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Diwali 2022 Five Days Festival: 2022 कब से कब तक मनाया जाता है दिवाली का पंच महोत्सव , जानिए धनतेरस से भाईदूज का त्योहार कब है

Diwali 2022 Five Days Festival : दिवाली से 5 दिन पंच पर्व मनाया जाता है। इसमें दिवाली से 2 दिन पहले धनतेरस, एक दिन पहले नरक चतुर्दशी,फिर दिवाली और उसके बाद गोवर्दधन पूजन और भाई दूज मनाया जाता है। इस बार यह पंच पर्व 4 दिन में मनाया जाएगा।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 22 Oct 2022 9:30 AM IST (Updated on: 22 Oct 2022 4:16 PM IST)
Diwali Panch-Mahotsav 2022 Kab se Kab Tak Hai
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

2022 Kab se Kab Tak Hai Diwali Panch-Mahotsav

2022 कब से कब तक मनाया जाता है दिवाली पंच पर्व


हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह में बहुत से बड़े त्योहार आते हैं। इसमें करवा चौथ, दिवाली कार्तिक पूर्णिमा और पंच पर्व आते है। इस बार सूर्य ग्रहण के कारण दिनों में पांच पर्व मनाये जायेंगे। नवरात्रि के बाद अगर सबको किसी त्योहार का इंतजार रहता है तो वो होता है दिवाली और छठ और छठ के बाद धीरे धीरे सारे उत्सवों की समाप्ति होती है, लेकिन दिवाली से पांच दिन तक पंच पर्व मनाया जाता है जो पूरे साल उत्साह और उल्लास भरने का काम करता है। मतलब दीपावली का उत्सव 5 दिनों तक चलता है। दक्षिण भारत और उत्तर भारत में इस त्योहार को अलग-अलग दिन और तरीके से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में दिवाली के 1 दिन पहले यानी नरक चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इस दिन मनाया जाने वाला उत्सव दक्षिण भारत के दिवाली उत्सव का सबसे प्रमुख दिन होता है जबकि उत्तर भारत में यह त्योहार 5 दिन का होता है, जो धनतेरस से शुरू होकर नरक चतुर्दशी, मुख्य पर्व दीपावली, गोवर्धन पूजा से होते हुए भाई-दूजपर समाप्त होता है।

आस्था और विश्वास के इन पांच दिनों में अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग प्रकार से पूजा करके सुख-समृद्धि और संपन्नता का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इन पांच प्रमुख पर्वों के धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।

धनतेरस

दिवालली के पांच दिनी महापर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है। धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 22 अक्टूबर 2022 को पड़ने जा रहा है। धनतेरस के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करने वाले धनवंतरि की विशेष पूजा का विधान है। इस दिन को किसी भी प्रकार का सामान आदि खरीदने के लिए अत्यंत ही शुभ माना जाता है।

धनतेरस के मुहूर्त

धनतेरस की पूजा के लिए प्रदोष काल सबसे उत्तम माना जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा का मुहूर्त रात 07.10 से रात 08.24 मिनत तक है। पूजा की अवधि 1 घंटा 14 मिनट रहेगी। वैसे तो पंचाग के अनुसार धनतेरस 22 अक्टूबर को मनाया जायेंगा, लेकिन 23 अक्टूबर को भी त्रयोदशी तिथि होने की वजह से 23 को भी धनतेरस और नरक चतुर्दशी रहेगा।

इस दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है।

सर्वार्थसिद्धि योग - Oct 23 06:31 AM से Oct 23 02:34 PM

अमृतसिद्धि योग - Oct 23 02:34 PM से Oct 24 06:31 AM

सर्वार्थसिद्धि योग - Oct 23 02:34 PM से Oct 24 06:31 AM

धनतेरस पर प्रदोष काल - 22 अक्टूबर 2022 को शाम 05.52 से रात 08.24 मिनट तक है।

वृषभ काल 07.10 से रात 09.06 तक है।

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)


नरक चतुर्दशी

दिवाली महापर्व का यह दूसरा दिन होता है। जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। यह पर्व इस साल 23 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा। इस दिन नरक से जड़े दोष से मुक्ति पाने के शाम के समय द्वार पर दिया जलाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करके 16,100 कन्याओं को मुक्त कराया था। इस पर्व को रूप चौदस भी कहते हैं।

नरक चतुर्दशी पूजा का शुभ समय

कार्तिक चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ : अक्टूबर 23, 2022 को 06:03 PM बजे

कार्तिक चतुर्दशी तिथि समाप्त : अक्टूबर 24, 2022 को 05:27 PM बजे

नरक चतुर्दशी 24 अक्टूबर दिन सोमवार को है.

