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Padmini Ekadashi Ki Katha: पद्मिनी एकादशी की पुण्यदायक कथा सुनिये और जानिए शुभ मुहूर्त और विधि

Padmini Ekadashi Ki Katha: 29 जुलाई को पद्मिनी एकादशी है। इस साल अधिकमास की वजह 24 की जगह 26 एकादशियां पड़ेगी । इस लिए इस बार की एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहते हैं।

Suman Mishra। Astrologer
Published on: 28 July 2023 4:08 PM IST
Padmini Ekadashi Ki Katha: पद्मिनी एकादशी की पुण्यदायक कथा सुनिये और जानिए शुभ मुहूर्त और विधि
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सांकेतिक तस्वीर, सोशल मीडिया

Padmini Ekadashi Katha पद्मिनी एकादशी की कथा

धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि, हे जनार्दन! आपने सभी एकादशियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कर मुझे सुनाया, अतः अब आप कृपा करके मुझे अधिकमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है? तथा उसकी विधि क्या है? इन सब के बारे मे बताइए।

श्री भगवान बोले, हे राजन्!अधिकमास में शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है वह पद्मिनी (कमला) एकादशी कहलाती है। वैसे तो प्रत्येक वर्ष 24 एकादशियां होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है, तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।

अधिकमास या मलमास को जोड़कर वर्ष में 26 एकादशियां होती हैं। अधिकमास में 2 एकादशियां होती हैं, जो पद्मिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) और परमा एकादशी (कृष्ण पक्ष) के नाम से जानी जाती हैं।

यह एकादशी करने के लिए दशमी के दिन व्रत का आरंभ करके कांसे के पात्र में जौ-चावल आदि का भोजन करें तथा नमक न खाएं। भूमि पर सोएं और ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में शौच आदि से निवृत्त होकर दंतधावन करें और जल के 12 कुल्ले करके शुद्ध हो जाएं।

सूर्य उदय होने के पूर्व उत्तम तीर्थ में स्नान करने जाएं। इसमें गोबर, मिट्‍टी, तिल तथा कुशा व आंवले के चूर्ण से विधिपूर्वक स्नान करें। श्वेत वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु के मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करें।

भगवान कृष्‍ण बोले: पुरुषोत्तम मास में अनेक पुण्यों को देने वाली एकादशी का नाम पद्मिनी है। इसका व्रत करने पर मनुष्य कीर्ति प्राप्त करके बैकुंठ को जाता है, जो मनुष्‍यों के लिए भी दुर्लभ है। हे राजन! ध्यानपूर्वक इस कथा को सुनो।

पद्मिनी एकादशी व्रत कथा!


हे म‍ुनिवर! पूर्वकाल में त्रेयायुग में हैहय नामक राजा के वंश में कृतवीर्य नाम का राजा महिष्मती पुरी में राज्य करता था। उस राजा की 1,000 परम प्रिय स्त्रियां थीं, परंतु उनमें से किसी को भी पुत्र नहीं था, जो कि उनके राज्यभार को संभाल सके। देव‍ता, पितृ, सिद्ध तथा अनेक चिकि‍त्सकों आदि से राजा ने पुत्र प्राप्ति के लिए काफी प्रयत्न किए, लेकिन सब असफल रहे।

तब राजा ने तपस्या करने का निश्चय किया। महाराज के साथ उनकी परम प्रिय रानी, जो इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न हुए राजा हरिश्चंद्र की पद्मिनी नाम वाली कन्या थीं, राजा के साथ वन में जाने को तैयार हो गई। दोनों अपने मंत्री को राज्यभार सौंपकर राजसी वेष त्यागकर गंधमादन पर्वत पर तपस्या करने चले गए।

राजा ने उस पर्वत पर 10 हजार वर्ष तक तप किया, परंतु फिर भी पुत्र प्राप्ति नहीं हुई।
तब पतिव्रता रानी कमलनयनी पद्मिनी से अनुसूया ने कहा: 12 मास से अधिक महत्वपूर्ण मलमास होता है, जो 32 मास पश्चात आता है। उसमें द्वादशीयुक्त पद्मिनी शुक्ल पक्ष की एकादशी का जागरण समेत व्रत करने से तुम्हारी सारी मनोकामना पूर्ण होगी। इस व्रत के करने से भगवान तुम पर प्रसन्न होकर तुम्हें शीघ्र ही पुत्र देंगे।

रानी पद्मिनी ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से एकादशी का व्रत किया। वह एकादशी को निराहार रहकर रात्रि जागरण कर‍ती। इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्‍णु ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। इसी के प्रभाव से पद्मिनी के घर कार्तवीर्य उत्पन्न हुए। जो बलवान थे और उनके समान तीनों लोकों में कोई बलवान नहीं था। तीनों लोकों में भगवान के सिवा उनको जीतने का सामर्थ्य किसी में नहीं था।

सो हे नारद! जिन मनुष्यों ने मलमास शुक्ल पक्ष एकादशी का व्रत किया है, जो संपूर्ण कथा को पढ़ते या सुनते हैं, वे भी यश के भागी होकर विष्‍णुलोक को प्राप्त होते हैं।

पद्मिनी एकादशी मुहूर्त और पूजा विधि

पद्मिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि ने निवृत्त होकर पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर सूर्य नारायण को जल अर्पित करें। अब पूजा घर में चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें।


शंख में जल लेकर भगवान विष्णु को अर्पित करें। अब पंचोपचार कर श्रीहरि विष्णु की पूजा में पीले फूल, फल, दूर्वा, अक्षत, धूप, दीप, चंदन, हल्दी अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु को केसर मिश्रित खीर का भोग लगाएं। इसके बाद विष्णु चालीसा, स्तुति, स्तोत्र का पाठ करें साथ ही भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। अंत में शुद्ध घी का दीप जलाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आरती करें।पूजा के बाद जरूरतमंद और गरीबों को क्षमता अनुसार दान दें।

पद्मिनी एकादशी तिथि की शुरुआत 28 जुलाई से दोपहर 2:51 बजे होगी और इसका समापन 29 जुलाई 2023 दोपहर 1:06 बजे हो जाएगा। पद्मिनी एकादशी की उदया तिथि 29 जुलाई को है। इसलिए एकादशी का व्रत 29 जुलाई दिन शनिवार को रखा जाएगा।



Suman Mishra। Astrologer

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