जल सूखने लगतहै। तब जल संचय की बात की जाती है। निर्जला एकादशी का व्रत जल के एक-एक बूंद के महत्व को समझाता है कि हमें बेकार में जल की बर्बादी नहीं करना चाहिए।

निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त और पारण

  • एकादशी तिथि का प्रारंभ: 20 जून 04.21 PM – 21 जून 01.31 PM
  • एकादशी तिथि का समापन : 21 जून 01:31 PM –22 जून 10.44 AM
  • ब्रह्म मुहूर्त: 04. 09 AM – 04.52 AM
  • अमृत काल : 08.43 AM – 10.11 AM
  • अभिजीत मुहूर्त: 12.00 PM – 12.55 PM
  • पारण का समय : 22 जून सुबह 5.21 AM से 08.12 AM तक

इस बार निर्जला एकादशी के दिन स्वाति नक्षत्र 06.08 PM तक रहने के बाद विशाखा नक्षत्र रहेगा और योग शिव और सिद्ध रहेगा। दोनों ही योग में किया गया कार्य शुभ परिणाम देगा है।

इसलिए निर्जला एकादशी के दिन बिना जल और अन्न के व्रत रखकर पीले फूल, फल तुलसी गंगाजल से भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। उपवास से एक दिन पहले सात्विक भोजन कर व्रत की शुरुआत करना चाहिए और व्रत के पूर्ण होने पर पंखा, छाता, गाय, अन्न, घड़ा का दान करने से समस्त सुखों की प्राप्ति के साथ मुक्ति का मार्ग खुलता है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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