काली चौदस 24 अक्टूबर 2022 को

काली चौदस मुहूर्त : 23 अक्टूबर को 11:40 PM से 24 अक्टूबर को 12:31 AM तक

पूजा अवधि : 00 घण्टे 51 मिनट

दिवाली

दीपों से जुड़ा महापर्व दिवाली का पावन पर्व इस साल 24 अक्टूबर 2022 को मनाया जायेगा। इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी, ऋद्धि-सिद्धि के देवता गणपति, धन के देवता कुबेर के साथ महाकाली की पूजा का विधान है।

दीपावली का शुभ -मुहूर्त

इस बार दिवाली पर अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर और 25 अक्टूबर को है। लेकिन, 25 तारीख को अमावस्या तिथि प्रदोष काल से पहले ही समाप्त हो जा रही है और 24 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या तिथि मौजूद रहेगी। उसी दिन निशित काल में भी अमावस्या तिथि रहेगी। इसलिए 24 अक्टूबर को ही पूरे देश में दीपावली का पर्व मनाया जाएगा।

दिवाली का शुभ मुहूर्त पूरे दिन होता है। इस दिन से पहले घर के हर कोने को अच्छे से साफ कर लिया जाता है। फिर दिवाली के दिन शाम के बाद शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं। जानते हैं...

अमावस्या तिथि प्रारंभ -24 अक्टूबर 2022 को शाम 05:29 से शुरू होकर

अमावस्या तिथि समाप्ति- 25 अक्टूबर 2022 को शाम 04:20 तक रहेगी.

लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त -18:54:52 से 20:16:07 तक

पूजा की अवधि- 1 घंटे 21 मिनट

प्रदोष काल मुहूर्त -17:43:11 से 20:16:07 तक

वृषभ लग्न- 18:54:52 से 20:50:43 तक

दिवाली विशेष काल मुहूर्त पूजा

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त :23:40 pm से 24:31 तक

पूजा अवधि :0 घंटे 50 मिनट

महानिशीथ काल :23:40 से 24:31

सिंह काल :25:26 से 27:44

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

गोवर्धन पूजा

दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा किया जाता है। इस साल यह गोवर्धन पूजा का पर्व 25 अक्टूबर 2022 को पड़ने जा रहा है। इसे अन्नकूट भी कहते हैं। इस दिन घर की गाय और अन्य जानवरों के साथ गोवर्धन की पूजा का बहुत महत्व है।

गोवर्धन पूजा का समय

गोवर्धन पूजा की तिथि- 26 अक्टूबर, 2022

प्रतिपदा तिथि आरंभ- 25 अक्टूबर, मंगलवार शाम 4 बजकर 18 मिनट से

प्रतिपदा तिथि समाप्त- 26 अक्टूबर, बुधवार दोपहर 2 बजकर 42 मिनट पर

गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त- 26 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 29 मिनट से 8 बजकर 43 मिनट पर

भाई दूज

भाई दूज गोवर्धन पूजा के अगले मनाया जाता है। यह दिन भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन यदि संभव हो तो यमुना में जाकर स्नान करना चाहिए । इस साल 22 अक्टूबर 2022 को भाई दूज मनाया जायेगा। मान्यता है कि यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने के लिए उनके घर आए थे और यमुनाजी ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया एवं यह वचन लिया कि इस दिन हर साल वे अपनी बहन के घर भोजन के लिए पधारेंगे। साथ ही जो बहन इस दिन अपने भाई को आमंत्रित कर तिलक करके भोजन कराएगी, उसके भाई की उम्र लंबी होगी। तभी से भाई दूज पर यह परंपरा बन गई।

भाई दूज का समय

शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि प्रारंभ- 26 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 42 मिनट से

शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि समाप्त- 27 अक्टूबर 12 बजकर 45 मिनट तक

भाई दूज अपराह्न समय - 26 अक्टूबर दोपहर 01 बजकर 12 मिनट से 0 3 बजकर 27 मिनट तक



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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